रांचीः पत्थलगड़ी समर्थकों का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचा है. राजभवन के सामने अधिकारों को परिभाषित करते हुए बैनर लिए पत्थलगड़ी समर्थक पहुंचे हैं और पारंपरिक गीत गा रहे हैं. पत्थलगड़ी समर्थकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल मुलाकात की
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प्रावधानों को पूरा करने की मांग
पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासियों के लिए संविधान में दिए गए प्रावधानों को पूरा करने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है. कल यानी सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट के नजदीक शिलापट्ट लगाने की कोशिश के बाद आज आदिवासियों का एक शिष्टमंडल राजभवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. धनेश्वर टोप्पो के नेतृत्व में आए 4 सदस्यीय शिष्टमंडल ने राज्यपाल को 5वीं अनुसूची के तहत राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में शासन, प्रशासन आदिवासियों के हाथ में देने की मांग की.
प्रमुख स्थानों पर लगाए जाएं शिलापट्ट
कुडुख नेशनल कौंसिल के बैनर तले आए आदिवासी समाज के लोगों ने साफ तौर पर कहा है कि उन लोगों की तरफ से रांची सहित सभी अनुसूचित क्षेत्रों के प्रमुख स्थानों पर शिलापट्ट हर हाल में लगाया जाएगा. इसके लिए हम लोगों को किसी की अनुमति लेनी आवश्यक नहीं है. इस मौके पर शिष्टमंडल में शामिल पहड़ा राजा, फदयूस लकड़ा ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत उनकी मांगें हैं, जिसे पूरा किया जाना चाहिए.
हालांकि इस संदर्भ में राज्यपाल से मुलाकात के दौरान शिष्टमंडल को कोई ठोस आश्वासन न मिलने से आंदोलनकारी निराश दिखे. राजभवन पहुंची जयपाल सिंह मुंडा की पोती जहांआरा कच्छप ने मांगों को दुहराते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में चुनाव कराना असंवैधानिक है. मुख्यमंत्री चुनाव जीतकर आते हैं , जबकि राज्यपाल स्टेट कस्टोडियन है. इसलिए मुख्यमंत्री के बजाय हम लोग राज्यपाल के पास आए हैं. हाथों में लाल, उजला और काला रंग का झंडा लेकर राजभवन पहुंचे इन आंदोलनकारियों ने साफ तौर पर कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. राजभवन पहुंचने वालों में फदयूस लकड़ा, लोथर टोपनो, धनेश्वर टोप्पो, जनार्दन टाना भगत, फोदो उरांव और जयपाल सिंह मुंडा की पोती जहांआरा कच्छप शामिल हैं.
शासन व्यवस्था की मांग
जानते हैं झारखंड में कौन-कौन से हैं अनुसूचित स्थान जहां आदिवासी समाज की तरफ से अपनी शासन व्यवस्था की मांग की जा रही है. रांची, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, साहिबगंज पाकुड़, जामताड़ा, गढ़वा का भंडरिया ब्लॉक गोड्डा का सुंदर पहाड़ी बौरी जोर ब्लॉक शामिल हैं. इन क्षेत्रों में संथाली, मुंडा, खड़िया सहित विभिन्न जनजातियां निवास करती हैं.
प्रमुख स्थानों पर शिलापट्ट लगाने का निर्णय
आदिवासी संगठन रांची सहित सभी अनुसूचित क्षेत्रों के प्रमुख स्थानों पर शिलापट्ट लगाने का निर्णय लिया है. हजारों समर्थक सड़क पर उतरकर मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन तेज करेंगे. पत्थलगड़ी को लेकर पिछली सरकार में खूंटी काफी सुर्खियों में आ गया था, जिसके बाद बिगड़ती कानून व्यवस्था के बीच पुलिस प्रशासन ने किसी तरह इसे शांत करने में सफल हुई.
कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक रहा मगर राज्य में सत्ता बदलते ही हेमंत सरकार ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर दर्ज केस वापस लेकर कहीं न कहीं इनके मनोबल को बढ़ाने का काम किया. ऐसे में यह 5वीं अनुसूची के तहत शेड्यूल एरिया में जनजातियों का राज स्थापित करने के लिए गोलबंद हो रहे हैं. लोग सीधे तौर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत गठित शासन प्रशासन को मानने से इंकार कर सरकार को खुले रूप से चुनौती दे रहे हैं.