रांचीः झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले सभी राजनीतिक पार्टियां रैलियां कर रही हैं. चाहे सीएम की जोहार जन आशीर्वाद यात्रा हो या जेएमएम की बदलाव यात्रा. हर कोई इस बार के चुनाव में बाजी मारने की कोशिश कर रहा है. हर बार की तरह इस बार भी वही दावे और वही आरोप-प्रत्यारोपों का दौर. इन सब के बीच सबसे ज्यादा गुमराह जनता हो रही है, लेकिन कुछ मानदंड हैं जिसके आधार पर यह तय किया जा सकता है कि आपके विधायक ने सही तरीके से काम किया है या नहीं, उन्हीं में से एक है विधायक विकास निधि. आइए जानते हैं इसके बारे में.
![Details of MLA Development Fund in jharkhand](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4868678_mlafund.jpg)
जानें क्या होती है विधायक विकास निधि
विधायकों को हर साल विधायक विकास निधि के रूप में एक निश्चित राशि मिलती है. इसका प्रयोग उन्हें अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए करना होता है. वहीं, चूंकि ये राशि विकास कामों के लिए दिए जाते हैं, इस वजह से जनता को यह जानने का हक है कि उनके प्रतिनिधियों ने अपने विकास निधि का पैसा कहां खर्च किया. आरटीआई के जरिए कोई भी यह जानकारी ले सकता है. विधायक जनता की मांग पर या अपने विवेक से उस निधि का प्रयोग विकास के लिए करता है.
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झारखंड में इसकी स्थिति
छोटी योजनाओं में लगे ज्यादातर फंड
झारखंड में विधायक विकास निधि 4 करोड़ है. राज्य के 81 विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष यह राशि दी जाती है. बात अगर फंड को खर्च करने की करें तो झारखंड के ज्यादातर जनप्रतिनिधियों ने फंड का इस्तेमाल बड़ी-बड़ी योजनाओं की जगह छोटी योजनाओं के लिए किया है. अधिकांश राशि पीसीसी सड़क, नालियों के निर्माण, सामुदायिक भवन या चबूतरा, सिंचाई, नाली, पेयजल के लिए चापाकल या दूसरे विकास कार्यों में खर्च की गई है.
80 फीसदी खर्च करने पर अगली किस्त
नियम के अनुसार अगर कोई विधायक एक वित्तीय वर्ष में 80 फीसदी या इससे अधिक पैसा खर्च कर लेता है, तभी उसे दूसरे वित्तीय वर्ष की किस्त मिलती है. झारखंड में ज्यादातर स्थिति में विधायक निधि मामले में वित्तीय वर्ष हमेशा एक साल पीछे चलता है. इसका कारण हो चुके काम की उपयोगिता का प्रमाणपत्र समय पर जमा नहीं होना रहता है. विधायक निधि मामले में हर साल मार्च के अंत में सरकार के आदेश पर वित्त विभाग अग्रिम निकासी का आदेश जारी करता है.