रांची: झारखंड में साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके लिए पांच दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारत सरकार की साइबर यूनिट और उत्तराखंड पुलिस की साइबर यूनिट की टीम झारखंड के पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित कर रही है.
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बता दें कि झारखंड में साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए झारखंड पुलिस लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी साइबर क्राइम के अपराध कम नहीं हो रहे हैं. जामताड़ा जिले को साइबर क्राइम का गढ़ कहा जाता है. इसके साथ ही देवघर और दुमका दिले में भी साइबर क्राइम के मामले ज्यादा आने लगे हैं. ऐसे में झारखंड पुलिस के लिए साइबर क्राइम के अपराधियों को पकड़ने के लिए और भी ज्यादा सशक्त और तकनीकी रूप से मजबूत होने की आवश्यकता है.
आईटीएस भवन में दी गयी ट्रेनिंग: इसी को देखते हुए रांची के आईटीएस भवन में भारत सरकार की साइबर यूनिट और उत्तराखंड पुलिस के साइबर यूनिट की टीम के द्वारा झारखंड के पुलिसकर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. आईटीएस भवन में हो रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर रांची की साइबर डीएसपी नेहा बाला बताती हैं कि अपराध अनुसंधान झारखंड विभाग द्वारा पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यह कार्यक्रम 12 मई से 16 मई तक चलेगा. पांच दिवसीय इस कार्यक्रम में भारत सरकार के गृह मंत्रालय की यूनिट इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर और उत्तराखंड से आए साइबर टीम के अधिकारी कार्यक्रम में आए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.
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भारत सरकार और उत्तराखंड पुलिस के पदाधिकारियों द्वारा दी जा रही ट्रेनिंग: भारत सरकार की संस्था साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर के दो एक्सपर्ट जीतेन सिंह और लूसी मेहता ने पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी. झारखंड के पुलिस कर्मियों को साइबर क्राइम के एडवांस टेक्निक की जानकारी उत्तराखंड साइबर क्राइम विभाग के डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने दी. उन्होंने कई महत्वपूर्ण बारीकियों को बताने का काम किया. झारखंड साइबर क्राइम की डिप्टी एसपी नेहा बाला ने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम से झारखंड पुलिस को काफी लाभ होता है. इस तरह के कार्यकर्म होते रहने चाहिए ताकि साइबर क्राइम के अपराध को कम किया जा सके.