रांचीः एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने राजधानी पहुंचे पद्मश्री से सम्मानित डॉल्फिनमैन प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. इस दौरान कोरोना वायरस से बचाव के उपाय के साथ-साथ डॉल्फिन संरक्षण को लेकर युद्ध स्तर पर जागरूकता बढ़ाने संबंधित कई बातों को लेकर चर्चा की गई.
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भारत की डॉल्फिन दुर्लभ
डॉ. रविंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि मछुआरों में जानकारी का अभाव है. अगर उन्हें मोनोफिलामेंट नेट यानी नाइलॉन के जाल से मछली पकड़ने से रोका जा सके तो डॉल्फिन को बचाया जा सकता है. भारत के गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन अंधी होती हैं और उन्हें जाल दिखाई नहीं पड़ता है. इस वजह से वह जाल में फंस जाती हैं. भारत के अलावा विश्व भर में डॉल्फिन की 90 प्रजातियां है. भारत में पाई जाने वाली डॉल्फिन सबसे दुर्लभ प्रजाति की है. इन डॉल्फिन को बचाना भारत के हर एक नागरिक का काम है.
प्लास्टिक का करें कम उपयोग
कोरोना से बचाव को लेकर भी आरके सिन्हा ने कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी हो रहा है. प्लास्टिक से बनी पीपीई किट हो या फिर अन्य सामग्री उसे जलाया जा रहा है. जिससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और ऐसी चीजों को रोकने के लिए इंसान को आगे आना होगा. नहीं तो आने वाला कल भयावह हो सकता है. इस दौरान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई जानकारियां ईटीवी भारत की टीम के साथ साझा की.