रांची: केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. आंदोलन का मुख्य केंद्र मुख्य रूप से दिल्ली एनसीआर है. इधर भारत बंद और कृषि कानून पर ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से बातचीत की और भारत बंद पर उनकी राय पूछी. इस पर यहां के किसानों की मिलाजुली प्रतिक्रिया सामने आई.
क्या है किसानों का कहना
8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को लेकर किसानों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. भारत बंद को लेकर किसान मधु साहू का कहना है कि किसान खून पसीना बहा कर खेती करता है. लेकिन बदले में किसानों को उसका अधिकार नहीं मिलता है, पहले किसान पसीना बहाता था. इसलिए भारत बंदी का किसान पूरी तरह से समर्थन करेंगे.
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भारत बंद होने से किसानों का नुकसान
किसान नकुल महतो का कहना है कि झारखंड में कृषि कानून का कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि झारखंड में मुख्य रूप से छोटे किसान हैं. लेकिन कुछ राजनीतिक दल के लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेकने को लेकर इसका विरोध कर रहे हैं. भारत बंद होने से किसानों का ही नुकसान है.
'किसानों के प्रति सरकारी रवैया गलत'
किसान रामप्रसाद ने भारत बंद का समर्थन करते हुए कहा कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है आईएस का बेटा आईएस बनता है और किसान का बेटा किसान बनता है. लेकिन किसानों के प्रति सरकार रवैया बिल्कुल गलत है. किसानों से कभी भी कोई नहीं पूछता है. इसलिए अगर किसानों ने अपने हक को लेकर भारत बंद का आह्वान किया है तो उसको पूरा समर्थन रहेगा.
किसान संगठन का समर्थन
केंद्र सरकार की ओर से तीन कृषि कानून बिल पारित किए जाने के बाद पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के किसान उसका विरोध को लेकर सड़कों पर उतर गए हैं और इसी कड़ी में भारत बंद का भी आह्वान किया गया है. इस भारत बंद का तमाम विपक्षी दलों के किसान संगठन समर्थन में है.