रांची: कोरोना वायरस दिन प्रतिदिन देश और राज्य के लिए संकट बनता जा रहा है. कोरोना के बढ़ते मरीज राज्य सरकार और स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर रही है, लेकिन राज्य सरकार इस चुनौती से लड़ने के लिए हर संभव प्रयास भी कर रही है.
कोरोना की दवा की शोध
एक तरफ कोरोना को हराने के लिए देश भर के डॉक्टर और वैज्ञानिक कोरोना की दवा की शोध में लगे हुए हैं. वहीं, दूसरी ओर कोरोना के बढ़ते मरीजों को स्वस्थ करने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था इलाज के हर पद्धति को अपना रहे हैं. ऐसे में प्लाजमा थेरेपी कोरोना के मरीजों को स्वस्थ करने में काफी कारगर साबित हो रहा है और इस पद्धति के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में मरीजों का इलाज भी किया जा रहा है.
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कोरोना मरीजों की इलाज के लिए झारखंड में होगा बेहतर विकल्प
दूसरे राज्यों के बाद अब झारखंड में भी इस पद्धति को अपनाने की शुरुआत कर दी गई है, ताकि कोरोना के ज्यादा से ज्यादा मरीज इस माध्यम से स्वस्थ हो सकें. इसको लेकर रिम्स के कोविड वार्ड और ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्य से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. रिम्स के कोविड-19 वार्ड के इंचार्ज प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि यह उम्मीद जताई जा सकती है कि प्लाजमा थेरेपी के बाद कोरोना मरीजों की इलाज के लिए झारखंड में एक बेहतर विकल्प होगा. इसको लेकर माइक्रोबायोलॉजी विभाग ब्लड बैंक ऑफ क्लीनिकल डिपार्टमेंट की ओर से सभी तरह की तैयारियां कर ली गई है.
क्या है प्लाजमा थेरेपी ?
प्लाज्मा थेरेपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है. जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोई हानिकारक वायरस या बैक्टीरिया दाखिल हो जाता है तो उसके खिलाफ शरीर में पहले से मौजूदा एंटीबॉडी लड़ता है और शरीर में मौजूद एंटीबॉडी वायरस से अगर हार जाता है तो शरीर बीमार हो जाता है. ठीक उसी प्रकार प्लाजमा थेरेपी में कोरोना से ठीक से मरीजों के ब्लड सैंपल को एकत्रित कर कोरोना के मरीज के शरीर में डाला जाता है. इसके लिए ठीक है मरीजों को कांटेक्ट कर उसे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रेरित किया जाता है, ताकि जो भी मरीज बीमार हैं, उनका इलाज बेहतर तरीके से हो सके. इसकी शुरुआत राजधानी में 28 जुलाई से होगी, जिसका शुभारंभ राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद करेंगे.