रांची: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट 2022 पेश कर दिया है. इस पर राजनीतिक जगत, पब्लिक, अर्थशास्त्रियों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने जानेमाने अर्थशास्त्री और राजकोषीय अध्ययन संस्थान के निदेशक हरीश्वर दयाल ने केंद्रीय बजट पर उनकी राय जानी. अर्थशास्त्री हरीश्वर दयाल ने इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बताया कि आम बजट में कुछ प्रावधान सकारात्मक हैं तो कुछ राज्यों के दृष्टिकोण से लाभपूर्ण नहीं हैं.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजकोषीय अध्ययन संस्थान के निदेशक और जानेमाने अर्थशास्त्री हरीश्वर दयाल ने कहा कि इससे राज्यों को कोई खास फायदा नहीं होगा. हरीश्वर दयाल ने कहा कि आकलन के अनुसार करीब 63 फीसदी विकास का जिम्मा राज्य सरकार पर होती है मगर बजट में जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि की बात तो जरूर कही गई है लेकिन कोरोना के कारण पिछले दो वित्तीय वर्ष से जीएसटी कंम्पनसेशन में हुई कमी को पूरा करने के लिए कोई प्रावधान नहीं दिख रहा है.
इस मद में राज्यांश करीब 14 फीसदी के करीब पहुंच गया था मगर पिछले तीन वर्ष मंदी और कोरोनाकाल को देखें तो झारखंड जैसे स्टेट को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.उन्होंने कहा कि बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रीकल्चर और शिक्षा सेक्टर पर फोकस किया गया है मगर यह कैसे लोगों तक पहुंचेगा यह जिक्र नहीं है.कोरोनाकाल में स्कूल पूरी तरह बंद रहे और इसको कम्पनसेट कैसे किया जाएगा. इसके बारे में स्पष्टता नहीं है.
डिजिटल करेंसी सार्थक पहलः हरीश्वर दयाल ने केन्द्रीय बजट में डिजिटल करेंसी को लेकर निर्णय की सराहना की है. उनका कहना है कि यह समय की मांग है. इससे करेंसी मैनेजमेंट कॉस्ट कम होगा. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बजट में कुछ चीजें सकारात्मक हुई है, जिसका लाभ लोगों को मिलेगा. इंफ्रास्ट्रक्चर पर बजट में फोकस जरूर है और इससे प्राइवेट सेक्टर को लाभ मिलेगा.
बजट का स्वागतः टैक्स स्लैब में किसी तरह का परिवर्तन नहीं होने का स्वागत करते हुए हरीश्वर दयाल ने कहा कि हमलोग इसकी उम्मीद भी नहीं कर रहे थे क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू कलेक्शन पर सरकार का फोकस होना चाहिए, तभी जाकर विकास की रफ्तार बनी रहेगी. टैक्स कलेक्शन को सरल बनाने की कोशिश बजट में की गई है यह एक सार्थक पहल है. महंगाई रोकने के बजाय सरकार ने रोजगार बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिससे आय बढे़गी. आमदनी बढ़ेगी तो महंगाई पर कंट्रोल होगा.