रांची: स्वतंत्रता दिवस को लेकर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने गाइडलाइन जारी कर दिया है. शिक्षा विभाग ने राज्य के तमाम आरडीडीई, डीईओ और डीएसई को निर्देश दिया है कि स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले समारोह स्थल की साफ-सफाई समुचित किया जाए और सीमित सदस्य ही समारोह स्थल पहुंचे. इसके अलावा चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और स्वच्छता कर्मियों को भी झंडोत्तोलन के वक्त आमंत्रित करें.
भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब स्वतंत्रता दिवस के दिन स्कूली बच्चे स्कूल नहीं आएंगे और झंडोत्तोलन समारोह में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. दरअसल कोरोना महामारी को देखते हुए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से एक गाइडलाइन जारी हुआ है और इस गाइडलाइन के तहत शिक्षा विभाग ने राज्य के तमाम शिक्षा पदाधिकारियों को विशेष दिशा निर्देश दिया है. स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से कहा गया है कि स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले तमाम समारोह स्थलों को सेनेटाइज किया जाए और साफ-सफाई समुचित किया जाए.
स्कूली विद्यार्थियों को स्कूलों में बुलाने की अनुमति नहीं है. किसी भी तरह की गैदरिंग पर मनाही है. समारोह स्थल में सेनेटाइजर, मास्क और कोविड-19 के तहत जारी गाइडलाइन में सम्मिलित तमाम सुरक्षात्मक वस्तुओं को भी रखना है. गाइडलाइन के तहत यह भी कहा गया है कि कुर्सियों के बीच दूरी हो, डबल या ट्रिपल सीट का सोफा का उपयोग किसी भी समारोह स्थल में नहीं होना चाहिए. विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए ऑनलाइन व्यवस्थाओं का उपयोग करें. इसके अलावा ऑनलाइन डिबेट, वाद विवाद प्रतियोगिता, देश भक्ति संगीत, गाना जैसे गतिविधियों को संचालित करें. समारोह स्थल में झंडोत्तोलन की गतिविधियों की फोटोग्राफी कर डीजी साथ एप में सेंड भी स्कूल प्रबंधन करें.
विभाग ने अपने तमाम शिक्षा पदाधिकारियों को यह निर्देश भी दिया है कि वे समारोह में कोरोना फाइटर के रूप में काम कर रहे चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और स्वच्छताकर्मियों को भी आमंत्रित करें.
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शिक्षा मंत्री ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वीसी से की बातचीत
इधर हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय में इंटरमीडिएट में नामांकन बंद करने की प्रक्रिया से राज्य के शिक्षा मंत्री नाखुश हैं. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने विश्वविद्यालय के कुलपति मुकुल नारायण देव से बात कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो इसे लेकर मंथन करने की सलाह दी है.
उन्होंने दूरभाष के माध्यम से वीसी से बातचीत की है और कहा है कि अचानक कोरोना महामारी के बीच इस तरीके का डिसीजन विद्यार्थियों के हित में नहीं है. रामगढ़, हजारीबाग, गिरिडीह, चतरा, कोडरमा जैसे क्षेत्रों के हजारों विद्यार्थियों के सामने इस निर्णय के बाद समस्या आ गई है. ऐसे में यह सत्र विद्यार्थियों का खराब न हो इसे देखते हुए इस निर्णय को विश्वविद्यालय बदले. हालांकि कुलपति ने शिक्षा मंत्री को यूजीसी की गाइडलाइन का हवाला दिया है. इसके बावजूद उन्होंने कहा है कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में निर्देश मिलने पर नामांकन की प्रक्रिया इस सत्र में शुरू की जा सकती है.