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Sarhul In Jharkhand: सरहुल पर तीन दिनों का सरकारी अवकाश घोषित करने की मांग, आदिवासी संगठनों ने राष्ट्रपति, पीएम समेत सीएम से मिलने की घोषणा की

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Published : Mar 15, 2023, 1:42 PM IST

झारखंड के विभिन्न आदिवासी संगठन के लोग सरहुल पर तीन दिनों की सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग कर रहे हैं. इस संबंध में आदिवासी संगठनों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापने सौंपने का निर्णय लिया है.

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Tribals Demand Three Days Leave On Sarhul

रांची: प्रकृति पर्व सरहुल पर राज्यभर के आदिवासी संगठन तीन दिनों का सरकारी अवकाश देने की मांग को लेकर लगातार मुखर रहे हैं. अब इस मुद्दे पर सरना के धार्मिक संगठन राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा ने राष्ट्रपित, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही है. इस संबंध में राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा के केंद्रीय महासचिव विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि उनके संगठन के साथ-साथ राज्यभर के 43 के करीब सरना के सामाजिक और धार्मिक संगठन हैं जो सरहुल पर्व की छुट्टियों को बढ़ाने की मांग के समर्थन में हैं.

ये भी पढे़ं-रामगढ़ के पतरातू प्रखंड में प्रकृति पर्व सरहुल की रही धूम, देखें वीडियो

सरहुल तीन दिनों का महोत्सवः विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि सरहुल एक दिन की पूजा नहीं है, बल्कि यह महोत्सव है. उन्होंने कहा कि सरहुल के पहले दिन उपवास होता है, दूसरे दिन पूजा के साथ जुलूस निकाला जाता है और तीसरे दिन फूल खोसी होती है. राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा का कहना है कि आदिवासी अपने त्योहार के दिनों में सिर्फ त्योहार ही मानते हैं और उसमें बसियारी का अलग महत्व होता है. इसलिए सरकार प्रकृति पर्व सरहुल में तीन दिनों के अवकाश का नोटिफिकेशन जारी करें. इसमें से एक एनआई एक्ट के तहत हो, दूसरा कार्यपालिका के तहत हो और तीसरा रिस्ट्रिक्टेड अवकाश हो.

इस वर्ष 24 मार्च को है सरहुलः इस वर्ष प्रकृति पर्व 24 मार्च को है. इससे एक दिन पहले 23 मार्च को उपवास और शाम में पूजा होगी. 24 मार्च को सरना धर्म स्थल पर सुबह में पूजा और दोपहर बाद शोभायात्रा और 25 मार्च को फूल खोंसी होगा. इन तीन दिनों के आयोजन की वजह से ही अब सरना समाज के लोग तीन दिनों की सरकारी छुट्टी देने की मांग कर रहे हैं.


सरहुल का त्योहार है आदिवासियों के लिए खासः सरहुल का अर्थ ही होता है पेड़ की पूजा करना. प्रकृति के बेहद करीब रहने वाले जनजातीय समाज के लोग पेड़ और प्रकृति के तत्व सूरज की पूजा कर सरहुल महोत्सव की शुरुआत करते हैं. झारखंड के तीनों बड़ी जनजातीय समुदाय मुंडा, उरांव और संथाल के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य जनजातीय समुदाय भी इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

सरकार के फैसले पर सबकी नजरः प्रकृति पर्व सरहुल में अवकाश को तीन दिनों का करने की मांग अलग-अलग सरना संगठन और अन्य सामाजिक संगठन उठा रहे हैं. अब राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा जैसे बड़े संगठन द्वारा भी इस मांग के समर्थन में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपने और राष्ट्रपति से मुलाकात करने की घोषणा की है. ऐसे में सरकार क्या फैसला लेती है, उस पर सबकी नजर है.

रांची: प्रकृति पर्व सरहुल पर राज्यभर के आदिवासी संगठन तीन दिनों का सरकारी अवकाश देने की मांग को लेकर लगातार मुखर रहे हैं. अब इस मुद्दे पर सरना के धार्मिक संगठन राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा ने राष्ट्रपित, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही है. इस संबंध में राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा के केंद्रीय महासचिव विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि उनके संगठन के साथ-साथ राज्यभर के 43 के करीब सरना के सामाजिक और धार्मिक संगठन हैं जो सरहुल पर्व की छुट्टियों को बढ़ाने की मांग के समर्थन में हैं.

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सरहुल तीन दिनों का महोत्सवः विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि सरहुल एक दिन की पूजा नहीं है, बल्कि यह महोत्सव है. उन्होंने कहा कि सरहुल के पहले दिन उपवास होता है, दूसरे दिन पूजा के साथ जुलूस निकाला जाता है और तीसरे दिन फूल खोसी होती है. राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा का कहना है कि आदिवासी अपने त्योहार के दिनों में सिर्फ त्योहार ही मानते हैं और उसमें बसियारी का अलग महत्व होता है. इसलिए सरकार प्रकृति पर्व सरहुल में तीन दिनों के अवकाश का नोटिफिकेशन जारी करें. इसमें से एक एनआई एक्ट के तहत हो, दूसरा कार्यपालिका के तहत हो और तीसरा रिस्ट्रिक्टेड अवकाश हो.

इस वर्ष 24 मार्च को है सरहुलः इस वर्ष प्रकृति पर्व 24 मार्च को है. इससे एक दिन पहले 23 मार्च को उपवास और शाम में पूजा होगी. 24 मार्च को सरना धर्म स्थल पर सुबह में पूजा और दोपहर बाद शोभायात्रा और 25 मार्च को फूल खोंसी होगा. इन तीन दिनों के आयोजन की वजह से ही अब सरना समाज के लोग तीन दिनों की सरकारी छुट्टी देने की मांग कर रहे हैं.


सरहुल का त्योहार है आदिवासियों के लिए खासः सरहुल का अर्थ ही होता है पेड़ की पूजा करना. प्रकृति के बेहद करीब रहने वाले जनजातीय समाज के लोग पेड़ और प्रकृति के तत्व सूरज की पूजा कर सरहुल महोत्सव की शुरुआत करते हैं. झारखंड के तीनों बड़ी जनजातीय समुदाय मुंडा, उरांव और संथाल के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य जनजातीय समुदाय भी इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

सरकार के फैसले पर सबकी नजरः प्रकृति पर्व सरहुल में अवकाश को तीन दिनों का करने की मांग अलग-अलग सरना संगठन और अन्य सामाजिक संगठन उठा रहे हैं. अब राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा जैसे बड़े संगठन द्वारा भी इस मांग के समर्थन में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपने और राष्ट्रपति से मुलाकात करने की घोषणा की है. ऐसे में सरकार क्या फैसला लेती है, उस पर सबकी नजर है.

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