रांची: झारखंड में शराब सिंडिकेट के खिलाफ 24 अगस्त को राज्य के अलग-अलग जिलों में 32 जगहों पर हुई ईडी की छापेमारी से खलबली मची हुई है. सूत्रों के मुताबिक छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज ईडी के हाथ लगे हैं. इस मामले में किंगपिन योगेंद्र तिवारी से एजेंसी पूछताछ कर रही है. दूसरी तरफ एजेंसी की इस कार्रवाई के बाद राजनीति शुरू हो गई है. वहीं आम लोगों की दिलचस्पी इस बात को लेकर है कि आखिर संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड है क्या और इसका संचालन कौन करता है. कौन-कौन लोग इससे जुड़े हैं. शराब सिंडिकेट किंग योगेंद्र तिवारी का इस कंपनी से क्या कनेक्शन है. योगेंद्र तिवारी के करीबियों के नाम से कौन-कौन सी कंपनियां चल रही हैं.
विवाद में आई कंपनी का विवरण: संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन 25 नवंबर 2005 को हुआ था. इस कंपनी के ऑफिस का पता है : 1ST FLOOR, PLOT NO.D/2, MIG, HARMU HOUSING COLONY, HARMU, RANCHI - 834012. वर्तमान में इस कंपनी में सुकांत रॉय, अमरेंद्र तिवारी और नीतू तिवारी डायरेक्टर हैं. मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के मुताबिक इस कंपनी की पिछली एजीएम यानी एनुअल जेनेरल मीटिंग 30 नवंबर 2021 को हुई थी. इस कंपनी का अंतिम बैलेंस शीट 31 मार्च 2021 को फाइल हुआ था. रजिस्ट्रेशन के वक्त कंपनी शेयर कैपिटल 30 लाख रुपए और पैड अप कैपिटल 1,05,000 रुपए था.
पुराने डायरेक्टर का विवरण: सबसे खास है कि संथाल परगना बिल्डर्स प्रा.लिमिटेड का 25 नवंबर 2005 को जब रजिस्ट्रेशन हुआ था तब उसमें फाउंडर डायरेक्टर के रूप में बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी की पत्नी लालिमा तिवारी ने ज्वाइन किया था. वह इस कंपनी में डायरेक्टर के रूप में 25 नवंबर 2005 को जुड़ीं और 4 नवंबर 2011 को कंपनी से खुद को अलग कर लिया. इस कंपनी के फाउंडर डायरेक्टर के रूप में शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के भाई जोगेंद्र तिवारी भी 25 नवंबर 2005 को जुड़े थे. इन्होंने 12 अप्रैल 2021 को कंपनी से खुद को अलग कर लिया था. झामुमो का दावा है कि इस कंपनी में बाबूलाल मरांडी के चचेरे भाई रमिया मरांडी भी डायरेक्टर थे. इसके बाद तीसरे डायरेक्टर के रूप में संदीप कुमार पटवारी ने 15 जनवरी 2009 को ज्वाइन किया था और 31 मार्च 2015 में कंपनी छोड़ दिया. चौथे डायरेक्टर के रूप में शंकर घोष बतौर निदेशक 31 मार्च 2015 में जुड़े और 16 फरवरी 2019 को कंपनी छोड़ दिया.
वर्तमान में कौन-कौन हैं कंपनी के डायरेक्टर: गौर करने वाली बात है कि पूर्व डायरेक्टर शंकर घोष के 16 फरवरी 2019 को कंपनी छोड़ने के एक दिन पहले यानी 15 फरवरी 2019 को शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के छोटे भाई अमरेंद्र तिवारी को कंपनी में डायरेक्टर बनाया गया. वहीं फाउंडर मेंबर जोगेंद्र तिवारी जो योगेंद्र तिवारी के भाई हैं उनके 12 अप्रैल 2021 को डायरेक्टर पद से हटने के कुछ दिन पहले 1 अप्रैल 2021 को सुकांत रॉय निदेशक बनाए गये. इसके अलावा योगेंद्र तिवारी की पत्नी नीतू तिवारी को 13 अप्रैल 2023 को डायरेक्टर बनीं.
लालिमा तिवारी के नाम से कंपनियां: सबसे खास बात है कि बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी की पत्नी लालिमा तिवारी चक्रपाणि कोमोडिटीज प्रा.लि. में भी निदेशक रह चुकी हैं. इस कंपनी का काम था कांट्रेक्ट बेसिस पर होलसेल का काम करना. अहम बात यह है कि इस कंपनी में शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के भाई जोगेंद्र तिवारी आज भी निदेशक हैं. उससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि लालिमा तिवारी और जोगेंद्र तिवारी दोनों 26 अगस्त 2010 को ही इस कंपनी में निदेशक बने थे. चक्रपाणि कोमोडिटीज में शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी की पत्नी नीतू तिवारी भी निदेशक रह चुकी हैं.
फिलहाल लालिमा तिवारी का अब संथाल परगना बिल्डर्स प्र.लि. से कागज पर कोई नाता नहीं है. वर्तमान में वह पतंजलि इंटरटेनमेंट प्रा.लि. में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. पतंजलि इंटरटेनमेंट में अविनाश आजाद डायरेक्टर हैं. इस कंपनी का ऑथोराइज्ड कैपिटल 25 लाख और पेड अप कैपिटल 1.20 लाख है. पूर्व में इस कंपनी में गौतम जैन, मेघा जैन और अर्पित जैन निदेशक रह चुके हैं.
पत्नी और भाईयों के नाम से है योगेंद्र का कारोबार: बालू, जमीन और शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी इडी की रेड के बाद सुर्खियों में हैं. जामताड़ा के मिहिजाम से कारोबार शुरू करने वाले योगेंद्र तिवारी का नाम झारखंड के शराब सिंडिकेट में सबसे ऊपर आता है. इसका कई सफेदपोश से करीबी रिश्ता है. यह अपना तमाम कारोबार अलग-अलग कंपनियों के जरिए पत्नी नीतू तिवारी और भाई अमरेंद्र और जोगेंद्र के नाम से करता है. दुमका में सारण अल्कोहल प्रा. लिमिटेड, संथाल परगना बिल्डर्स प्रा.लिमिटेड, मैहर माता वेंचर्स प्रा लि., तिवारी ऑटोबाइक्स प्रा.लि., चक्रपाणि कोमोडिटीज प्रा. लि., मैहर होटल्स एंड रिसोर्ट प्रा. लि., मैहर त्रिकूट रिसोर्ट प्रा. लि., मैहर गंगा रिसोर्ट प्रा. लि., कस्मटर सेंट्रिक आईटी सोल्यूशन प्रा.लिमिटेड, डेस्टीनी लाइफ स्टाइल प्रा.लि., विध्या वाणिज्य प्रा.लि., और लेक्सलिंक कॉर्पोरेट एडवाइजर्स के नाम से कंपनियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. हालांकि इनमें कई कंपनियां बंद हो चुकी हैं.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप: झामुमो का आरोप है कि ईडी जानबूझकर तंग कर रही है. सूबे के मंत्री रामेश्वर उरांव के आवास पर हुई छापेमारी पर झामुमो और कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए बाबूलाल मरांडी पर निशाना साधा है. कहा गया कि अगर मंत्री रामेश्वर उरांव के पुत्र रोहित का इस सिंडिकेट से कोई नाता है तो उनको बुलाकर पूछताछ किया जा सकता था. आखिर ईडी ने एक सम्मानित मंत्री के आवास पर कैसे रेड डाल दिया.
झामुमो का आरोपः झामुमो का आरोप है कि योगेंद्र तिवारी की कंपनी से बाबूलाल मरांडी के चचेरे भाई रामिया मरांडी जुड़े रहे हैं. झामुमो का यह भी आरोप है कि योगेंद्र तिवारी के करीबियों द्वारा संचालित संथाल परगना बिल्डर्स प्रा.लिमिटेड से बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी की पत्नी लालिमा तिवारी भी बतौर निदेशक जुड़ी रही हैं. झामुमो का दावा है कि बाबूलाल मरांडी इस कंपनी के जरिए अपना काला धन खपाते रहे हैं. आगे कुछ और खुलासा करने का पार्टी ने दावा किया है.
बाबूलाल ने साक्ष्य उपलब्ध कराने की चुनौती दीः हालांकि बाबूलाल मरांडी ने चुनौती दी है कि झामुमो के लोग साक्ष्य दें. उनका कहना है कि रामिया मरांडी और लालिमा तिवारी ने करीब 10 साल पहले ही उस कंपनी को छोड़ दिया था. उन्होंने यह भी बताया था कि यह कंपनी जमीन और शराब का कारोबार करती है. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर कंपनी गलत तरीके से जमीन और शराब का कारोबार कर रही है तो राज्य सरकार बिना वक्त गंवाए कंपनी की जमीन जब्त करे.
बहरहाल, दस्तावेज से साफ है कि जमीन और शराब किंग योगेंद्र तिवारी से कई रसूखदारों का संबंध रहा है. वैसे ईडी द्वारा सीएम को समन भेजे जाने के बाद से झारखंड का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. हालांकि उन्होंने ईडी की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है. अब देखना है कि योगेंद्र तिवारी से पूछताछ के बाद ईडी की जांच किस ओर मुड़ती है और उसके रडार पर और कौन-कौन आता है.