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सदन में बोले शिक्षा मंत्री, सरकारी स्कूलों में विधायक-अधिकारी के बच्चे पढ़ेंगे तो बदल जाएगी व्यवस्था

झारखंड विधानसभा बजट सत्र के दौरान बृहस्पतिवार को शिक्षा विभाग का बजट पारित हो गया. बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने कटौती प्रस्ताव लाकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए.

Education Department budget passed from Jharkhand Assembly
Education Department budget passed from Jharkhand Assembly
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Published : Mar 10, 2022, 9:34 PM IST

रांची: शिक्षा विभाग का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. अनंत ओझा ने कटौती प्रस्ताव लाकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए. लेकिन बजट पर चर्चा के दौरान सबसे खास रहा मंत्री जगरनाथ महतो का जवाब. अब तक चले बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान ऐसा पहली बार हुआ जब सरकार के जवाब के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक सदन में मौजूद रहे. मंत्री जगरनाथ महतो ने स्वीकार किया कि कोविड की वजह से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि तमाम चुनौतियों के बावजूद हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने शिक्षा व्यवस्था की तमाम खामियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं.

ये भी पढ़ें- झारखंड आंदोलनकारियों को नहीं मिलेगा स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा, आयोग को दी जाएगी मजबूती

उन्होंने शिक्षा को बेहतर करने के लिए विपक्ष से भी प्रस्ताव देने की मांग की. साथ ही यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में बदलाव लाना है तो मंत्री, विधायक और अधिकारियों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना होगा. सिर्फ भाषणबाजी से बदलाव नहीं होगा. विभागीय मंत्री ने सदन को भरोसा दिलाया कि शिक्षा के लिए बजट में जो भी राशि आवंटित की गयी है, उसे पूरी तरह खर्च किया जाएगा. अगले साल किसी को सवाल उठाने का मौका नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने 125 स्कूलों को उत्क्रमित कर प्लस टू कर दिया है. पंचायत स्तर तक के स्कूलों में भी इंग्लिश की पढ़ाई सुनिश्चित कराई जाएगी. तैयार हो रहे मॉडल स्कूलों में पढ़ाई का मॉडल भी बदलेगा.

सदन में एक दूसरे पर खूब ली गई चुटकी: अपना पक्ष रखते हुए मंत्री जगन्नाथ महतो ने कई विपक्षी विधायकों पर चुटकी भी ली. उन्होंने भानू प्रताप शाही के बारे में कहा कि आप जब तक अपनी पार्टी चला रहे थे, तब तक क्रांतिकारी दिखते थे. लेकिन भाजपा में जाते ही सच बोलना भूल गए हैं. उन्होंने मुस्कुराते हुए स्पीकर से आग्रह किया कि भानू जी बात बात पर फुचुक कर उठ जाते हैं. इनकी कुर्सी पर फेविकोल लगा देना चाहिए. उन्होंने लंबोदर महतो पर भी चुटकी ली और कहा कि भाषा आंदोलन का ऐसा असर हुआ है कि लंबोदर जी खोरठा बोलने लगे हैं. इस दौरान उन्होंने गुरु जी और स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो के आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों नेता बार-बार नारा लगाते थे कि पढ़ो और लड़ो. चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का भी जिक्र हुआ. इस पर विभागीय मंत्री ने कहा कि अटल जी का नाम पवित्र है. उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया था. लेकिन इसी प्रदेश की पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने स्कूलों को बंद कर दिया.

कटौती प्रस्ताव लाने वाले अनंत ओझा ने कहा कि बकौल सरकार राज्य में एक बच्चे पर सालाना 22000 रुपए खर्च होते हैं. फिर भी व्यवस्था में खामियां भरी पड़ी हैं. सरकार बनते ही एक साल के भीतर सभी रिक्त पदों को भरने के दावे खोखले साबित हुए. कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी ऐसी रही की फीस माफ करवाना तो दूर फीस कम करवाना भी सरकार के बूते नहीं रहा. पिछली सरकार ने प्राथमिक स्कूलों से बोरा पद्धति को हटवाया था. लेकिन वर्तमान सरकार के समय आलम यह है कि शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पद खाली पड़े हुए हैं. शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो गई है. इस दौरान झामुमो विधायक सह पूर्व शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम ने कहा कि बजट में सबसे ज्यादा फोकस शिक्षा पर किया गया है. 11660 करोड़ 68 लाख का बजट है. यह बताता है कि शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है. उन्होंने पारा शिक्षकों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले साल में 8 महीने तक पारा शिक्षक सड़कों पर आंदोलन करते थे, लाठियां खाते थे. लेकिन वर्तमान सरकार ने उन्हें सहायक शिक्षक का दर्जा दिया और विवाद का अंत कराया.

एचडीएफसी बैंक में खाता क्यों: पूर्व शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने शिक्षा पर सरकार की रिपोर्ट को गलत बताते हुए कहा कि जब कोरोना काल में स्कूलों का संचालन हुआ ही नहीं तो फिर यह कैसे लिखा गया कि 6 लाख बच्चे कोविड की वजह से स्कूल से बाहर हो गए. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार शिक्षकों से चावल बंटवाती है. उनसे आवासीय और जाति प्रमाण पत्र बनवाती है. इसी पर अनूप सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार तो शिक्षकों से शराब तक बिक्री करवाती थी.

नीरा यादव ने कहा कि शिक्षा विभाग की राशि एचडीएफसी बैंक में रखने की अनिवार्यता क्यों? उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर पर एचडीएफसी का ब्रांच भी नहीं है. उन्होंने कहा कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है. लेकिन साल 2020 से उससे जुड़ी समिति की अवधि खत्म हो गई है. शिक्षकेतर कर्मियों का सातवां वेतनमान अब तक नहीं लागू हुआ है. शिक्षा विभाग के एक-एक पदाधिकारी को कई अतिरिक्त प्रभार दिए गए हैं ऐसे में काम कैसे होगा.

इस दौरान कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, बंधु तिर्की, शशिभूषण मेहता, समीर मोहंती ने भी अपने-अपने विचार साझा किए. बंधु तिर्की ने कहा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त रखा जाना चाहिए. शिक्षा और वित्त विभाग में तालमेल बनाकर काम करना चाहिए.

रांची: शिक्षा विभाग का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. अनंत ओझा ने कटौती प्रस्ताव लाकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए. लेकिन बजट पर चर्चा के दौरान सबसे खास रहा मंत्री जगरनाथ महतो का जवाब. अब तक चले बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान ऐसा पहली बार हुआ जब सरकार के जवाब के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक सदन में मौजूद रहे. मंत्री जगरनाथ महतो ने स्वीकार किया कि कोविड की वजह से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि तमाम चुनौतियों के बावजूद हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने शिक्षा व्यवस्था की तमाम खामियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं.

ये भी पढ़ें- झारखंड आंदोलनकारियों को नहीं मिलेगा स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा, आयोग को दी जाएगी मजबूती

उन्होंने शिक्षा को बेहतर करने के लिए विपक्ष से भी प्रस्ताव देने की मांग की. साथ ही यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में बदलाव लाना है तो मंत्री, विधायक और अधिकारियों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना होगा. सिर्फ भाषणबाजी से बदलाव नहीं होगा. विभागीय मंत्री ने सदन को भरोसा दिलाया कि शिक्षा के लिए बजट में जो भी राशि आवंटित की गयी है, उसे पूरी तरह खर्च किया जाएगा. अगले साल किसी को सवाल उठाने का मौका नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने 125 स्कूलों को उत्क्रमित कर प्लस टू कर दिया है. पंचायत स्तर तक के स्कूलों में भी इंग्लिश की पढ़ाई सुनिश्चित कराई जाएगी. तैयार हो रहे मॉडल स्कूलों में पढ़ाई का मॉडल भी बदलेगा.

सदन में एक दूसरे पर खूब ली गई चुटकी: अपना पक्ष रखते हुए मंत्री जगन्नाथ महतो ने कई विपक्षी विधायकों पर चुटकी भी ली. उन्होंने भानू प्रताप शाही के बारे में कहा कि आप जब तक अपनी पार्टी चला रहे थे, तब तक क्रांतिकारी दिखते थे. लेकिन भाजपा में जाते ही सच बोलना भूल गए हैं. उन्होंने मुस्कुराते हुए स्पीकर से आग्रह किया कि भानू जी बात बात पर फुचुक कर उठ जाते हैं. इनकी कुर्सी पर फेविकोल लगा देना चाहिए. उन्होंने लंबोदर महतो पर भी चुटकी ली और कहा कि भाषा आंदोलन का ऐसा असर हुआ है कि लंबोदर जी खोरठा बोलने लगे हैं. इस दौरान उन्होंने गुरु जी और स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो के आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों नेता बार-बार नारा लगाते थे कि पढ़ो और लड़ो. चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का भी जिक्र हुआ. इस पर विभागीय मंत्री ने कहा कि अटल जी का नाम पवित्र है. उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया था. लेकिन इसी प्रदेश की पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने स्कूलों को बंद कर दिया.

कटौती प्रस्ताव लाने वाले अनंत ओझा ने कहा कि बकौल सरकार राज्य में एक बच्चे पर सालाना 22000 रुपए खर्च होते हैं. फिर भी व्यवस्था में खामियां भरी पड़ी हैं. सरकार बनते ही एक साल के भीतर सभी रिक्त पदों को भरने के दावे खोखले साबित हुए. कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी ऐसी रही की फीस माफ करवाना तो दूर फीस कम करवाना भी सरकार के बूते नहीं रहा. पिछली सरकार ने प्राथमिक स्कूलों से बोरा पद्धति को हटवाया था. लेकिन वर्तमान सरकार के समय आलम यह है कि शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पद खाली पड़े हुए हैं. शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो गई है. इस दौरान झामुमो विधायक सह पूर्व शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम ने कहा कि बजट में सबसे ज्यादा फोकस शिक्षा पर किया गया है. 11660 करोड़ 68 लाख का बजट है. यह बताता है कि शिक्षा को लेकर सरकार कितनी गंभीर है. उन्होंने पारा शिक्षकों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले साल में 8 महीने तक पारा शिक्षक सड़कों पर आंदोलन करते थे, लाठियां खाते थे. लेकिन वर्तमान सरकार ने उन्हें सहायक शिक्षक का दर्जा दिया और विवाद का अंत कराया.

एचडीएफसी बैंक में खाता क्यों: पूर्व शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने शिक्षा पर सरकार की रिपोर्ट को गलत बताते हुए कहा कि जब कोरोना काल में स्कूलों का संचालन हुआ ही नहीं तो फिर यह कैसे लिखा गया कि 6 लाख बच्चे कोविड की वजह से स्कूल से बाहर हो गए. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार शिक्षकों से चावल बंटवाती है. उनसे आवासीय और जाति प्रमाण पत्र बनवाती है. इसी पर अनूप सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार तो शिक्षकों से शराब तक बिक्री करवाती थी.

नीरा यादव ने कहा कि शिक्षा विभाग की राशि एचडीएफसी बैंक में रखने की अनिवार्यता क्यों? उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर पर एचडीएफसी का ब्रांच भी नहीं है. उन्होंने कहा कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है. लेकिन साल 2020 से उससे जुड़ी समिति की अवधि खत्म हो गई है. शिक्षकेतर कर्मियों का सातवां वेतनमान अब तक नहीं लागू हुआ है. शिक्षा विभाग के एक-एक पदाधिकारी को कई अतिरिक्त प्रभार दिए गए हैं ऐसे में काम कैसे होगा.

इस दौरान कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, बंधु तिर्की, शशिभूषण मेहता, समीर मोहंती ने भी अपने-अपने विचार साझा किए. बंधु तिर्की ने कहा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त रखा जाना चाहिए. शिक्षा और वित्त विभाग में तालमेल बनाकर काम करना चाहिए.

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