रांची: कोविड-19 का दायरा झारखंड में लगातार बढ़ रहा है. पिछले 7 दिनों में संक्रमित मरीजों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. शायद ही कोई मिले जिस पर इस वायरस का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव न पड़ा हो. अब सवाल है कि झारखंड की फिल्म इंडस्ट्री इससे कितनी प्रभावित हुई है. फिल्म से जुड़े कलाकारों के साथ-साथ लोक कलाकारों पर इसका कितना प्रभाव पड़ा है. किस तरह की चुनौतियों से सामना होना है. ऐसे कुछ सवालों को लेकर ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने बात की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित फिल्म मेकर और सोशल एक्टिविस्ट मेघनाथ से.
छऊ से जुड़े कलाकारों को अच्छा खासा प्लेटफार्म
मेघनाथ जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि बेशक झारखंड ने प्रियंका चोपड़ा जैसी हीरोइन और इम्तियाज अली जैसा डायरेक्टर दिया, लेकिन सच यह है कि झारखंड की फिल्म इंडस्ट्री पर कोविड-19 का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. क्योंकि यहां की फिल्म इंडस्ट्री व्यवस्थित है ही नहीं. यहां पूर्वर्ती रघुवर सरकार की पॉलिसी की वजह से कई फिल्में बनी भी, लेकिन यहां के स्थानीय कलाकारों को कोई खास इससे फायदा नहीं मिला. हां, इसका सबसे ज्यादा प्रभाव रंगमंच और फोक कलाकारों पर पड़ा है. नाटकों का मंचन नहीं हो पा रहा है शादी के सीजन में छऊ से जुड़े कलाकारों को अच्छा खासा प्लेटफार्म मिलता था जो पूरी तरह बंद हो चुका है.
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कलाकारों को आर्थिक सहयोग की जरूरत
मेघनाथ जी ने बताया कि फिलहाल वह यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि इस वायरस का ग्रामीण क्षेत्रों पर कितना प्रभाव पड़ा है और संक्रमण के दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में किस तरह बदलाव आ सकता है. उन्होंने बताया कि संक्रमण के इस दौर में सभी प्रभावित हुए हैं. लिहाजा कलाकारों को आर्थिक सहयोग की जरूरत है. फिलहाल विपदा की इस घड़ी को चुनौती के रूप में न देखकर अवसर के रूप में देखने की जरूरत है. समय आ गया है कि गांधीजी के ग्राम स्वराज के सपने को जमीन पर उतारा जाए. आपको बता दें कि मेघनाथ जी को 'नाची से बाची', 'एक रोपा धान', 'आयरन इज हॉट नमक', जैसी नॉन फिचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.