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बिजली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएन वर्मा पर चलेगा केस, मुख्यमंत्री ने दी अभियोजन स्वीकृति

सीएम हेमंत सोरेन द्वारा अभियोजन की स्वीकृति देने के बाद अब झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसएन वर्मा पर केस चलेगा. भ्रष्टाचार के मामले में फंसे एसएन वर्मा समेत अन्य के खिलाफ सीबीआई की ओर से मांगी गई अभियोजन की स्वीकृति सीएम ने दे दी है.

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एसएन वर्मा पर चलेगा केस
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Published : Jun 13, 2022, 10:06 PM IST

रांचीः भ्रष्टाचार के मामले में फंसे झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शिवेंद्र नाथ वर्मा एवं अन्य के खिलाफ मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सीबीआई की ओर से मांगी गई अभियोजन की स्वीकृति दे दी है. अब इन पर केस चलेगा.

सीबीआई की एसीबी रांची थाना में 2016 में कांड दर्ज किया गया था. मुख्यमंत्री ने कांड संख्या- आरसी-07(ए)/2016- (आर) दिनांक- 02-06-2016 के प्राथमिकी अभियुक्तों शिवेंद्र नाथ वर्मा तदेन अध्यक्ष, झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड, झारखंड, रांची संप्रति प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, उज्ज्वल महानगरी बाग, जीएमएस, रोड, देहरादून, स्थायी पता- चित्रगुप्त नगर, लेम बगरगई, बरियातू झारखंड रांची एवं आलोक शरण तत्कालीन सदस्य (वित्त), झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड, झारखंड, रांची संप्रित प्रधान निदेशक, इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स आइएनसी, एटीएस एडवान्टेज, इन्दिरापुरम, उत्तर प्रदेश के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-197 में निहित प्रावधानों के आलोक में विरूद्ध भारतीय दंड विधान, 1860 की धारा-120-बी सहपठित धारा- 420, 420 / 511, 468, 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा -19 (1)(बी) में प्रदत शक्तियों के आलोक में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा-13 (2) और धारा-13 (1)(डी) संबंधी प्रस्ताव पर अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है.

भ्रष्टाचार का मामलाः एसएन वर्मा सहित अन्य प्राथमिकी अभियुक्तों पर वर्ष 2011-2012 में झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड, भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल), भोपाल एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड (एनपीईएल) के पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर आपराधिक षड्यंत्र के तहत बेईमानी से स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) के मरम्मती एवं रख-रखाव के लिए मनोनयन के आधार पर 2.5 करोड़ रुपये के कार्य को बहुत ही ऊचें दर 20.87 करोड़ रुपये में भेल को देने का आरोप है.

झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पदाधिकारियों ने इस मामले में भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस (भेल), भोपाल के द्वारा निर्धारित भुगतान की शर्तों के आधार पर स्थापित वित्तीय नियमों के विरूद्ध एवं सीवीसी के नियमों का उल्लंघन करते हुए भुगतान भी कर दिया गया साथ ही, भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल), भोपाल के पदाधिकारियों ने स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) के मरम्मती एवं रख-रखाव से संबंधित कार्य को मेसर्स नॉर्दन पावर के साथ 15.32 करोड़ रूपये में सबलेट/कॉन्ट्रैक्ट करने का आरोप है.

खास बात यह है कि यह सीवीसी के नियमों के विरूद्ध है तथा मेसर्स नॉर्दन पावर द्वारा उक्त कार्य को 5.55 करोड़ रूपये की लागत पर निष्पादित कर दिया गया. इस प्रकार भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल). भोपाल एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड द्वारा खराब गुणवत्ता के कार्य करने एवं विलंब से कार्य संपादित करने के कारण झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा. इसके अतिरिक्त वर्ष 2005 के दौरान मरम्मती और रख-रखाव का कार्य झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा मेसर्स हेवी इलेक्ट्रीक्लस (भेल) लिमिटेड, भोपाल को निविदा के आधार पर 59.75 लाख रूपये में दिया गया था, जबकि वर्ष 2012 में कार्य को बहुत ही ऊंचें दर 20.87 करोड़ रुपये पर नोमिनेशन के आधार पर दे दिया गया.इस तरह से प्राथमिकी अभियुक्तों पर सरकारी पद का दुरूपयोग करते हुए, लापरवाही, धोखाधड़ी, बेईमानी, जालसाजी के नीयत से आपराधिक षड्यंत्र के तहत वित्तीय अनयिमितता करते हुए गैर कानूनी ढंग से सरकारी राशि के गबन करने आरोप है.

रांचीः भ्रष्टाचार के मामले में फंसे झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शिवेंद्र नाथ वर्मा एवं अन्य के खिलाफ मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सीबीआई की ओर से मांगी गई अभियोजन की स्वीकृति दे दी है. अब इन पर केस चलेगा.

सीबीआई की एसीबी रांची थाना में 2016 में कांड दर्ज किया गया था. मुख्यमंत्री ने कांड संख्या- आरसी-07(ए)/2016- (आर) दिनांक- 02-06-2016 के प्राथमिकी अभियुक्तों शिवेंद्र नाथ वर्मा तदेन अध्यक्ष, झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड, झारखंड, रांची संप्रति प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, उज्ज्वल महानगरी बाग, जीएमएस, रोड, देहरादून, स्थायी पता- चित्रगुप्त नगर, लेम बगरगई, बरियातू झारखंड रांची एवं आलोक शरण तत्कालीन सदस्य (वित्त), झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड, झारखंड, रांची संप्रित प्रधान निदेशक, इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स आइएनसी, एटीएस एडवान्टेज, इन्दिरापुरम, उत्तर प्रदेश के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-197 में निहित प्रावधानों के आलोक में विरूद्ध भारतीय दंड विधान, 1860 की धारा-120-बी सहपठित धारा- 420, 420 / 511, 468, 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा -19 (1)(बी) में प्रदत शक्तियों के आलोक में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा-13 (2) और धारा-13 (1)(डी) संबंधी प्रस्ताव पर अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है.

भ्रष्टाचार का मामलाः एसएन वर्मा सहित अन्य प्राथमिकी अभियुक्तों पर वर्ष 2011-2012 में झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड, भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल), भोपाल एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड (एनपीईएल) के पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर आपराधिक षड्यंत्र के तहत बेईमानी से स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) के मरम्मती एवं रख-रखाव के लिए मनोनयन के आधार पर 2.5 करोड़ रुपये के कार्य को बहुत ही ऊचें दर 20.87 करोड़ रुपये में भेल को देने का आरोप है.

झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के पदाधिकारियों ने इस मामले में भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस (भेल), भोपाल के द्वारा निर्धारित भुगतान की शर्तों के आधार पर स्थापित वित्तीय नियमों के विरूद्ध एवं सीवीसी के नियमों का उल्लंघन करते हुए भुगतान भी कर दिया गया साथ ही, भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल), भोपाल के पदाधिकारियों ने स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) के मरम्मती एवं रख-रखाव से संबंधित कार्य को मेसर्स नॉर्दन पावर के साथ 15.32 करोड़ रूपये में सबलेट/कॉन्ट्रैक्ट करने का आरोप है.

खास बात यह है कि यह सीवीसी के नियमों के विरूद्ध है तथा मेसर्स नॉर्दन पावर द्वारा उक्त कार्य को 5.55 करोड़ रूपये की लागत पर निष्पादित कर दिया गया. इस प्रकार भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल). भोपाल एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड द्वारा खराब गुणवत्ता के कार्य करने एवं विलंब से कार्य संपादित करने के कारण झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा. इसके अतिरिक्त वर्ष 2005 के दौरान मरम्मती और रख-रखाव का कार्य झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा मेसर्स हेवी इलेक्ट्रीक्लस (भेल) लिमिटेड, भोपाल को निविदा के आधार पर 59.75 लाख रूपये में दिया गया था, जबकि वर्ष 2012 में कार्य को बहुत ही ऊंचें दर 20.87 करोड़ रुपये पर नोमिनेशन के आधार पर दे दिया गया.इस तरह से प्राथमिकी अभियुक्तों पर सरकारी पद का दुरूपयोग करते हुए, लापरवाही, धोखाधड़ी, बेईमानी, जालसाजी के नीयत से आपराधिक षड्यंत्र के तहत वित्तीय अनयिमितता करते हुए गैर कानूनी ढंग से सरकारी राशि के गबन करने आरोप है.

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