रांची: झारखंड की पूर्ववर्ती सरकार में कथित तौर पर महत्वपूर्ण पदों पर तैनात 10 से अधिक इंजीनियरों का ट्रांसफर किया गया है. पथ निर्माण विभाग में तैनात इन इंजीनियरों को कथित रूप से घोटाला उजागर होने के बाद स्थानांतरित किया गया है.
केंद्रीय निरूपण संगठन पथ निर्माण विभाग का अतिरिक्त प्रभार
जिन इंजीनियरों का तबादला हुआ है, उनमें रांची नगर निगम में तैनात मुख्य अभियंता राजदेव सिंह को मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग में वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया है, जबकि दुमका में ग्रामीण विकास विभाग में तैनात सुपरिटेंडेंट इंजीनियर सुरेश कुमार को रांची बुला लिया गया है. वहीं, धनबाद नगर निगम में तैनात नरेंद्र प्रसाद शर्मा को झारखंड राज्य आवास बोर्ड में तैनात किया गया है. इसके अलावा चाईबासा में तैनात अरविंद पांडे को केंद्रीय निरूपण संगठन पथ निर्माण विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, साथ ही उन्हें गुण नियंत्रण निदेशालय में स्थानांतरित किया गया है.
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वेटिंग फॉर पोस्टिंग
अधीक्षण अभियंता निरूपण भवन निर्माण विभाग में तैनात ललित कुमार टिबरेवाल को रांची में भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत किया गया है, जबकि भवन निर्माण विभाग में तैनात अधीक्षण अभियंता सुदर्शन चौबे को दुमका से रांची स्थित नगर विकास विभाग में वेटिंग फॉर पोस्टिंग पर रखा गया है.
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मंत्रिमंडल सचिवालय निगरानी विभाग
हजारीबाग में पथ निर्माण विभाग में तैनात अधीक्षण अभियंता जयप्रकाश सिंह को निरूपण केंद्रीय निरूपण संगठन में पदस्थापित किया गया है, जबकि राष्ट्रीय उच्च पथ और अंचल पथ निर्माण विभाग को धनबाद में तैनात सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर अजय रजक को झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची में पोस्टिंग दी गई है. सिंहराय टूटी को राष्ट्रीय उच्च पथ और अंचल पथ निर्माण विभाग रांची पर पदस्थापित किया गया है. सुरेंद्र कुमार को भी अगले आदेश तक मंत्रिमंडल सचिवालय निगरानी विभाग में सेवा देने का निर्देश दिया गया है.
घोटालों की चल रही है जांच
वहीं, अरुण कुमार सिंह को गुण नियंत्रण निदेशालय और पथ निर्माण विभाग को ग्रामीण विकास विभाग में वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया है. यह कार्रवाई राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग और पथ निर्माण विभाग समेत अन्य कार्य विभाग में कथित घोटालों की चल रही जांच के बाद की गई है. बता दें कि पथ निर्माण विभाग में फर्जी टेंडर और बढ़े हुए शेडूल ऑफ रेट के घोटाले सामने आए हैं.