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बेरमो-दुमका विधानसभा सीट पर सजने लगा उपचुनाव का रण, इन उम्मीदवारों के नाम पर है चर्चा

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Published : Jul 3, 2020, 8:06 PM IST

चुनाव आयोग के सूत्रों की माने तो बिहार विधानसभा चुनाव के साथ झारखंड के बेरमो और दुमका विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव संपन्न कराया जाएगा. बेरमो सीट पर सीटिंग कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह की मौत के बाद उप चुनाव होगा. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो जगह, दुमका और बरहेट से विधानसभा चुनाव जीता था. हेमंत सोरेन दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और बरहेट सीट पर ही विधायक बने रहना पसंद किया है.

dumka and bermo assembly by-election 2020
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रांची: राज्यसभा चुनाव के बाद झारखंड की राजनीति अब बेरमो और दुमका विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव पर टिक गई है. चुनाव आयोग के सूत्रों की माने तो बिहार विधानसभा चुनाव के साथ झारखंड के बेरमो और दुमका विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव संपन्न कराया जाएगा. इन दोनों सीटों पर दावेदारी के लिए राजनीतिक दलों ने ताल ठोकनी शुरू कर दी है. एक तरफ जहां यह उपचुनाव झामुमो और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनने जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के एनडीए और महागठबंधन की एकजुटता के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी.

देखें वीडियो

बेरमो और दुमका विधानसभा सीट पर उपचुनाव

दरअसल, बेरमो सीट पर सीटिंग कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह की मौत के बाद उप चुनाव होगा. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो जगह, दुमका और बरहेट से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. हेमंत सोरेन ने दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और बरहेट सीट पर ही विधायक बने रहना पसंद किया है. दुमका सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, जबकि बेरमो सामान्य सीट है.

यही कारण है कि दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराए जाऐंगे. नवंबर में बिहार में चुनाव होना है. उसके साथ ही बेरमो और दुमका में उपचुनाव के आसार है. इस बाबत भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य निर्वाचन कार्यालय को संकेत दिया है. इसी के अनुरूप तैयारियां करने को भी कहा गया है.

JMM का हार्टलैंड है दुमका, विपक्ष के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो दुमका विधानसभा सीट सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दुमका झारखंड मुक्ति मोर्चा का 'हार्टलैंड' माना जाता है. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार लुईस मरांडी को हेमंत सोरेन ने पटखनी दी थी. वहीं, 2014 में लुईस मरांडी दुमका सीट पर जीत हासिल की थी. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हराया था और बाद में राज्य सरकार में मंत्री भी बनी.

कौन-कौन हो सकते हैं दुमका सीट पर उम्मीदवार

एनडीए खेमे के अनुसार बीजेपी दुमका से लुईस मरांडी को फिर से उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि, बीजेपी के अंदरखाने एकीकृत बिहार में मंत्री रहे महादेव मरांडी के पोते गुंजन मरांडी के नाम की चर्चा भी चल रही है. गुंजन मरांडी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी में शर्मिला सोरेन का नाम भी चर्चा में है. शर्मिला सोरेन बीजेपी कैडर है और पिछले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के लिए इनके नाम की अनुशंसा भी की गई थी .

वहीं, सत्तापक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा में युवा मोर्चा का नेतृत्व कर रहे और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन के नाम की चर्चा तेज है. जेएमएम की सूत्रों की माने तो, बसंत सोरेन इलेक्शन स्ट्रेटजी को लेकर एक्टिव भी नजर आ रहे हैं.

बेरमो सीट पर इनके नाम की है चर्चा

वहीं, बेरमो विधानसभा सीट को लेकर महागठबंधन में तस्वीर साफ है कि इस सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का साफ मानना है कि यह कांग्रेस की सिटिंग सीट है. ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवार ही उपचुनाव लड़ेंगे.

पार्टी सूत्रों के अनुसार इस सीट पर पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के बड़े बेटे और झारखंड यूथ कांग्रेस के नेता रह चुके जय मंगल सिंह का नाम चर्चा में है. झामुमो का दावा है कि इस सीट पर महागठबंधन एक साथ दिखेगा. वहीं, एनडीए फोल्डर में इस सीट को लेकर रस्साकशी चल रही है.

दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे. आजसू के उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला था. उन्हें 16,000 से भी अधिक वोट मिले थे. ऐसे में आजसू भी वहां से लड़ने का मन बना रहा है. लेकिन अभी इस पर तस्वीर साफ नहीं है. आजसू ने बेरमो से काशीनाथ सिंह को मैदान में उतारा था. 2019 के चुनाव में योगेश्वर महतो को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह से शिकस्त मिली थी. पार्टी सूत्रों की माने तो इस बार उनके अलावा गिरिडीह से सांसद रहे रविंद्र पांडे के बेटे विक्रम पांडे की उम्मीदवारी को लेकर जोड़-तोड़ जारी है. विक्रम पिछला चुनाव टुंडी विधानसभा से लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.

क्या कहते हैं राजनीतिक दल

इस बाबत बीजेपी का साफ कहना है कि पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता ही चुनाव लड़ेगा. बीजेपी के मौजूदा प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू ने साफ कहा कि बूथ से लेकर प्रांत तक पार्टी की मजबूत कमेटी है और उसी कमेटी के बदौलत दोनों विधानसभा सीटों पर पार्टी जीत तय करेगी. वहीं, आजसू ने भी स्पष्ट कहा कि पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक के बाद तय किया जाएगा कि चुनाव लड़ा जाए या नहीं. हालांकि उन्होंने इशारों में साफ कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बेरमो में पार्टी का अच्छा प्रदर्शन रहा है. वहीं, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता लाल किशोर शाहदेव ने स्पष्ट किया कि बेरमो पार्टी की सिटिंग सीट है. ऐसे में उस पर उसकी दावेदारी बनती है और पार्टी उपचुनाव ज्यादा मार्जिन से जीतेगी. वहीं, जेएमएम सूत्रों की माने तो दुमका सीट पर उसकी दावेदारी बनी रहेगी.

दरअसल, बेरमो सीट पर सीटिंग कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह की मौत के बाद उप चुनाव होगा. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो स्थानों दुमका और बरहेट से विधानसभा चुनाव जीता था. हेमंत सोरेन दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और बरहेट सीट पर ही विधायक बने रहना पसंद किया है. दुमका सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है जबकि बेरमो सामान्य सीट है.

रांची: राज्यसभा चुनाव के बाद झारखंड की राजनीति अब बेरमो और दुमका विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव पर टिक गई है. चुनाव आयोग के सूत्रों की माने तो बिहार विधानसभा चुनाव के साथ झारखंड के बेरमो और दुमका विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव संपन्न कराया जाएगा. इन दोनों सीटों पर दावेदारी के लिए राजनीतिक दलों ने ताल ठोकनी शुरू कर दी है. एक तरफ जहां यह उपचुनाव झामुमो और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनने जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के एनडीए और महागठबंधन की एकजुटता के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी.

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बेरमो और दुमका विधानसभा सीट पर उपचुनाव

दरअसल, बेरमो सीट पर सीटिंग कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह की मौत के बाद उप चुनाव होगा. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो जगह, दुमका और बरहेट से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. हेमंत सोरेन ने दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और बरहेट सीट पर ही विधायक बने रहना पसंद किया है. दुमका सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, जबकि बेरमो सामान्य सीट है.

यही कारण है कि दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराए जाऐंगे. नवंबर में बिहार में चुनाव होना है. उसके साथ ही बेरमो और दुमका में उपचुनाव के आसार है. इस बाबत भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य निर्वाचन कार्यालय को संकेत दिया है. इसी के अनुरूप तैयारियां करने को भी कहा गया है.

JMM का हार्टलैंड है दुमका, विपक्ष के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो दुमका विधानसभा सीट सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दुमका झारखंड मुक्ति मोर्चा का 'हार्टलैंड' माना जाता है. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार लुईस मरांडी को हेमंत सोरेन ने पटखनी दी थी. वहीं, 2014 में लुईस मरांडी दुमका सीट पर जीत हासिल की थी. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हराया था और बाद में राज्य सरकार में मंत्री भी बनी.

कौन-कौन हो सकते हैं दुमका सीट पर उम्मीदवार

एनडीए खेमे के अनुसार बीजेपी दुमका से लुईस मरांडी को फिर से उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि, बीजेपी के अंदरखाने एकीकृत बिहार में मंत्री रहे महादेव मरांडी के पोते गुंजन मरांडी के नाम की चर्चा भी चल रही है. गुंजन मरांडी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी में शर्मिला सोरेन का नाम भी चर्चा में है. शर्मिला सोरेन बीजेपी कैडर है और पिछले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के लिए इनके नाम की अनुशंसा भी की गई थी .

वहीं, सत्तापक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा में युवा मोर्चा का नेतृत्व कर रहे और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन के नाम की चर्चा तेज है. जेएमएम की सूत्रों की माने तो, बसंत सोरेन इलेक्शन स्ट्रेटजी को लेकर एक्टिव भी नजर आ रहे हैं.

बेरमो सीट पर इनके नाम की है चर्चा

वहीं, बेरमो विधानसभा सीट को लेकर महागठबंधन में तस्वीर साफ है कि इस सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का साफ मानना है कि यह कांग्रेस की सिटिंग सीट है. ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवार ही उपचुनाव लड़ेंगे.

पार्टी सूत्रों के अनुसार इस सीट पर पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के बड़े बेटे और झारखंड यूथ कांग्रेस के नेता रह चुके जय मंगल सिंह का नाम चर्चा में है. झामुमो का दावा है कि इस सीट पर महागठबंधन एक साथ दिखेगा. वहीं, एनडीए फोल्डर में इस सीट को लेकर रस्साकशी चल रही है.

दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे. आजसू के उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला था. उन्हें 16,000 से भी अधिक वोट मिले थे. ऐसे में आजसू भी वहां से लड़ने का मन बना रहा है. लेकिन अभी इस पर तस्वीर साफ नहीं है. आजसू ने बेरमो से काशीनाथ सिंह को मैदान में उतारा था. 2019 के चुनाव में योगेश्वर महतो को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह से शिकस्त मिली थी. पार्टी सूत्रों की माने तो इस बार उनके अलावा गिरिडीह से सांसद रहे रविंद्र पांडे के बेटे विक्रम पांडे की उम्मीदवारी को लेकर जोड़-तोड़ जारी है. विक्रम पिछला चुनाव टुंडी विधानसभा से लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.

क्या कहते हैं राजनीतिक दल

इस बाबत बीजेपी का साफ कहना है कि पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता ही चुनाव लड़ेगा. बीजेपी के मौजूदा प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू ने साफ कहा कि बूथ से लेकर प्रांत तक पार्टी की मजबूत कमेटी है और उसी कमेटी के बदौलत दोनों विधानसभा सीटों पर पार्टी जीत तय करेगी. वहीं, आजसू ने भी स्पष्ट कहा कि पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक के बाद तय किया जाएगा कि चुनाव लड़ा जाए या नहीं. हालांकि उन्होंने इशारों में साफ कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में बेरमो में पार्टी का अच्छा प्रदर्शन रहा है. वहीं, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता लाल किशोर शाहदेव ने स्पष्ट किया कि बेरमो पार्टी की सिटिंग सीट है. ऐसे में उस पर उसकी दावेदारी बनती है और पार्टी उपचुनाव ज्यादा मार्जिन से जीतेगी. वहीं, जेएमएम सूत्रों की माने तो दुमका सीट पर उसकी दावेदारी बनी रहेगी.

दरअसल, बेरमो सीट पर सीटिंग कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह की मौत के बाद उप चुनाव होगा. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो स्थानों दुमका और बरहेट से विधानसभा चुनाव जीता था. हेमंत सोरेन दुमका विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और बरहेट सीट पर ही विधायक बने रहना पसंद किया है. दुमका सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है जबकि बेरमो सामान्य सीट है.

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