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रांची: झारखंड में वन क्षेत्र बढ़ा, वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट में खुलासा

झारखंड में कई घने जगंल के साथ-साथ अच्छे वन क्षेत्र है, जहां कई तरह के जानवर समेत कई जानवरों की प्रजाति मिलती हैं. लेकिन अब जरूरत है इन वनों और जानवरों को बचाने की. इसलिए अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर राज्य सरकार झारखंड के वन क्षेत्र को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है. भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि झारखंड में वन क्षेत्र बढ़ा है.

RANCHI
वन क्षेत्र को बढ़ाने की कोशिश
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Published : May 22, 2021, 2:29 PM IST

रांचीः झारखंड को प्रकृति ने खुलकर अपने वरदान से नवाजा है. राज्य की पहचान यहां के वन क्षेत्र और उसकी जैव विविधता है. सरकार के प्रयासों से राज्य के वन क्षेत्रों में लगातार वृद्धि हो रही है. साथ ही यहां की जैव विविधता में भी इजाफा हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर राज्य सरकार ने भी जैव विविधता और वन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.
ये भी पढ़े- वैक्सीनेसन सेंटर अब आपके वर्क प्लेस पर! जानिए नियोक्ता कैसे अपने कर्मियों को दे सकते हैं इसका लाभ
वन क्षेत्रों के संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध

सरकार वनों के संरक्षण और विकास के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार के सतत प्रयासों से राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 33.81 प्रतिशत हिस्से में वन है. यह राष्ट्रीय वन नीति 1988 के आलोक में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून के 30 दिसंबर 2019 के प्रतिवेदन में बताया गया है कि राज्य के वन क्षेत्रों में 58 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है. राज्य सरकार लगातार वन भूमि पर पौधरोपण को बढ़ावा दे रही है. साथ ही सभी जिलों में नदियों के किनारे पौधरोपण को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे भी वन क्षेत्र में वृद्धि हो रही है.

झारखंड में जैव विविधता की विशेषताएं
झारखंड की जैव विविधता यहां की विशिष्ट भौगोलिक बनावट और जलवायु की देन है. यहां नेतरहाट का पहाड़ी क्षेत्र है, जो समुद्र तल से करीब 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वहीं पश्चिमी सिंहभूम में स्थित सारंडा वन क्षेत्र को एशिया के सबसे बड़े साल के जंगलों वाला इलाका माना जाता है.

कई जिलों में हैं घने जंगल,मिलते हैं कई तरह के जानवर
इसके अलावा पलामू, रांची, खूंटी समेत दूसरे जिलों में भी सघन जंगल है. इन जंगलों में हाथी, सांभर, चीता,तेंदुए,बंदर, लंगूर और भेड़िए जैसे वन्य जीव पाए जाते हैं. इन जंगलों में सरीसृप और कीटों की भी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं. पलामू में अभी भी बाघ मिलते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में उनके संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है. दलमा में बड़ी संख्या में हाथी पाए जाते हैं. मुटा में मगरमच्छ प्रजनन केंद्र है. यहां इनके प्रजनन केंद्र और विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी तरह महुआडाड़ में भेड़िया अभयारण्य बनाया गया है. उधवा जल पक्षीय शरण स्थली में तरह-तरह के पक्षी देखे जा सकते हैं.

गौरतलब है कि झारखंड के जंगलों में साल, सागवान, पलाश शीशम जैसे पेड़ों से लेकर बांस और तरह-तरह की झाड़ियां मिलती हैं. वहीं इन जंगलों में कई तरह के औषधीय पौधे भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. ये सब जैव विविधता को समृद्धि प्रदान करते हैं. राज्य सरकार का प्रयास है कि इस विशिष्ट जैव विविधता को संरक्षित और संवर्धित कर झारखंड की पहचान को और ऊंचाई दी जाए.

वहीं अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर राज्य सरकार ने झारखंड के जंगलों को संरक्षित करने का संकल्प लिया है और झारखंड में वन क्षेत्र भूमि को बढ़ाने को लेकर प्रयास करने की बात कही है.

रांचीः झारखंड को प्रकृति ने खुलकर अपने वरदान से नवाजा है. राज्य की पहचान यहां के वन क्षेत्र और उसकी जैव विविधता है. सरकार के प्रयासों से राज्य के वन क्षेत्रों में लगातार वृद्धि हो रही है. साथ ही यहां की जैव विविधता में भी इजाफा हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर राज्य सरकार ने भी जैव विविधता और वन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.
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वन क्षेत्रों के संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध

सरकार वनों के संरक्षण और विकास के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार के सतत प्रयासों से राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 33.81 प्रतिशत हिस्से में वन है. यह राष्ट्रीय वन नीति 1988 के आलोक में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून के 30 दिसंबर 2019 के प्रतिवेदन में बताया गया है कि राज्य के वन क्षेत्रों में 58 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है. राज्य सरकार लगातार वन भूमि पर पौधरोपण को बढ़ावा दे रही है. साथ ही सभी जिलों में नदियों के किनारे पौधरोपण को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे भी वन क्षेत्र में वृद्धि हो रही है.

झारखंड में जैव विविधता की विशेषताएं
झारखंड की जैव विविधता यहां की विशिष्ट भौगोलिक बनावट और जलवायु की देन है. यहां नेतरहाट का पहाड़ी क्षेत्र है, जो समुद्र तल से करीब 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वहीं पश्चिमी सिंहभूम में स्थित सारंडा वन क्षेत्र को एशिया के सबसे बड़े साल के जंगलों वाला इलाका माना जाता है.

कई जिलों में हैं घने जंगल,मिलते हैं कई तरह के जानवर
इसके अलावा पलामू, रांची, खूंटी समेत दूसरे जिलों में भी सघन जंगल है. इन जंगलों में हाथी, सांभर, चीता,तेंदुए,बंदर, लंगूर और भेड़िए जैसे वन्य जीव पाए जाते हैं. इन जंगलों में सरीसृप और कीटों की भी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं. पलामू में अभी भी बाघ मिलते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में उनके संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है. दलमा में बड़ी संख्या में हाथी पाए जाते हैं. मुटा में मगरमच्छ प्रजनन केंद्र है. यहां इनके प्रजनन केंद्र और विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी तरह महुआडाड़ में भेड़िया अभयारण्य बनाया गया है. उधवा जल पक्षीय शरण स्थली में तरह-तरह के पक्षी देखे जा सकते हैं.

गौरतलब है कि झारखंड के जंगलों में साल, सागवान, पलाश शीशम जैसे पेड़ों से लेकर बांस और तरह-तरह की झाड़ियां मिलती हैं. वहीं इन जंगलों में कई तरह के औषधीय पौधे भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. ये सब जैव विविधता को समृद्धि प्रदान करते हैं. राज्य सरकार का प्रयास है कि इस विशिष्ट जैव विविधता को संरक्षित और संवर्धित कर झारखंड की पहचान को और ऊंचाई दी जाए.

वहीं अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर राज्य सरकार ने झारखंड के जंगलों को संरक्षित करने का संकल्प लिया है और झारखंड में वन क्षेत्र भूमि को बढ़ाने को लेकर प्रयास करने की बात कही है.

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