रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व ओएसडी गोपालजी तिवारी की मुश्किलें बढ़ने वाली है. एंटी करप्शन ब्यूरो के जांच में गोपालजी तिवारी दोषी पाए गए हैं. मुख्यमंत्री के आदेश पर पूर्व ओएसडी के खिलाफ पीई दर्ज कर एंटी करप्शन ब्यूरो जांच कर रही थी. जांच में पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) ने गोपालजी तिवारी को पीई जांच में दोषी पाया है. जांच रिपोर्ट के आधार पर एसीबी ने गोपाल जी तिवारी पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की है.
मांगी अनुमति
एसीबी ने इस मामले में गोपाल जी तिवारी पर एफआईआर दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल, निगरानी और सचिवालय विभाग से अनुमति मांगी है. विभाग की अनुमति मिलने के बाद एसीबी इस मामले में एफआईआर करेगी.
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क्या है मामला
पद का दुरुपयोग कर गलत तरीके से रुपये कमाने और आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व विशेष कार्य पदाधिकारी गोपालजी तिवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर ली गई थी. अधिवक्ता राजीव कुमार के बयान पर दर्ज पीई में गोपालजी तिवारी पर गलत तरीके से संपत्ति अर्जित करने और करीब 21.55 करोड़ रुपये के निवेश करने का आरोप लगा था. अनाधिकृत रूप से विदेश यात्रा का आरोप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 24 जुलाई को ही अधिवक्ता राजीव कुमार की शिकायत पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में गोपालजी तिवारी के खिलाफ एसीबी से जांच कराने का आदेश दिया था.
चर्चित है मामला
यह पहला मामला है, जब मुख्यमंत्री ने अपने ही विशेष कार्य पदाधिकारी के खिलाफ एसीबी से जांच का आदेश दिया था. राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गोपालजी तिवारी वर्तमान में पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव हैं. वे पूर्व में मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी थे, जिस पद का उन्होंने त्याग कर दिया था.