रांचीः झारखंड में मानसून की कम बारिश से हालात बिगड़ने की आशंका पैदा होती जा रही है. जुलाई महीने के तीन हफ्ते बीतने के बाद भी कम बारिश से तमाम किसान खेतों में जहां धान रोपनी नहीं कर पाए हैं, वहीं राज्य के करीब डेढ़ लाख छोटे बड़े सरकारी-गैरसरकारी तालाबों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं है. इसके चलते मत्स्य पालक अभी तक तालाब में मछली का बीज नहीं डाल पाए हैं. इससे वे परेशान हैं और राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
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राज्य की सरकार ने खरीफ फसल के किसानों को राहत देने के लिए झारखंड फसल राहत योजना के लिए निबंधन शुरू कर दिया है परंतु इसका लाभ मत्स्य पालकों को नहीं मिलेगा. क्योंकि सरकार की यह योजना सिर्फ खरीफ और रबी फसल वाले किसानों के लिए है. ऐसे में राज्य के मत्स्य पालकों ने सरकार से अल्पवृष्टि से उपजे हालात को देखते हुए राहत देने की गुहार लगाई है.
झारखंड में सुखाड़ की आहट: डेढ़ लाख तालाबों में पानी नहीं, मछली पालकों ने लगाई मदद की गुहार
झारखंड में मानसून की कम बारिश ने किसानों के साथ मत्स्य पालकों के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है. अभी तक डेढ़ लाख तालाबों में पर्याप्त पानी नहीं हो सका है. इससे मत्स्य पालक तालाबों में बीज नहीं डाल पा रहे हैं. इसलिए इन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
रांचीः झारखंड में मानसून की कम बारिश से हालात बिगड़ने की आशंका पैदा होती जा रही है. जुलाई महीने के तीन हफ्ते बीतने के बाद भी कम बारिश से तमाम किसान खेतों में जहां धान रोपनी नहीं कर पाए हैं, वहीं राज्य के करीब डेढ़ लाख छोटे बड़े सरकारी-गैरसरकारी तालाबों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं है. इसके चलते मत्स्य पालक अभी तक तालाब में मछली का बीज नहीं डाल पाए हैं. इससे वे परेशान हैं और राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
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राज्य की सरकार ने खरीफ फसल के किसानों को राहत देने के लिए झारखंड फसल राहत योजना के लिए निबंधन शुरू कर दिया है परंतु इसका लाभ मत्स्य पालकों को नहीं मिलेगा. क्योंकि सरकार की यह योजना सिर्फ खरीफ और रबी फसल वाले किसानों के लिए है. ऐसे में राज्य के मत्स्य पालकों ने सरकार से अल्पवृष्टि से उपजे हालात को देखते हुए राहत देने की गुहार लगाई है.