रांची: गुजरात एटीएस को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के खिलाफ एक बड़ी सफलता मिली है. दरअसल, गुजरात की एटीएस टीम ने दाऊद इब्राहिम के करीबी अब्दुल माजिद कुट्टी को गिरफ्तार किया है. अब्दुल मजीद कुट्टी की गिरफ्तारी झारखंड से हुई है. दाऊद के इस करीबी की तलाश पिछले करीब 24 साल से चल रही थी. माना जा रहा है कि वह दाऊद के कई राज उगल सकता है.
2.50 करोड़ के मंगवाए हथियार
झारखंड के जमशेदपुर से गिरफ्तार आतंकी अब्दुल मजीद अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का बेहद करीबी था. पाकिस्तानी एजेंसी की मदद से महाराष्ट्र और गुजरात के गणतंत्र दिवस समारोह में हमले की योजना दाऊद इब्राहिम के गुर्गों ने रची थी. इस गिरोह की ओर से तकरीबन 2.50 करोड़ के हथियार भारत में मंगवाए गए थे. पूरी योजना में केरल का अब्दुल मजीद उर्फ कुट्टी बेहद सक्रिय था.
कपड़ा व्यवसायी के रूप में पहचान
केरल का रहने वाला मजीद मुंबई में माहिम इलाके में रहने के दौरान ही मात्र 18 साल की उम्र में ही दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम, अबू सलेम, टाइगर मेनन और छोटा शकील के संपर्क में आ चुका था. 1993 के बम धमाकों के बाद भी अब्दुल का संपर्क दाऊद गिरोह के साथ था. चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी अधिक सक्रिय रहने के बाद भी अब्दुल झारखंड की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के रडार पर नहीं आ पाया था. झारखंड पुलिस और आतंकियों के खिलाफ काम करने वाली झारखंड एटीएस को अब्दुल मजीद के बारे में 4 साल से भनक नहीं मिल पाई थी. मजीद ने अपना नाम बदल कर मो. कलाम रख लिया और एक कपड़ा कारोबारी के रूप में पहचान बना ली. मोहम्मद कलाम के नाम से ही उसने अपना पासपोर्ट बनवाया और इस दौरान उसने दुबई, बैंकाक और मलेशिया का दौरा किया करता था. साल 2016 में वह बारी मोहल्ला जमशेदपुर में आकर बस गया था.
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जमशेदपुर के इनाम अली की भूमिका संदिग्ध
अब्दुल मजीद को जमशेदपुर में पनाह देने में वहीं के मोहम्मद इनाम अली नाम के व्यक्ति की भूमिका काफी संदिग्ध है. पूछताछ में यह बात सामने आई है कि सोना तस्करी रैकेट से जुड़ने के दौरान ही अब्दुल का संपर्क बैंकॉक में जमशेदपुर के मोहम्मद इनाम से हुआ था. मोहम्मद इनाम ने ही फर्जी पते पर मजीद का पासपोर्ट बनवाया था. इसके बाद उसी पासपोर्ट पर कपड़ा व्यवसाय के बहाने अब्दुल ने कई बार विदेश यात्रा की.
हिंदी का शिक्षक बनकर ली शरण
आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल के लिए झारखंड के कई शहर काफी बदनाम रहे हैं. जमशेदपुर से तो कई बार आतंकी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. अलकायदा सिमी इंडियन मुजाहिदीन जमात उल बांग्ला जैसे आतंकी संगठनों की सक्रियता झारखंड में पहले से रही है. साल 2013 के बोधगया ब्लास्ट में रांची के आतंकियों की भूमिका रही थी. रांची के धुर्वा थाना क्षेत्र के सीटीओ और ओरमांझी से इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े आतंकी गिरफ्तार किए गए थे. इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े भटकल बंधुओं ने भी रांची के कांटा टोली इलाके के एक मकान में हिंदी का शिक्षक बन शरण ली थी. वहीं सूरत और अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में रांची के मंजर इमाम और दानिश गिरफ्तार हो चुके हैं. दोनों रांची के बरियातू इलाके में रहते थे.