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झारखंड में शिक्षा विभाग का नया फैसला, बोर्ड परीक्षआओं के तर्ज पर होगी सातवीं तक के कॉपियों का मूल्यांकन

झारखंड में शिक्षा विभाग ने एक नया फैसला लिया है. फैसले के तहत कहा गया है कि अब पहली से सातवीं तक के कॉपियों का मूल्यांकन भी आठवीं, नौवीं, मैट्रिक और इंटर के तर्ज पर ही होगी. अपने ही स्कूल (होम सेंटर) में विद्यार्थियों की कॉपियों की जांच नहीं होगी. इसे लेकर विभागीय स्तर पर एक दिशा निर्देश भी जारी किया गया है.

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Published : Jun 25, 2022, 2:13 PM IST

रांची: झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई में गुणवत्ता आये. इसे लेकर लगातार नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में शिक्षा विभाग ने एक और फैसला लिया है, जिसके तहत अब पहली से सातवीं तक के विद्यार्थियों के उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन (कॉपियों की जांच) जिस स्कूल में विद्यार्थी पढ़ते हैं, उस स्कूल में नहीं होगी. किसी अन्य स्कूल को कॉपियों की जांच की जिम्मेदारी दी जाएगी. यानी होम सेंटर में अब कॉपियों की जांच नहीं की जाएगी. साथ ही यह मूल्यांकन बोर्ड परीक्षाओं के तर्ज पर होगी. यानी जिस तरीके से आठवीं से लेकर 12वीं तक की कॉपियों की जांच होती है, जो मूल्यांकन का मापदंड है. उसी मापदंड को आधार बनाते हुए पहली से लेकर सातवीं तक के विद्यार्थियों के कॉपियों की जांच भी की जाएगी.

इसे भी पढ़ें: स्कूल ड्रेस का रंग बदलने पर बोले शिक्षा मंत्री, गेरुआ नहीं हरियाली है राज्य की पहचान


बताते चलें कि एक जुलाई से स्कूलों में नया सत्र शुरू हो रहा है. इस नए सत्र को लेकर विभाग और भी योजनाओं पर काम कर रही है. उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बाद संबंधित विद्यार्थी के अभिभावक को कॉपी दिखाई जाएगी. स्कूलों में बुलाकर ही अभिभावकों को रिपोर्ट कार्ड दिया जाएगा. बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करने के लिए अभिभावक और शिक्षकों के बीच प्रत्येक माह बैठक भी होगी. जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भी विभागीय स्तर पर आदेश है कि नामांकित विद्यार्थियों की उपस्थिति बेहतर हो, इसे लेकर वह लगातार स्कूलों का निरीक्षण करेंगे. वहीं एक स्कूल के विद्यार्थियों का दूसरे स्कूलों के शिक्षकों द्वारा कॉपियों की जांच प्रक्रिया में भी वह निगरानी रखेंगे, ताकि मूल्यांकन काम में पारदर्शिता बरती जाए.

रांची: झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई में गुणवत्ता आये. इसे लेकर लगातार नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में शिक्षा विभाग ने एक और फैसला लिया है, जिसके तहत अब पहली से सातवीं तक के विद्यार्थियों के उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन (कॉपियों की जांच) जिस स्कूल में विद्यार्थी पढ़ते हैं, उस स्कूल में नहीं होगी. किसी अन्य स्कूल को कॉपियों की जांच की जिम्मेदारी दी जाएगी. यानी होम सेंटर में अब कॉपियों की जांच नहीं की जाएगी. साथ ही यह मूल्यांकन बोर्ड परीक्षाओं के तर्ज पर होगी. यानी जिस तरीके से आठवीं से लेकर 12वीं तक की कॉपियों की जांच होती है, जो मूल्यांकन का मापदंड है. उसी मापदंड को आधार बनाते हुए पहली से लेकर सातवीं तक के विद्यार्थियों के कॉपियों की जांच भी की जाएगी.

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बताते चलें कि एक जुलाई से स्कूलों में नया सत्र शुरू हो रहा है. इस नए सत्र को लेकर विभाग और भी योजनाओं पर काम कर रही है. उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बाद संबंधित विद्यार्थी के अभिभावक को कॉपी दिखाई जाएगी. स्कूलों में बुलाकर ही अभिभावकों को रिपोर्ट कार्ड दिया जाएगा. बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करने के लिए अभिभावक और शिक्षकों के बीच प्रत्येक माह बैठक भी होगी. जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भी विभागीय स्तर पर आदेश है कि नामांकित विद्यार्थियों की उपस्थिति बेहतर हो, इसे लेकर वह लगातार स्कूलों का निरीक्षण करेंगे. वहीं एक स्कूल के विद्यार्थियों का दूसरे स्कूलों के शिक्षकों द्वारा कॉपियों की जांच प्रक्रिया में भी वह निगरानी रखेंगे, ताकि मूल्यांकन काम में पारदर्शिता बरती जाए.

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