रांची: प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन सरकार को गिराने की साजिश के उद्देश्य से विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए प्राथमिकि दर्ज कर ली है (ED registers FIR in MLA cash case). मामले में ईडी ने तीनों विधायकों इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को आरोपी बनाया है. कांग्रेस विधायक जय मंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह के द्वारा और अरगोड़ा थाने में दर्ज करवाए गए प्राथमिकी को ही आधार मानकर एफआईआर दर्ज की गई है.
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एफआईआर में क्या है: ईडी के द्वारा दर्ज प्राथमिकी में यह जिक्र है कि जय मंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह के द्वारा दर्ज एफआईआर को ही अपने केस में शामिल किया गया है, उसी प्राथमिकी को आधार मानते हुए ही तीनों विधायकों को आरोपी बनाया गया है. आने वाले दिनों में अनूप सिंह सहित तीनों आरोपी विधायकों से ईडी की टीम पूछताछ करेगी. ईडी सूत्रों से मिली सूचना के अनुसार अनूप सिंह को कैश कांड मामले में दर्ज किए गए केस की जानकारी को लेकर जल्द ही दफ्तर बुलाया जाएगा.
क्या है पूरा मामला: गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने कोलकाता में हुए कैश कांड को लेकर रांची अरगोड़ा घोड़ा थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करवाई थी. अनूप सिंह ने एफआईआर में बताया था कि तीनों विधायकों ने उन्हें कांग्रेस-झामुमो की सरकार गिराने के बदले 10 करोड़ और मंत्री पद का ऑफर दिया था. कोलकाता आकर पैसे लेने की बात विधायकों ने कही थी. अनूप सिंह के अनुसार इरफान अंसारी और राजेश कच्छप ने उन्हें कोलकाता आने को कहा था, इसके बाद कोलकाता से गुवाहाटी जाकर असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्व सरमा सरकार से मिलने को कहा था. उस दौरान इरफान अंसारी ने उन्हें हेल्थ मिनिस्टर बनाने का वादा किया गया था.
असम के सीएम का भी आया था नाम: अनूप सिंह ने अपने एफआईआर में बताया है कि इरफान अंसारी ने कहा था कि वह पैसे ले चुके हैं. एक बार आप (अनूप सिंह) आ जाएंगे और हिमंत बिस्वा सरमा से गुवाहाटी जाकर मिल लेंगे तो आपको भी पैसे मिल जाएंगे. इरफान अंसारी ने यह भी बताया था कि दिल्ली के बड़े नेताओं के इशारे पर हिमंत बिस्वा सरमा यह सब रहे हैं. अनूप सिंह ने एफआईआर में जिक्र किया था कि 'मैं असंवैधानिक, गैरकानूनी गतिविधि में शमिल नहीं होना चाहता था, इसलिए मैंने कोलकाता जाने से इनकार कर दिया.' अनूप सिंह के बयान पर आईपीसी की धारा 420, 124 ए, 120 बी, 34 आईपीसी, 171 बी, आरपीसी एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत अरगोड़ा थाने में केस दर्ज किया गया था.