रांचीः झारखंड के सभी थानों को सीसीटीएनएस योजना के तहत जोड़ने की प्रक्रिया की सुस्त गति पर डीजीपी अधीनस्थों से खफा हैं. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने इस संबंध में नए आदेश जारी किए हैं. डीजीपी ने आदेश दिया है कि राज्य भर के सभी थानों में अब एफआईआर रियल टाइम में अपडेट करें.
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क्या है डीजीपी का आदेश
झारखंड के अभी थानों को सीसीटीएनएस योजना के तहत जोड़ने की प्रक्रिया में शिथिलता के बाद डीजीपी ने इसमें तेजी लाने के आदेश दिए हैं. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने आदेश जारी कर कहा है कि एफआईआर, गिरफ्तारी की एंट्री, रियल टाइम पर नेटवर्क में की जाए. इसके लिए थानों में स्टेशन डायरी अपडेट रखें.
मैन पावर बढ़ाने के निर्देश
डीजीपी ने सभी पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देश दिया है कि काम मे तेजी लाने के लिए थानों में मैन पावर बढ़ाएं. 20 से कम एफआईआर जिन थानों में दर्ज होती है, वहां कम से कम दो, जबकि 20 से अधिक एफआईआर जिन थानों में दर्ज होती है, वहां सीसीटीएनएस में 3 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाए. इधर, राज्य में सीसीटीएनएस योजना के तहत इंट्रॉपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस), केस इन्फॉर्मेशन सिस्टम (ई-कोर्ट) को जोड़ने का काम हो चुका है.
क्या है सीसीटीएनएस योजना
दरअसल सीसीटीएनएस योजना झारखंड पुलिस की एक महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत झारखंड के सभी थानों को ऑनलाइन जोड़ना है, ताकि अगर रांची के किसी थाने में किसी अपराधी का डाटा फीड है तो उसकी जानकारी दुमका में बैठा पुलिस अधिकारी भी देख सके. इस योजना का मूल उद्देश्य राज्य के अपराधियों का डाटा और केसों की जानकारी पुलिस के लिए ऑनलाइन करना है ताकि जांच के काम में तेजी लाई जा सके.
अब तक कैसे होता है काम
थानों में एफआईआर, गिरफ्तारी और अंतिम प्रपत्र प्रविष्टि का कार्य दो माध्यम से किया जाता है. पहला सीधे ब्राउजर में अप्लीकेशन के माध्यम से और दूसरा सिस्टम में इंस्टाल अप्लीकेशन के माध्यम से. दूसरे माध्यम का डाटा नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध होने पर ही सिंक होकर स्टेट डाटा सेन्टर के माध्यम से नेशनल डाटा सेन्टर के सर्वर में पहुंचता है. इसके बाद यह कोर्ट के सिस्टम से भी जुड़ जाता है.
अब कैसे बदलेगा सिस्टम
एफआईआर की मैनुअल प्रति कोर्ट को 24 घंटे के भीतर प्रेषित किया जाना अनिवार्य होने के कारण थानों की ओर से मैनुअल प्रति तो ससमय कोर्ट को भेज दिया जाता है, परंतु रियल टाइम एंट्री नहीं होने के कारण या विभिन्न कारणों से तत्काल एंट्री नहीं करने या एट्री के बावजूद नेटवर्क बंद / अनुपलब्ध रहने के कारण प्राथमिकी एवं अंतिम प्रपत्र न्यायालय के सॉफ्टवेयर में कई कई दिनों के बाद प्राप्त होता है. ऐसी स्थिति में कोर्ट का कार्य बाधित होता है और ससमय मैनुअल और कोर्ट के सॉफ्टवेयर में की गई प्रविष्टि (डाटा) का मिलान नहीं हो पाता है. अब इस समस्या को दूर किया जा रहा है.
क्या है आदेश
- प्राथमिकी एवं अंतिम प्रपत्र न्यायालय को ससमय सॉफ्टवेयर पर उपलब्ध कराने के लिए सीसीटीएनएस में एंट्री का कार्य पूरी तरह ब्राउजर अप्लीकेशन में किया जाय. परंतु ऐसा करने के लिए 24x7 की तर्ज पर सक्रिय नेटवर्क/हार्डवेयर मैन-पावर की निर्भरता जरूरी है.
- थाने के कंप्यूटर सिस्टम में रियल टाइम एंट्री अनिवार्य कर समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
- नये ऑपरेटर तैयार करने के लिए प्रशिक्षण जिला स्तर पर दिया जाय. प्रशिक्षित ऑपरेटर का एक पूल तैयार कर उसकी सूची जिले के सीसीटीएनएस कार्यालय/रक्षित कार्यालय में संधारित किया जाय. साथ ही प्रशिक्षित ऑपरेटर के व्यवस्थापन में भी, पदनाम के साथ अलग से सीसीटीएनएस ऑपरेटर रिमार्क के रूप में अंकित किया जाय. पुलिस मुख्यालय की ओर से आरक्षी संवर्ग के व्यवस्थापन की मांग किए जाने पर उनके नाम के साथ टिप्पणी, अलग से "सीसीटीएनएस ऑपरेटर रिमार्क के रूप में अवश्य लिखा जाय.