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झारखंड में सुखाड़ की आहट: डेढ़ लाख तालाबों में पानी नहीं, मछली पालकों ने लगाई मदद की गुहार - less rain in monsoon

झारखंड में मानसून की कम बारिश ने किसानों के साथ मत्स्य पालकों के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है. अभी तक डेढ़ लाख तालाबों में पर्याप्त पानी नहीं हो सका है. इससे मत्स्य पालक तालाबों में बीज नहीं डाल पा रहे हैं. इसलिए इन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

drought in jharkhand no water in ponds till now due to less rain in monsoon
झारखंड में मानसून की कम बारिश
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Published : Jul 25, 2022, 6:23 PM IST

रांचीः झारखंड में मानसून की कम बारिश से हालात बिगड़ने की आशंका पैदा होती जा रही है. जुलाई महीने के तीन हफ्ते बीतने के बाद भी कम बारिश से तमाम किसान खेतों में जहां धान रोपनी नहीं कर पाए हैं, वहीं राज्य के करीब डेढ़ लाख छोटे बड़े सरकारी-गैरसरकारी तालाबों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं है. इसके चलते मत्स्य पालक अभी तक तालाब में मछली का बीज नहीं डाल पाए हैं. इससे वे परेशान हैं और राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

ये भी पढ़ें-आखिर क्यों हर दूसरे साल सुखाड़ के मुहाने पर खड़ा हो जाता है पलामू, जानिए वजह

राज्य की सरकार ने खरीफ फसल के किसानों को राहत देने के लिए झारखंड फसल राहत योजना के लिए निबंधन शुरू कर दिया है परंतु इसका लाभ मत्स्य पालकों को नहीं मिलेगा. क्योंकि सरकार की यह योजना सिर्फ खरीफ और रबी फसल वाले किसानों के लिए है. ऐसे में राज्य के मत्स्य पालकों ने सरकार से अल्पवृष्टि से उपजे हालात को देखते हुए राहत देने की गुहार लगाई है.

देखें पूरी खबर
झारखंड में 1.6 लाख लोग मत्स्य पालन से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेः राज्य में 17959 सरकारी तालाब,129000 छोटे-बड़े तालाब हैं. वहीं 434 जलाशय हैं जिसमें मत्स्यपालन किया जाता है वहीं करीब 7000 ऐसे प्रगतिशील मतस्यपालक हैं जो मछली का बीज तैयार करते हैं. वर्ष 2021-22 में झारखंड ने रिकॉर्ड 02 लाख 57 हजार 200 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन किया था जबकि राज्य बनने के समय झारखंड में सालाना सिर्फ 14 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता था. बताया जा रहा है कि अभी तक झारखंड में सामान्य से 49 फीसदी कम बारिश हुई है. इससे तालाबों में बीज डालने का काम प्रभावित हो रहा है. इससे मत्स्य उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है.मत्स्य पालकों को राहत देने का फैसला नीतिगतः मत्स्य निदेशक राज्य के मत्स्य निदेशक एचएन द्विवेदी का कहना है कि राज्य में बेहद कम बारिश की वजह से तालाब में पानी की कमी है, जिस वजह से अभी तक मछली का बीज तालाब में कम डाला गया है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में अच्छी बारिश होने के साथ ही स्थिति में सुधार होगा. खरीफ फसल उत्पादकों की तरह राहत योजना का मत्स्य पालकों को लाभ मिले, इस पर उन्होंने कहा कि यह नीतिगत फैसला है, सरकार को यह फैसला करना है. राज्य में फसल बीमा योजना के तहत रजिस्टर्ड किसानों की फसल उपज 50 प्रतिशत तक कम होने पर प्रति एकड़ 3000 हजार रुपये अधिकतम 15 हजार और फसल उपज के 50% से अधिक नुकसान पर 4000 रुपये प्रति एकड़ और अधिकतम 20000 हजार तक का राहत देने का प्रावधान है, परंतु राज्य में कम बारिश से तालाब में पानी नहीं होने और मछली पालन प्रभावित होने के बावजूद सरकार ने अभी तक मछली पालकों के लिए कोई राहत योजना की घोषणा नहीं की है.

रांचीः झारखंड में मानसून की कम बारिश से हालात बिगड़ने की आशंका पैदा होती जा रही है. जुलाई महीने के तीन हफ्ते बीतने के बाद भी कम बारिश से तमाम किसान खेतों में जहां धान रोपनी नहीं कर पाए हैं, वहीं राज्य के करीब डेढ़ लाख छोटे बड़े सरकारी-गैरसरकारी तालाबों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं है. इसके चलते मत्स्य पालक अभी तक तालाब में मछली का बीज नहीं डाल पाए हैं. इससे वे परेशान हैं और राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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राज्य की सरकार ने खरीफ फसल के किसानों को राहत देने के लिए झारखंड फसल राहत योजना के लिए निबंधन शुरू कर दिया है परंतु इसका लाभ मत्स्य पालकों को नहीं मिलेगा. क्योंकि सरकार की यह योजना सिर्फ खरीफ और रबी फसल वाले किसानों के लिए है. ऐसे में राज्य के मत्स्य पालकों ने सरकार से अल्पवृष्टि से उपजे हालात को देखते हुए राहत देने की गुहार लगाई है.

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झारखंड में 1.6 लाख लोग मत्स्य पालन से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेः राज्य में 17959 सरकारी तालाब,129000 छोटे-बड़े तालाब हैं. वहीं 434 जलाशय हैं जिसमें मत्स्यपालन किया जाता है वहीं करीब 7000 ऐसे प्रगतिशील मतस्यपालक हैं जो मछली का बीज तैयार करते हैं. वर्ष 2021-22 में झारखंड ने रिकॉर्ड 02 लाख 57 हजार 200 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन किया था जबकि राज्य बनने के समय झारखंड में सालाना सिर्फ 14 हजार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता था. बताया जा रहा है कि अभी तक झारखंड में सामान्य से 49 फीसदी कम बारिश हुई है. इससे तालाबों में बीज डालने का काम प्रभावित हो रहा है. इससे मत्स्य उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है.मत्स्य पालकों को राहत देने का फैसला नीतिगतः मत्स्य निदेशक राज्य के मत्स्य निदेशक एचएन द्विवेदी का कहना है कि राज्य में बेहद कम बारिश की वजह से तालाब में पानी की कमी है, जिस वजह से अभी तक मछली का बीज तालाब में कम डाला गया है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में अच्छी बारिश होने के साथ ही स्थिति में सुधार होगा. खरीफ फसल उत्पादकों की तरह राहत योजना का मत्स्य पालकों को लाभ मिले, इस पर उन्होंने कहा कि यह नीतिगत फैसला है, सरकार को यह फैसला करना है. राज्य में फसल बीमा योजना के तहत रजिस्टर्ड किसानों की फसल उपज 50 प्रतिशत तक कम होने पर प्रति एकड़ 3000 हजार रुपये अधिकतम 15 हजार और फसल उपज के 50% से अधिक नुकसान पर 4000 रुपये प्रति एकड़ और अधिकतम 20000 हजार तक का राहत देने का प्रावधान है, परंतु राज्य में कम बारिश से तालाब में पानी नहीं होने और मछली पालन प्रभावित होने के बावजूद सरकार ने अभी तक मछली पालकों के लिए कोई राहत योजना की घोषणा नहीं की है.
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