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Ranchi News: दो साल से मुआवजे के इंतजार में आपदा पीड़ित बसरुद्दीन, यास तूफान ने छीन लिया आशियाना - Jharkhand News

रांची के बेड़ो में आपदा पीड़ित बसरुद्दीन अंसारी दो सालों से मुआवजे का इंतजार कर रहा है. यास तूफान के कारण वह बेघर हो गया है और तभी से गांव के ही एक स्कूल में परिवार के साथ गुजर बसर कर रहा है. अब स्कूल वाले उन पर जगह खाली करने का दवाब बना रहे हैं. तत्कालीन मांडर विधायक बंधु तिर्की ने पीड़ित को मुआवजा दिलाने की बात कही थी.

Disaster victim Basruddin Ansari waiting for compensation
आपदा पीड़ित बसरुद्दीन अंसारी और उसका परिवार
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Published : Feb 13, 2023, 9:44 AM IST

Updated : Feb 13, 2023, 1:11 PM IST

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रांची: राजधानी रांची के बेड़ो प्रखंड के करांजी गांव का रहने वाला आपदा पीड़ित बसरुद्दीन अंसारी करीब दो सालों से मुआवजे के इंतजार में है. साल 2021 के जून महीने में यास तूफान और भारी बारिश से बसरुद्दीन का घर पूरी तरह ध्वस्त हो गया था. बसरुद्दीन मोटिया मजदूरी का काम करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता है. मकान के गिरने से बसरुद्दीन बेघर हो गया है. तत्कालीन मांडर विधानसभा क्षेत्र के विधायक बंधु तिर्की ने स्थानीय पदाधिकारियों के साथ दौरा कर पीड़ित को मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया था.

ये भी पढ़ें: मनरेगा मजदूरों की मौत पर आश्रितों को मिलेगा मुआवजा, साल में 15 दिन मनरेगा में मजदूरी करना अनिवार्य

स्कूल में कराया गया था शिफ्ट: अंचलाधिकारी ने बसरुद्दीन को कोरोनाकाल में बंद पड़े स्कूल भवन में शिफ्ट कराया और मुआवजे के लिए पत्रांक 326(II) 10 जून 2021 में दर्ज कराया, लेकिन पीड़ित को आज तक किसी भी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिला है. बसरुद्दीन आज भी अपनी पत्नी नूरजहां खातून, 14 वर्षीय पुत्री नूरी आजमीन, 10 वर्षीय पुत्र ओसामा नूर और 5 वर्षीय छोटी पुत्री नमीरा नाज के साथ गांव स्थित राजकीय उत्क्रमित उर्दू मध्य विध्यालय करांजी में पूरे परिवार के शरण लिये हुए है. इधर स्कूल के शिक्षक स्कूल का कमरा खाली करने के लिए दबाव बना रहे हैं. उनका कहना है कि स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के लिए बैठने की जगह की कमी हो रही है.

Disaster victim Basruddin Ansari waiting for compensation
आपदा पीड़ित बसरुद्दीन अंसारी और उसका परिवार

क्या कहता है पीड़ित: आपदा पीड़ित बसरुद्दीन का कहना है कि 'कोरोना काल में मेरी जमा पूंजी खत्म हो गयी. वहीं बारिश से घर के ध्वस्त हो गया. लगभग दो साल होने को हैं, लेकिन किसी भी तरह का मुआवजा नहीं मिला है. मैं जब पदाधिकारीयों से मिलता हूं तो वे कहते हैं. आपका आवेदन भेज दिया हूं. जब स्वीकृत हो जायगा तो आपको मुआवजा मिल जायगा, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं मिला है. अब मैं क्या करूं? कैसे करूं? मेरे पास घर बनाने के पैसे नहीं है.'

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रांची: राजधानी रांची के बेड़ो प्रखंड के करांजी गांव का रहने वाला आपदा पीड़ित बसरुद्दीन अंसारी करीब दो सालों से मुआवजे के इंतजार में है. साल 2021 के जून महीने में यास तूफान और भारी बारिश से बसरुद्दीन का घर पूरी तरह ध्वस्त हो गया था. बसरुद्दीन मोटिया मजदूरी का काम करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता है. मकान के गिरने से बसरुद्दीन बेघर हो गया है. तत्कालीन मांडर विधानसभा क्षेत्र के विधायक बंधु तिर्की ने स्थानीय पदाधिकारियों के साथ दौरा कर पीड़ित को मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया था.

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स्कूल में कराया गया था शिफ्ट: अंचलाधिकारी ने बसरुद्दीन को कोरोनाकाल में बंद पड़े स्कूल भवन में शिफ्ट कराया और मुआवजे के लिए पत्रांक 326(II) 10 जून 2021 में दर्ज कराया, लेकिन पीड़ित को आज तक किसी भी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिला है. बसरुद्दीन आज भी अपनी पत्नी नूरजहां खातून, 14 वर्षीय पुत्री नूरी आजमीन, 10 वर्षीय पुत्र ओसामा नूर और 5 वर्षीय छोटी पुत्री नमीरा नाज के साथ गांव स्थित राजकीय उत्क्रमित उर्दू मध्य विध्यालय करांजी में पूरे परिवार के शरण लिये हुए है. इधर स्कूल के शिक्षक स्कूल का कमरा खाली करने के लिए दबाव बना रहे हैं. उनका कहना है कि स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के लिए बैठने की जगह की कमी हो रही है.

Disaster victim Basruddin Ansari waiting for compensation
आपदा पीड़ित बसरुद्दीन अंसारी और उसका परिवार

क्या कहता है पीड़ित: आपदा पीड़ित बसरुद्दीन का कहना है कि 'कोरोना काल में मेरी जमा पूंजी खत्म हो गयी. वहीं बारिश से घर के ध्वस्त हो गया. लगभग दो साल होने को हैं, लेकिन किसी भी तरह का मुआवजा नहीं मिला है. मैं जब पदाधिकारीयों से मिलता हूं तो वे कहते हैं. आपका आवेदन भेज दिया हूं. जब स्वीकृत हो जायगा तो आपको मुआवजा मिल जायगा, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं मिला है. अब मैं क्या करूं? कैसे करूं? मेरे पास घर बनाने के पैसे नहीं है.'

Last Updated : Feb 13, 2023, 1:11 PM IST
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