रांचीः राजधानी में जमीन घोटाले से जुड़े मनी लाउंड्रिंग केस में ईडी ने कोलकाता के कारोबारी और झारखंड में सत्ता के करीबी अमित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है. अमित अग्रवाल के साथ ही जमीन घोटाले के अन्य आरोपी दिलीप घोष को भी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है.
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पहले भी हुई थी गिरफ्तारीः ईडी ने जमीन घोटाला ममले से पहले अमित अग्रवाल को एडवोकेट राजीव कुमार की गिरफ्तारी से जुड़े केस में गिरफ्तार किया था. इस मामले में वह जमानत पर थे. बुधवार को ईडी की टीम कोलकाता गई थी, लेकिन तब वह अपने आवास पर नहीं थे. जानकारी के मुताबिक, कोलकाता एयरपोर्ट से अमित अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के बाद कारोबारी अमित अग्रवाल को रांची लाया गया, जहां उससे पूछताछ की जा रही है. मामले में जगतबंधु टी स्टेट के दिलीप घोष को भी गिरफ्तार किया गया है.
फर्जी तरीके से सेना जमीन हथियाने की साजिश, करीबी के नाम पर करायी रजिस्ट्रीः अमित अग्रवाल के करीबी दिलीप घोष की कंपनी जगतबंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को ही फर्जी कागजातों के जरिए सेना की कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन बेची गई थी. ईडी ने जांच में पाया है कि कंपनी ने 20 करोड़ के सरकारी मूल्य की जमीन महज सात करोड़ में खरीदने का जिक्र रजिस्ट्री में किया. वहीं इस जमीन के बदले फर्जी मालिक प्रदीप बागची को महज 25 लाख मिले. रजिस्ट्री में अलग अलग बैंक खातों से बाकी 6.75 करोड़ रुपये देने का दावा ईडी की जांच में गलत निकला है. ईडी ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तब मामले में अमित अग्रवाल की संलिप्तता के साक्ष्य मिले. गौरतलब है कि नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा ने प्रदीप बागची के खिलाफ 4 जून 2022 को फर्जी कागजात के आधार पर नगर निगम से होल्डिंग लेने का मामला बरियातू थाने में दर्ज कराया था. इस केस में ईडी ने ईसीआईआर किया था.
जयंत करनाड का मालिकाना हक आया है सामनेः रांची के पूर्व कमिश्नर नितिन मदन कुलकर्णी की रिपोर्ट के अनुसार, बरियातू के सेना की 4.55 एकड़ की जमीन के खतियानी रैयत प्रमोद नाथ दास गुप्ता की इकलौती बेटी सरस्वती दास गुप्ता थीं, उनके पति मंजेश्वर लक्ष्मण राव थे. दोनों की दो संतानें बीएम मुकंद राव व मालती करनाड हुई. बीएम मुकुंद राव की कोई संतान नहीं हुई. जबकि मालती का एक बेटा जयंत करनाड हुआ. मालती की मृत्यु के बाद जयंत करनाड जमीन के असली वारिस हुए. कमिश्नर की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1967- 2017 तक विभिन्न न्यायालयों में खतियानी रैयत के वंशजों को ही मालिक स्वीकार किया गया, लेकिन बाद में प्रदीप बागची के दादा प्रफुल्ल बागची के नाम पर फर्जी कागजात रजिस्ट्रेशन ऑफ एश्योरेंस के यहां से बनवाकर जमीन की रजिस्ट्री जगतबंधु टी इस्टेट को कर दी गई थी. जयंत करनाड ने भी साल 2019 में जमीन की रजिस्ट्री 13 लोगों को की थी, तब उनके दाखिल खारिज को बड़गाईं अंचल ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जमीन पर उनका कब्जा नहीं है. जबकि प्रदीप बागची ने 2021 में ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से पोजिशन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, बिजली बिल देकर रांची नगर निगम से होल्डिंग करा लिया था.
यूं समझिए सेना जमीन से जुड़ा पूरा मामलाः
- 4.55 एकड़ जमीन एक अप्रैल 1946 से सेना के कब्जे में है. सेना ने जमीन के मूल रैयत बीएम लक्ष्मण राव को 30 मार्च 1960 को उक्त जमीन के बदले 446 रुपए प्रति वर्ष क्षतिपूर्ति के रूप में दिए.
- 1 अप्रैल 1963 से प्रतिवर्ष 3600 रुपए किराया तय हुआ. रैयत बीएम लक्ष्मण राव के बेटे बीएम मुकुंद राव ने 3 सितंबर 1970 तक यह राशि किराए में ली. इसके बाद राव ने 12 हजार रुपए प्रतिवर्ष किराए के भुगतान की मांग की. 1998 में उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी जयंत करनाड हुए. जयंत करनाड मुकुंद राव की बहन मालती करनाड के बेटे हैं.
- वर्ष 2007 में जमीन के उत्तराधिकारी जयंत करनाड ने सेना से जमीन खाली कराने व बकाया किराए के भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की. 22 अक्टूबर 2008 को हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सेना 20 नवंबर 2008 तक के किराए का भुगतान जयंत करनाड के पक्ष में करे.
- 11 मार्च 2009 को हाईकोर्ट ने अपने आदेश में जयंत करनाड के पक्ष में उक्त भूमि को रिलीज करने का आदेश दिया.
- 2019 में जयंत करनाड ने जमीन 13 रैयतों को बेच दी. रजिस्ट्री रांची के तत्कालीन सब रजिस्ट्रार राहुल चौबे ने की. तब भी जमीन पर सेना का कब्जा था. इसलिए रजिस्ट्री के बाद भी बड़गाईं सीओ ने दाखिल खारिज के आवेदन को रिजेक्ट कर दिया.
- 8 अप्रैल 2021 को प्रदीप बागची ने सेना के कब्जे वाली जमीन पर दावा करते हुए तत्कालीन डीसी छवि रंजन को एक आवेदन दिया. बागची ने कहा कि कुछ भू-माफिया जाली दस्तावेज तैयार कर उनकी रैयती जमीन बेच चुके हैं. जमीन की दाखिल-खारिज कराने का प्रयास कर रहे हैं. बागची का दावा था कि उसके पिता प्रफुल्ल बागची ने उक्त 4.55 एकड़ भूमि 1932 में निबंधित दस्तावेज के साथ खतियानी रैयत से सीधे खरीदी थी. इसकी रजिस्ट्री कोलकाता में हुई थी. वह जमीन मौखिक रूप से सेना को उपयाेग के लिए दिया गया थ.
- बागची ने वर्ष 2021 में ही ऑनलाइन प्रक्रिया से उक्त जमीन का पजेशन सर्टिफिकेट लिया. फर्जी आधार कार्ड, बिजली बिल देकर नगर निगम से होल्डिंग नंबर भी लिया.
- एक अक्टूबर 2021 को बागची ने करीब सात करोड़ रुपए सरकारी में जमीन की रजिस्ट्री कोलकाता की कंपनी जगत बंधु टी इस्टेट प्रा.लि. के निदेशक दिलीप कुमार घोष के नाम कर दी. तत्कालीन सब रजिस्ट्रार घासीराम पिंगुआ ने ईडी को बताया था कि छवि रंजन के आदेश पर यह रजिस्ट्री उन्होंने की थी. हालांकि बाद में पिंगुआ अपने बयान से पलट गए.
- बागची ने जमीन के मूल रैयत जयंत करनाड को फर्जी बताते हुए उनके द्वारा 13 लोगों को किए गए रजिस्ट्री को अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग की. जिसे सब रजिस्ट्रार वैभव मणि त्रिपाठी ने सही बताते हुए रजिस्ट्री निबंधन रद्द करने का प्रस्ताव तैयार कर भेजा. वैभव मणि से भी ईडी इस मामले में पूछताछ कर चुकी है.
- सत्ता के करीबी कारोबारी अमित अग्रवाल पर पर्दे के पीछे से जमीन की खरीदारी दिलीप घोष के नाम पर की.