रांचीः प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को अपने कैबिनेट सहयोगियों की एक आपात बैठक बुलाई जिसमें राज्य में चल रही विकास योजनाओं को रफ्तार देने पर फैसला हुआ. स्टेट सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट बिल्डिंग में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री समेत राज्य सरकार के छह मंत्री मौजूद रहे. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि विकास की रफ्तार राज्य में बढ़ाई जाएगी. हालांकि उन्होंने इस से ज्यादा कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.
वहीं ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि विभागों में जो काम हो रहा है उसको लेकर भी बात हुई. उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद लॉकडाउन की घोषणा हो गई. इन 9 महीने सरकार में उसमें छह-सात महीना लॉकडाउन में फंस गए. उन्होंने कहा कि जो कमिटमेंट था आम जनता के बीच किया गया उसे कैसे पूरा किया जाए इसपर चर्चा हुई. साथ ही अपने मैनिफेस्टो से काम को कैसे करें इस पर विचार हुआ. साथ ही हर विभाग जो विभाग में जो लंबित काम है उसको जल्द से जल्द किया जाएगा.
योजनाओं को मूर्त रूप देने पर हुई चर्चा
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोरोना के कारण जो काम बाकी था उसमें तेजी लाने का निर्णय हुआ है. उन्होंने कहा कि उनके विभाग की ओर से 15 लाख लोगों को राशन देने को लेकर चर्चा हुई. शिक्षा और उत्पाद विभाग के मंत्री जगन्नाथ महतो ने कहा कि यह एक आपात बैठक थी जिसमें झारखंड विकास में तेजी लाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है. महतो ने कहा कि विकास तेजी लाना और तेजी से जनता के काम को सुलझाना है यही मीटिंग का एजेंडा था.
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चरमराई अर्थव्यवस्था को संभालेगी सरकार
वहीं पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि कोरोना काल से ही नहीं बल्कि चरमराई अर्थव्यवस्था में कैसे सरकार उबरे इसपर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि इन समस्याओं से पूरी तरह से उबरने के लिए सरकार प्रयत्नशील है. साथ ही बहुत जल्द जो भी वादे किये गए हैं उन्हें पूरा किया जाएगा.
एनजीटी के दंड मामले पर सीएम ने कहा देखकर करेंगे टिप्पणी
वहीं एनजीटी के एक निर्णय पर सीएम सोरेन ने कहा कि पूरा मामला देखने के बाद ही सरकार कोई टिप्पणी करेगी. सीएम ने कहा कि पहले उस निर्णय का आंकलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि चाहे हाई कोर्ट भवन चाहे विधानसभा चाहे कोई भी इमारत बने उसमें कानून है. सीएम ने कहा कि सरकार किसी भी गलत कार्य को प्रोत्साहन नहीं देती है. उन्होंने कहा कि एनजीटी का पत्र देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.