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मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की जगह शुरू की मशरूम की खेती, आत्मनिर्भर बनने के साथ 100 लोगों को दे रखा है रोजगार

रांची के एक युवा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की जगह मशरूम की खेती शुरू की. यह सक्सेसफुल रहा और आज आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ राहुल ने 100 लोगों को रोजगार भी दिया है.

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Published : Aug 28, 2021, 10:44 PM IST

Updated : Aug 29, 2021, 5:44 PM IST

Mushroom farming in ranchi
रांची में मशरूम की खेती

रांची: आम तौर पर युवाओं का सपना पढ़ाई लिखाई कर मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी या सरकारी नौकरी पाना होता है. लेकिन कोई युवा अगर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर गांव लौट आए और मशरूम की खेती कर न सिर्फ आत्मनिर्भर बने बल्कि 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए तो कहा जा सकता है कि झारखंड में बदलाव की नई बयार बहने लगी है.

दरअसल, रांची के राहुल अग्रवाल ने ओडिशा के बीपीटीयू यूनिवर्सिटी से 2016 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद राहुल ने नौकरी करने की जगह जॉब क्रिएटर बनने की सोची. राहुल ने हिमाचल प्रदेश से सोलन के आईसीएआर से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली और नगड़ी में मशरूम उत्पादन का प्लांट लगाया. आज यहां हर दिन एक हजार किलो मशरूम का उत्पादन हो रहा है.

यह भी पढ़ें: बिहार में मिला चीन में पाया जाने वाला 'गैनोडर्मा मशरूम', कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

बिहार, झारखंड, ओडिशा और बंगाल में होती है सप्लाई

राहुल के जेपीजेड नाम से मशरूम उत्पादन केंद्र में 100 से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजगार पा रहे हैं. इसमें 80 महिलाएं और 20 पुरुष हैं. यहां काम करने वाली मोनिका खलखो और रेशमा मुंडा बताती हैं कि कोरोना काल में भी हर दिन 200 रुपए की कमाई हो जाती है. इससे वे काफी खुश हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

राहुल के काम से खुश कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि ऐसे युवाओं को सरकार हर तरह की मदद करेगी. उन्होंने कहा कि राहुल के जॉब क्रिएटर बनने की कहानी उत्साहवर्धक है. सरकार ऐसे युवाओं को हर तरह से प्रोत्साहित करेगी. सरकार बजट के लिए भी ऐसे युवाओं की सलाह लेगी.

उत्पादन को विस्तार देने की योजना

इंजीनियर राहुल अब अपने प्लांट को विस्तार देने में लग गए है. 1000 किलो प्रति दिन उत्पादन का एक और प्लांट तैयार हो रहा है और यहां भी 100 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर राहुल मशरूम के लिए बीज यानि स्पान भी खुद तैयार करेंगे. राहुल की इच्छा है कि राज्य के किसान कम से कम 4 महीने अपने-अपने घरों में मशरूम उगाएं ताकि उनकी आय का एक और स्रोत बढ़ सके.

रांची: आम तौर पर युवाओं का सपना पढ़ाई लिखाई कर मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी या सरकारी नौकरी पाना होता है. लेकिन कोई युवा अगर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर गांव लौट आए और मशरूम की खेती कर न सिर्फ आत्मनिर्भर बने बल्कि 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए तो कहा जा सकता है कि झारखंड में बदलाव की नई बयार बहने लगी है.

दरअसल, रांची के राहुल अग्रवाल ने ओडिशा के बीपीटीयू यूनिवर्सिटी से 2016 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद राहुल ने नौकरी करने की जगह जॉब क्रिएटर बनने की सोची. राहुल ने हिमाचल प्रदेश से सोलन के आईसीएआर से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली और नगड़ी में मशरूम उत्पादन का प्लांट लगाया. आज यहां हर दिन एक हजार किलो मशरूम का उत्पादन हो रहा है.

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राहुल के जेपीजेड नाम से मशरूम उत्पादन केंद्र में 100 से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजगार पा रहे हैं. इसमें 80 महिलाएं और 20 पुरुष हैं. यहां काम करने वाली मोनिका खलखो और रेशमा मुंडा बताती हैं कि कोरोना काल में भी हर दिन 200 रुपए की कमाई हो जाती है. इससे वे काफी खुश हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

राहुल के काम से खुश कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि ऐसे युवाओं को सरकार हर तरह की मदद करेगी. उन्होंने कहा कि राहुल के जॉब क्रिएटर बनने की कहानी उत्साहवर्धक है. सरकार ऐसे युवाओं को हर तरह से प्रोत्साहित करेगी. सरकार बजट के लिए भी ऐसे युवाओं की सलाह लेगी.

उत्पादन को विस्तार देने की योजना

इंजीनियर राहुल अब अपने प्लांट को विस्तार देने में लग गए है. 1000 किलो प्रति दिन उत्पादन का एक और प्लांट तैयार हो रहा है और यहां भी 100 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर राहुल मशरूम के लिए बीज यानि स्पान भी खुद तैयार करेंगे. राहुल की इच्छा है कि राज्य के किसान कम से कम 4 महीने अपने-अपने घरों में मशरूम उगाएं ताकि उनकी आय का एक और स्रोत बढ़ सके.

Last Updated : Aug 29, 2021, 5:44 PM IST
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