ETV Bharat / state

कोरोना काल में छलका किसानों का दर्द: नहीं मिल पा रही लागत, ओने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही सब्जियां

कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन ने सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों की भी कमर तोड़ दी है. सब्जी का सही मूल्य नहीं मिलने के कारण वह अपनी पैदावार को सड़क पर फेंकने के लिए विवश हो रहे हैं. जिसके कारण क्षेत्र में टमाटर और अन्य सब्जियों की खेती करने वाले किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं.

vegetable farmers
किसान
author img

By

Published : Jun 13, 2020, 12:48 AM IST

रांची: कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन का असर राजधानी के सब्जी मार्केट में देखने को मिल रहा है. सब्जियों का दाम कम होने के बावजूद व्यापारियों को सब्जी बेचना मुश्किल हो रहा है. वहीं, दूसरी तरफ किसानों की बात करें तो लॉकडाउन, बेमौसम बारिश और बीच-बीच में हुए ओलावृष्टि के कारण किसानों को दोहरी मार पड़ी है. लॉकडाउन के कारण किसान अपनी फसल को अन्य राज्य में नहीं भेज पा रहे हैं. जिसके कारण किसानों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

क्या है सब्जी व्यापारियों का कहना

सब्जी मंडियों में सब्जी बेच रहे व्यापारियों का कहना है कि पहले अधिक कीमतों में सब्जी खरीद कर बाजार में बेचते थे तो अधिक मुनाफा होता था, लेकिन आज अधिक दाम में खरीद के लाने पर भी कम दामों पर बेचना पड़ रहा है. लॉकडाउन के पहले जो सब्जी अधिक दाम बिक रही थी, उस सब्जी का रेट आधा हो गया है. जिसके कारण व्यापारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

एक तरफ लोग लॉकडाउन होने की वजह से सब्जी को स्थानीय बाजार से शहर तक लाने और ले जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो दूसरी तरफ सब्जी नहीं बिकने के कारण नुकसान उठाना पड़ता है.

बाजार में आने से लगता है डर

खरीदार कहते हैं कि कीमत बाजारों में कम जरूर हुई है, लेकिन हम लोगों को बाजार आने में डर लगा हुआ रहता है. उन्होंने कहा कि सब्जी व्यापारी कम कीमतों में सब्जी खरीद कर बाजार में लाते हैं, तो कम कीमत में ही बेचते हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो स्थिति सामान्य ही है.

इस साल हुआ है कम मुनाफा

किसान खेतों में अपनी सब्जी को इस उम्मीद से लगाता है कि उसकी फसल अच्छे दामों में बिक सकेगी, लेकिन लॉकडाउन और ओलावृष्टि के कारण उनकी फसल को काफी नुकसान हुआ है. खेतों में पड़ी सब्जियां सड़ गयी हैं. जिसके कारण उनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. किसानों का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा वे इस साल काफी कम दामों में सब्जियों को बेचने पर मजबूर हैं.

कोरोना काल में सब्जी का दाम

सब्जी पहले (रुपए/किलो) अब (रुपए/किलो)
टमाटर60 रुपये 25- 30
बोदी 10-20 रूपये 25-30
नेनूआ10 रुपये 20 रूपये
खीरा 40 रुपये20
परवल 50 रुपये 30 रुपये
गाजर 60 रुपये40 रुपये
फूलगोभी40 रुपये30 रुपये
पत्ता गोभ20 रुपये 20 रुपये
शिमला 80-100 रुपये50-60 रुपये
धनिया पत्ता 90-100 रुपये 60-70 रुपये
हरा मिर्च 100 रुपये 25-30 रूपये
प्याज 40-50 रुपये16 रुपये
कोलिंस 60 रुपये 50 रुपये

भारत में फल और सब्जियों की खेती में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. भारतीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004-05 में भारत में 101.2 मिलियन टन सब्जी की पैदावार हुई थी, जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 184.40 मिलियन टन तक पहुंच गई, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि भारत में सबसे ज्यादा बर्बाद सब्जियां ही होती हैं.

ये भी पढ़ें-लॉकडाउन की वजह से गर्मी में पानी को लेकर इस वर्ष नहीं मचा हाहाकार, ड्राई जोन में भी मौजूद है पानी

इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजी इंडिया की रिपोर्ट

इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में फल और सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश अपनी खराब सप्लाई चेन, ट्रांसपोटेशन और कोल्ट स्टोरेज की पर्याप्त व्वयस्था न होने से हर साल करीब 13,300 करोड़ रुपए के उत्पादन बर्बाद कर देता है.

मंदी की मार झेलने को हैं विवश

राजधानी रांची के आसपास के इलाके सब्जी उत्पादन क्षेत्र के लिए काफी मशहूर माने जाते हैं. शहर के अलावा अन्य राज्यों में भी नगड़ी, बेड़ो, ओरमांझी, पिठोरिया जैसे स्थानीय बाजार से सब्जी खरीदकर भेजे जाते हैं, लेकिन इस वक्त हरी सब्जियां बाहर के राज्यों में नहीं जा पा रही है, जिसके कारण स्थानीय बाजार में ही आसानी से सब्जियां कम दामों में मिल रही है, लेकिन कोरोना भय सब्जी मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है और वे मंदी की मार झेलने को विवश हैं.

रांची: कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन का असर राजधानी के सब्जी मार्केट में देखने को मिल रहा है. सब्जियों का दाम कम होने के बावजूद व्यापारियों को सब्जी बेचना मुश्किल हो रहा है. वहीं, दूसरी तरफ किसानों की बात करें तो लॉकडाउन, बेमौसम बारिश और बीच-बीच में हुए ओलावृष्टि के कारण किसानों को दोहरी मार पड़ी है. लॉकडाउन के कारण किसान अपनी फसल को अन्य राज्य में नहीं भेज पा रहे हैं. जिसके कारण किसानों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

क्या है सब्जी व्यापारियों का कहना

सब्जी मंडियों में सब्जी बेच रहे व्यापारियों का कहना है कि पहले अधिक कीमतों में सब्जी खरीद कर बाजार में बेचते थे तो अधिक मुनाफा होता था, लेकिन आज अधिक दाम में खरीद के लाने पर भी कम दामों पर बेचना पड़ रहा है. लॉकडाउन के पहले जो सब्जी अधिक दाम बिक रही थी, उस सब्जी का रेट आधा हो गया है. जिसके कारण व्यापारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

एक तरफ लोग लॉकडाउन होने की वजह से सब्जी को स्थानीय बाजार से शहर तक लाने और ले जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो दूसरी तरफ सब्जी नहीं बिकने के कारण नुकसान उठाना पड़ता है.

बाजार में आने से लगता है डर

खरीदार कहते हैं कि कीमत बाजारों में कम जरूर हुई है, लेकिन हम लोगों को बाजार आने में डर लगा हुआ रहता है. उन्होंने कहा कि सब्जी व्यापारी कम कीमतों में सब्जी खरीद कर बाजार में लाते हैं, तो कम कीमत में ही बेचते हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो स्थिति सामान्य ही है.

इस साल हुआ है कम मुनाफा

किसान खेतों में अपनी सब्जी को इस उम्मीद से लगाता है कि उसकी फसल अच्छे दामों में बिक सकेगी, लेकिन लॉकडाउन और ओलावृष्टि के कारण उनकी फसल को काफी नुकसान हुआ है. खेतों में पड़ी सब्जियां सड़ गयी हैं. जिसके कारण उनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. किसानों का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा वे इस साल काफी कम दामों में सब्जियों को बेचने पर मजबूर हैं.

कोरोना काल में सब्जी का दाम

सब्जी पहले (रुपए/किलो) अब (रुपए/किलो)
टमाटर60 रुपये 25- 30
बोदी 10-20 रूपये 25-30
नेनूआ10 रुपये 20 रूपये
खीरा 40 रुपये20
परवल 50 रुपये 30 रुपये
गाजर 60 रुपये40 रुपये
फूलगोभी40 रुपये30 रुपये
पत्ता गोभ20 रुपये 20 रुपये
शिमला 80-100 रुपये50-60 रुपये
धनिया पत्ता 90-100 रुपये 60-70 रुपये
हरा मिर्च 100 रुपये 25-30 रूपये
प्याज 40-50 रुपये16 रुपये
कोलिंस 60 रुपये 50 रुपये

भारत में फल और सब्जियों की खेती में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. भारतीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004-05 में भारत में 101.2 मिलियन टन सब्जी की पैदावार हुई थी, जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 184.40 मिलियन टन तक पहुंच गई, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि भारत में सबसे ज्यादा बर्बाद सब्जियां ही होती हैं.

ये भी पढ़ें-लॉकडाउन की वजह से गर्मी में पानी को लेकर इस वर्ष नहीं मचा हाहाकार, ड्राई जोन में भी मौजूद है पानी

इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजी इंडिया की रिपोर्ट

इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में फल और सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश अपनी खराब सप्लाई चेन, ट्रांसपोटेशन और कोल्ट स्टोरेज की पर्याप्त व्वयस्था न होने से हर साल करीब 13,300 करोड़ रुपए के उत्पादन बर्बाद कर देता है.

मंदी की मार झेलने को हैं विवश

राजधानी रांची के आसपास के इलाके सब्जी उत्पादन क्षेत्र के लिए काफी मशहूर माने जाते हैं. शहर के अलावा अन्य राज्यों में भी नगड़ी, बेड़ो, ओरमांझी, पिठोरिया जैसे स्थानीय बाजार से सब्जी खरीदकर भेजे जाते हैं, लेकिन इस वक्त हरी सब्जियां बाहर के राज्यों में नहीं जा पा रही है, जिसके कारण स्थानीय बाजार में ही आसानी से सब्जियां कम दामों में मिल रही है, लेकिन कोरोना भय सब्जी मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है और वे मंदी की मार झेलने को विवश हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.