रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण के मामले लगभग खत्म हो गए थे. लेकिन पिछले एक माह से जिस तरह से कोरोना केस मिल रहे हैं उसने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है. रिम्स में कोरोना टास्क फोर्स के कोऑर्डिनेटर डॉ प्रभात कुमार कहते हैं कि चिंता की बात यह है कि राज्य के 99% लोगों ने मान लिया कि कोरोना समाप्त हो गया, जबकि यह सोच गलत है. अभी भी कोरोना का वायरस हमारे आसपास है और किसी भी क्षण यह व्यापक रूप ले सकता है. अगर इसे रोकना है तो कोरोना गाइडलाइन जैसे मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है. उन्होंने कहा जिन लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज या बूस्टर डोज नहीं ली है वह जरूर वैक्सीन ले लें.
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क्या कहते हैं नोडल अधिकारी: झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन यानी झासा के प्रदेश महासचिव और कोरोना जांच के लिए रांची के नोडल अधिकारी डॉक्टर बिमलेश सिंह कहते हैं कि राज्य में जो भी कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं उसमें ज्यादा संख्या दूसरे राज्यों खासकर महानगरों से आने वाले लोगों की है. ऐसे में सबसे पहले झारखंड में टेस्ट की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. दूसरा वैक्सीनेशन जरूर होना चाहिए. राज्य में जहां कोरोना एक्टिव केस की संख्या 151 है. वहीं उसमें 94 अकेले रांची में है.
मीडिया पर आरोप: राजधानी में बढ़ रहे कोरोना केस को लेकर पूछे गए सवाल पर सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार कहते हैं कि इसकी वजह यह है कि मीडिया ने लोगों को इसकी गंभीरता बताना बंद या कम कर दिया है, लोग बेखौफ हो गए हैं. डॉक्टर विनोद कुमार ने बताया कि कोविड के मामले कम हो जाने पर भी कोरोना गाइडलाइन का पालन जरूरी है, टीकाकरण जरूरी है. सिविल सर्जन के अनुसार सभी स्टेटिक कोरोना जांच केंद्र के साथ साथ रांची एयरपोर्ट पर फिर एक बार बाहर से आने वाले यात्रियों के सैंपल लेकर कोरोना जांच की व्यवस्था की गई है.
पूरा स्वास्थ्य विभाग चिंतित: बता दें कि 23 जून गुरुवार को राज्य में 5437 सैंपल की जांच में 36 नए कोरोना संक्रमित मिले थे. जबकि 10 संक्रमित रिकवर हुए थे. जिसके बाद राज्य में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या बढ़कर 151 हो गयी. झारखंड में कोरोना के एक्टिव केस राज्य के 12 जिलों तक पहंच चुके हैं और तेजी से अपना पैर पसार रहे हैं. इसी को लेकर पूरा स्वास्थ्य विभाग चिंतित है.