रांची: झारखंड की साहिगंज पुलिस फिर सवालों के घेरे में है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा समेत अन्य पर साहिबगंज के जिरवाबाड़ी थाने में शिकायत दर्ज कराने वाले ईडी के गवाह विजय हांसदा ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में आवेदन देकर कहा है कि पुलिस मेरे केस को समाप्त करने की फिराक में है. उनका आरोप है कि जब वह जेल से बाहर थे, तब उनसे एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाया गया था. उसी को केस वापसी का कागज बनाकर मेरे खिलाफ दुरूपयोग किया जा रहा है. उन्होंने आवेदन में यह भी कहा है कि आरोपी विष्णु यादव ने दबाव डालकर यह कहलवाते हुए वीडियो बनाया था कि मैं केस नहीं लड़ना चाहता हूं. इसलिए मैं आवेदन समर्पित करते हुए आग्रह करता हूं कि मेरे इस आवेदन को परिवाद सह विलेख पत्र समझा जाए.
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ईडी के गवाह विजय हांसदा (ED witness Vijay Hansda) के इस परिवाद पत्र से जिरवाबाड़ी केस फिर गरमा गया है. दरअसल, पिछले दिनों भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी (BJP leader Babulal Marandi) ने ट्वीट कर कहा था कि विजय हांसदा की शिकायत पर साहिबगंज कोर्ट ने 7 जुलाई 2022 को पंकज मिश्रा समेत अन्य पर अवैध खनन, एसटी-एसटी एक्ट और अर्म्स एक्ट की अन्य धाराओं में मुकदमा करने का आदेश दिया था. लेकिन पांच माह बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ. उल्टे विजय हांसदा को ही जेल भेज दिया गया.
इसपर 28 नवंबर को दुमका के डीआईजी सुदर्शन मंडल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि विजय हांसदा खुद आर्म्स एक्ट में जेल में बंद है. उसने ही एसटी-एसी थाना में लिखकर दिया है कि पंकज मिश्रा पर लगाया गया आरोप झूठा है. डीआईजी ने कहा कि पूर्व में 2014 और 1998 में भी विजय हांसदा आर्म्स के साथ पकड़ा गया था. उसपर लूटपाट का भी आरोप है. वह पहले भी जेल जा चुका है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में साहिबगंज में पंकज मिश्रा पर कोई केस नहीं है.
24 दिसंबर 2021 को तालझारी थाना में रमेश पासवान नामक शख्स ने केस कर विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, डीएमओ विभूति कुमार, राजमहल के अनुमंडल पदाधिकारी हरिवंश पांडेय, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अरविंद कुमार समेत अन्य पर जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल और रंगदारी मांगने का आरोप लगाया था, जो जांच में झूठा पाया गया था.
एक मामला शंभूनंदन कुमार का था. उन्होंने बडहरवा थाना में कांड संख्या 85/20 के जरिए पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलमगीर आलम समेत अन्य पर बडहरवा टोल प्लाजा टेंडर में धांधली और मारपीट का आरोप लगाया था. इस केस को भी पुलिस अपनी जांच में झूठा बता चुकी है. बाद में ईडी ने इसी केस को टेकओवर कर जांच के बाद पंकज मिश्रा को न्यायिक हिरासत में भेजा है.