रांची: राजधानी में स्थित राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में पानी की व्यवस्था नहीं है. जिस वजह से राज्य भर से आने वाले गरीब मरीजों को पानी के लिए प्रतिदिन जद्दोजहद करनी पड़ रही है. हीटवेव और लू के शिकार लोग लगातार अस्पताल पहुंच रहे हैं. आंकड़ों को देखें तो बढ़ती गर्मी के बीच अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है. हीट वेव और बढ़ती गर्मी से बचने के लिए डॉक्टर मरीजों को पर्याप्त पानी पीने की सलाह दे रहे हैं. दूसरी तरफ अस्पताल में पानी की समस्या है और यहां भर्ती मरीजों को पानी नहीं मिल पा रहा है.
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रांची के रिम्स में पेयजल की समस्या है. गर्मी का प्रकोप से अस्पतालों में पानी के लिए त्राहिमाम है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की बात करें तो यहां के लगभग सभी विभागों के वाटर कूलर खराब पड़े हैं. वार्ड में भर्ती मरीज के परिजनों को लंबा सफर तय कर पानी लाना पड़ रहा है या उन्हें पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. बिहार के नवादा जिला से आए मरीज के परिजन ने बताया कि उनके मरीज वार्ड में भर्ती है. लेकिन वार्ड के आसपास लगे कूलर खराब होने के कारण पानी नहीं मिल पा रहा है. इसीलिए वह लोग पैसे देकर पानी खरीदने को मजबूर हैं.
खूंटी जिला से आए एक मरीज ने बताया कि उनका मरीज चौथे तल्ले पर भर्ती है. जब भी उन्हें पानी की जरूरत पड़ती है तो चार मंजिल नीचे उतर कर उन्हे पानी खरीदना पड़ता है. इस प्रक्रिया में करीब आधा घंटा लग जाता है जिस वजह से कई बार मरीज को आधे घंटे तक पानी के लिए तरसना पड़ता है. रिम्स के सभी वार्डों में वाटर कूलर लगे हुए हैं लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं है. वाटर कूलर कई दिनों से खराब पड़े हैं लेकिन रिम्स प्रबंधन की इस पर नजर नहीं जा रही है.
कुछ ऐसी ही स्थिति रांची सदर अस्पताल में भी देखने को मिल रही है. वार्ड के अंदर लगे पानी के नल दिखावे के हैं. मरीजों को पाने के लिए जेब से पैसे खर्च करके पानी पीना पड़ता है. रिम्स में पहुंचे मरीजों ने कहा कि राजधानी के इस अस्पताल में पूरे राज्य से गरीब मरीज आते हैं ताकि उन्हें मुफ्त में स्वास्थ्य सुविधा मिल सके. लेकिन अस्पताल आने के बाद उन्हें पानी जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिलती. कई बार गरीब मरीजों को दिन भर में सौ रुपये से ज्यादा पानी के लिए भुगतान करना पड़ता है.
इसको लेकर रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि अत्यधिक उपयोग की वजह से सभी वाटर कूलर खराब हो गए हैं. जैसे ही खराब होने की सूचना अधिकारियों को मिली है उसके बाद से सभी वाटर कूलर को दुरुस्त कराने की व्यवस्था चालू कर दी गई है. दो से चार दिनों में रिम्स में आने वाले मरीजों को अपने वार्ड के पास पानी मिल पाएगा. पानी जैसी बुनियादी सुविधा रिम्स जैसे अस्पताल में ना हो ना कहीं ना कहीं स्वास्थ्य विभाग के उदासीन रवैया को दिखाता है.