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World Tribal Day 2021: बोलीं गीता कोड़ा- केंद्र सरकार आदिवासियों पर नहीं दे रही ध्यान, जनगणना में अलग कॉलम दें

आज विश्व आदिवासी दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने झारखंड की आदिवासी महिला सांसद गीता कोड़ा से बात की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आदिवासियों पर ध्यान नहीं दे रही है. जनगणना में आदिवासियों को अलग कॉलम दिया जाए.

Geeta Koda
सांसद गीता कोड़ा
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Published : Aug 9, 2021, 4:07 PM IST

नई दिल्ली: विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) पर आदिवासी नेत्री और झारखंड से कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा (Geeta Koda) ने आदिवासी समाज को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की संख्या कम होती जा रही है. यह चिंता का विषय है. केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह है कि आदिवासियों की रक्षा करने के लिए जितने कानून बने हैं, उसको सख्ती से लागू किया जाए ताकि सामाजिक रूप से आदिवासियों का सशक्तिकरण हो.

यह भी पढ़ें: World Tribal Day: आदिवासी जनगणना में अलग कॉलम की कर रहे मांग, उठा सरना धर्म कोड का मुद्दा

मोदी सरकार पर बोला हमला

गीता कोड़ा ने कहा कि मोदी सरकार के शासनकाल में आदिवासियों की स्थिति ठीक नहीं है. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों पर कोई चर्चा नहीं हुई और न ही आदिवासियों को शुभकामनाएं दी गई. यह दुखद है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की आय में वृद्धि हो, उनकी आजीविका चलती रहे और उनके उत्पाद का बेहतर कीमत मिले. साथ ही उत्पादों को बेचने के लिए बड़ा बाजार मिले. आदिवासी छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए केंद्र सरकार ने ट्राइब्स इंडिया का शोरूम खोला. वन धन योजना शुरू की. एकलव्य मॉडल विद्यालयों की संख्या बढ़ाए जाने की घोषणा की. लेकिन, जमीन पर कोई भी योजना सरकार की सफल नहीं हो रही है.

सांसद गीता कोड़ा से बात की संवाददाता शशांक कुमार ने.

जनगणना में अलग कॉलम देने की मांग

कांग्रेस सांसद ने कहा कि सभी घोषणाएं और योजनाएं हवा-हवाई साबित हो रही हैं. उन्होंने कहा-"मैं सारंडा का प्रतिनिधित्व करती हूं. वहां पर एशिया का सबसे बड़ा जंगल है लेकिन वहां पर केंद्र सरकार का कोई प्रोजेक्ट नहीं चल रहा है. मोदी सरकार आदिवासियों की हितैषी नहीं है. केंद्र सरकार आदिवासियों का उत्थान करना चाहती है तो उनको बेहतर शिक्षा दें. जनगणना (Census) में उनको अलग कॉलम दें. जनगणना में आदिवासियों की संख्या का पता चलेगा. आदिवासियों की संख्या काफी है. आज आदिवासियों को कभी हिंदू बना दिया जा रहा है तो कभी कुछ और. आदिवासियों को आदिवासी रहने दिया जाए."

बता दें 9 अगस्त को हर साल अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है. दुनिया भर में आदिवासी समुदाय की संख्या करीब 37 करोड़ है जिसमें 500 अलग-अलग आदिवासी समुदाय हैं और इनकी करीब 7 हजार भाषाएं हैं. आदिवासी समाज के उत्थान और उनकी संस्कृति और सम्मान को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस हर साल मनाया जाता है. झारखंड में 26% आबादी आदिवासियों की है. झारखंड में 32 आदिवासी जनजातियां रहती हैं.

नई दिल्ली: विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) पर आदिवासी नेत्री और झारखंड से कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा (Geeta Koda) ने आदिवासी समाज को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की संख्या कम होती जा रही है. यह चिंता का विषय है. केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह है कि आदिवासियों की रक्षा करने के लिए जितने कानून बने हैं, उसको सख्ती से लागू किया जाए ताकि सामाजिक रूप से आदिवासियों का सशक्तिकरण हो.

यह भी पढ़ें: World Tribal Day: आदिवासी जनगणना में अलग कॉलम की कर रहे मांग, उठा सरना धर्म कोड का मुद्दा

मोदी सरकार पर बोला हमला

गीता कोड़ा ने कहा कि मोदी सरकार के शासनकाल में आदिवासियों की स्थिति ठीक नहीं है. संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों पर कोई चर्चा नहीं हुई और न ही आदिवासियों को शुभकामनाएं दी गई. यह दुखद है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की आय में वृद्धि हो, उनकी आजीविका चलती रहे और उनके उत्पाद का बेहतर कीमत मिले. साथ ही उत्पादों को बेचने के लिए बड़ा बाजार मिले. आदिवासी छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए केंद्र सरकार ने ट्राइब्स इंडिया का शोरूम खोला. वन धन योजना शुरू की. एकलव्य मॉडल विद्यालयों की संख्या बढ़ाए जाने की घोषणा की. लेकिन, जमीन पर कोई भी योजना सरकार की सफल नहीं हो रही है.

सांसद गीता कोड़ा से बात की संवाददाता शशांक कुमार ने.

जनगणना में अलग कॉलम देने की मांग

कांग्रेस सांसद ने कहा कि सभी घोषणाएं और योजनाएं हवा-हवाई साबित हो रही हैं. उन्होंने कहा-"मैं सारंडा का प्रतिनिधित्व करती हूं. वहां पर एशिया का सबसे बड़ा जंगल है लेकिन वहां पर केंद्र सरकार का कोई प्रोजेक्ट नहीं चल रहा है. मोदी सरकार आदिवासियों की हितैषी नहीं है. केंद्र सरकार आदिवासियों का उत्थान करना चाहती है तो उनको बेहतर शिक्षा दें. जनगणना (Census) में उनको अलग कॉलम दें. जनगणना में आदिवासियों की संख्या का पता चलेगा. आदिवासियों की संख्या काफी है. आज आदिवासियों को कभी हिंदू बना दिया जा रहा है तो कभी कुछ और. आदिवासियों को आदिवासी रहने दिया जाए."

बता दें 9 अगस्त को हर साल अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है. दुनिया भर में आदिवासी समुदाय की संख्या करीब 37 करोड़ है जिसमें 500 अलग-अलग आदिवासी समुदाय हैं और इनकी करीब 7 हजार भाषाएं हैं. आदिवासी समाज के उत्थान और उनकी संस्कृति और सम्मान को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस हर साल मनाया जाता है. झारखंड में 26% आबादी आदिवासियों की है. झारखंड में 32 आदिवासी जनजातियां रहती हैं.

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