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देवघर रोपवे हादसा: प्रशासन सतर्क होता और रोपवे के नीचे जाल बिछाया जाता तो बच सकती थी दो लोगों की जान

देवघर रोपवे हादसा बचाव कार्य संपन्न तो हो गया. लेकिन इसने पूरे ऑपरेशन पर सवाल भी खड़े किए हैं. यह खामियां नहीं होती तो दो लोगों की जान बच सकती थी. आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल और पर्यटन सचिव राहुल सिन्हा और एडीजी आरके मलिक मौके पर मौजूद थे, लेकिन वे बचाव टीम में तालमेल नहीं बिठा सके. जहां रेस्क्यू अभियान चल रहा था वहां जाल लगाया जाता तो शायद दो लोगों की जान बच सकती थी.

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घाटी में नहीं लगाया गया था जाल
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Published : Apr 12, 2022, 10:50 PM IST

Updated : Apr 12, 2022, 11:02 PM IST

रांची: देवघर के त्रिकूट पर्वत पर रोपवे हादसे के बाद 2 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन को तब सौ फीसदी सफल माना जाता, जब किसी की जान नहीं जाती. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इंडियन एयर फोर्स ने भी ट्वीट कर ऑपरेशन के दौरान एक महिला और एक पुरुष की मौत पर अफसोस जाहिर किया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंडियन एयर फोर्स की इतनी ट्रेंड टीम के नेतृत्व में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान भी दो लोगों की जान कैसे चली गई. फौरी तौर पर ऑपरेशन के दौरान जो कुछ देखने को मिला उसके मुताबिक 11 अप्रैल को एअरलिफ्ट कर एक पुरुष पर्यटक को चॉपर में करीब-करीब शिफ्ट कर दिया गया था. इसके बावजूद वह नीचे खाई में गिर गया. दूसरी घटना 12 अप्रैल को दोपहर के वक्त घटी जब एक महिला को एयरलिफ्ट किया जा रहा था लेकिन रोपवे में रस्सी फंसने की वजह से वह नीचे गिर गई.


ये भी पढ़ें-देवघर में त्रिकूट हिल्स रोपवे हादसाः वायु सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जान गंवाने वालों के लिए जताया दुख, जानें और क्या कहा

ऐसे गई रेस्क्यू ऑपरेशन में पर्यटक की जान

जाल क्यों नहीं बिछाया गयाः अब सवाल है कि दोनों घटनाओं के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए या नहीं. यह सवाल इसलिए लाजमी है क्योंकि पूरे ऑपरेशन के दौरान देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री के अलावा आपदा प्रबंधन के सचिव अमिताभ कौशल और पर्यटन सचिव राहुल सिन्हा के साथ-साथ एडीजी आरके मलिक मौके पर मौजूद थे. इतने सीनियर अफसरों की मौजूदगी के बावजूद रेस्क्यू के दौरान एयरफोर्स, सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ के बीच क्यों तालमेल नहीं बिठाया गया. अगर तालमेल बिठाया गया होता तो जहां रेस्क्यू चल रहा था, उन ट्रालियों के नीचे नेटिंग की जा सकती थी. अगर जाल बिछाया गया होता तो जिन 2 लोगों की खाई में गिरने से जान गई थी, वह बच गए होते. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

ऐसे गई रेस्क्यू ऑपरेशन में पर्यटक की जान



जिला प्रशासन सूची भी नहीं तैयार कर पायाः चूंकि दो लोगों की मौत हुई है, इसलिए सवाल उठना लाजमी है कि आखिर राज्य सरकार के इतने सारे पदाधिकारी वहां पहुंचे क्यों थे. क्या उनका काम पुलिस का डेपुटेशन और खाना बनवाना भर था. सबसे खास बात यह है कि दो दिन तक चले ऑपरेशन के बाद भी देवघर के जिला प्रशासन की तरफ से रेस्क्यू किए गए लोगों की सूची भी जारी नहीं की गई. बार-बार सवाल करने पर सिर्फ यही बताया गया कि रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. इससे साफ है कि इस पूरी कवायद में जिला प्रशासन सिर्फ मूकदर्शक की भूमिका में था. अब देखना है कि राज्य सरकार को यह कोताही नजर आती है या नहीं.

रांची: देवघर के त्रिकूट पर्वत पर रोपवे हादसे के बाद 2 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन को तब सौ फीसदी सफल माना जाता, जब किसी की जान नहीं जाती. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इंडियन एयर फोर्स ने भी ट्वीट कर ऑपरेशन के दौरान एक महिला और एक पुरुष की मौत पर अफसोस जाहिर किया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंडियन एयर फोर्स की इतनी ट्रेंड टीम के नेतृत्व में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान भी दो लोगों की जान कैसे चली गई. फौरी तौर पर ऑपरेशन के दौरान जो कुछ देखने को मिला उसके मुताबिक 11 अप्रैल को एअरलिफ्ट कर एक पुरुष पर्यटक को चॉपर में करीब-करीब शिफ्ट कर दिया गया था. इसके बावजूद वह नीचे खाई में गिर गया. दूसरी घटना 12 अप्रैल को दोपहर के वक्त घटी जब एक महिला को एयरलिफ्ट किया जा रहा था लेकिन रोपवे में रस्सी फंसने की वजह से वह नीचे गिर गई.


ये भी पढ़ें-देवघर में त्रिकूट हिल्स रोपवे हादसाः वायु सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जान गंवाने वालों के लिए जताया दुख, जानें और क्या कहा

ऐसे गई रेस्क्यू ऑपरेशन में पर्यटक की जान

जाल क्यों नहीं बिछाया गयाः अब सवाल है कि दोनों घटनाओं के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए या नहीं. यह सवाल इसलिए लाजमी है क्योंकि पूरे ऑपरेशन के दौरान देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री के अलावा आपदा प्रबंधन के सचिव अमिताभ कौशल और पर्यटन सचिव राहुल सिन्हा के साथ-साथ एडीजी आरके मलिक मौके पर मौजूद थे. इतने सीनियर अफसरों की मौजूदगी के बावजूद रेस्क्यू के दौरान एयरफोर्स, सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ के बीच क्यों तालमेल नहीं बिठाया गया. अगर तालमेल बिठाया गया होता तो जहां रेस्क्यू चल रहा था, उन ट्रालियों के नीचे नेटिंग की जा सकती थी. अगर जाल बिछाया गया होता तो जिन 2 लोगों की खाई में गिरने से जान गई थी, वह बच गए होते. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

ऐसे गई रेस्क्यू ऑपरेशन में पर्यटक की जान



जिला प्रशासन सूची भी नहीं तैयार कर पायाः चूंकि दो लोगों की मौत हुई है, इसलिए सवाल उठना लाजमी है कि आखिर राज्य सरकार के इतने सारे पदाधिकारी वहां पहुंचे क्यों थे. क्या उनका काम पुलिस का डेपुटेशन और खाना बनवाना भर था. सबसे खास बात यह है कि दो दिन तक चले ऑपरेशन के बाद भी देवघर के जिला प्रशासन की तरफ से रेस्क्यू किए गए लोगों की सूची भी जारी नहीं की गई. बार-बार सवाल करने पर सिर्फ यही बताया गया कि रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. इससे साफ है कि इस पूरी कवायद में जिला प्रशासन सिर्फ मूकदर्शक की भूमिका में था. अब देखना है कि राज्य सरकार को यह कोताही नजर आती है या नहीं.

Last Updated : Apr 12, 2022, 11:02 PM IST
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