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रांची में मच्छर जनित रोगों के बढ़ने का खतरा, नहीं हो रही फॉगिंग की व्यवस्था

रांची में पिछले 6 महीनों से मच्छर जनित रोगों के लिए की जाने वाली फॉगिंग का काम पूरी तरह से ठप है. एक से डेढ़ महीने पहले फॉगिंग की शुरुआत की गई थी, लेकिन फिर वह बंद कर दी गई. शहर में फॉगिंग के लिए सिर्फ 3 गाड़ियां हैं. ऐसे में वार्डों में फॉगिंग नहीं हो पा रही है, जिससे मच्छर जनित बीमारियां पनपना शुरू कर देगी.

रांची में मच्छर जनित रोगों के बढ़ने का मंडरा रहा खतरा
danger of increasing mosquito-borne diseases in Ranchi
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Published : Aug 22, 2020, 4:23 PM IST

Updated : Aug 23, 2020, 8:50 PM IST

रांची: बरसात आते ही राजधानी में डेंगू और मलेरिया जैसे मच्छर जनित बीमारियां पनपने लगती है, लेकिन इस साल नगर निकायों को कोरोना संक्रमण के खिलाफ भी सेनेटाइजेशन का काम करना पड़ रहा है. इसकी वजह नगर निगम की ओर से मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम को लेकर चलाया जाने वाला अभियान प्रभावित हुआ है. एक महीने पहले फॉगिंग की शुरुआत हुई तो थी, लेकिन फिर से फॉगिंग बंद हो गई है. ऐसे में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ मच्छर जनित रोगों के प्रकोप के बढ़ने की भी आशंका बढ़ती जा रही है.

देखें स्पेशल खबर

कोल्ड फॉगिंग

रांची में पिछले 6 महीनों से मच्छर जनित रोगों के लिए की जाने वाली फॉगिंग का काम पूरी तरह से ठप है. एक से डेढ़ महीने पहले फॉगिंग की शुरुआत की गई थी, लेकिन फिर वह बंद कर दी गई. शहर में 53 वार्ड हैं, लेकिन फॉगिंग के लिए सिर्फ 3 गाड़ियां हैं. ऐसे में वार्डों में फॉगिंग नहीं हो पा रही है. पहले मिट्टी तेल से होने वाली फॉगिंग की जाती थी, जो पिछले 1 साल से बंद है. इसकी जगह पर कोल्ड फॉगिंग की जाती है. इसके लिए नगर निगम की ओर से तीन गाड़ियां खरीदी गई थी, जिसमें एक गाड़ी वीआईपी इलाकों के लिए है, जबकि 2 गाड़ियों पर शहर के 53 वार्डों में कोल्ड फॉगिंग की जिम्मेवारी है. उससे भी वर्तमान में फॉगिंग नहीं हो रही है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रांची में फॉगिंग की क्या स्थिति है.

ये भी पढ़ें-पाताल भुवनेश्वर में है श्रीगणेश का मस्तक, ब्रह्मकमल से गिरती हैं दिव्य बूंदें

मच्छर जनित रोग की रोकथाम की तैयारी

शहर की मेयर आशा लकड़ा का कहना है कि सुबह में सेनेटाइजेशन के लिए निगम की गाड़ियां वार्डों में घूमती हैं और शाम में कोल्ड फॉगिंग की जाती है. पहले धुएं वाली फॉगिंग होती थी. इसलिए लोगों को पता चलता था, लेकिन अब कोल्ड फॉगिंग में धुंआ नहीं होता है. इसलिए लोगों को पता नहीं चल पाता है. उन्होंने कहा कि मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिए शहर में लगातार सफाई अभियान तेज किया गया है. यही वजह है कि नालियों की सफाई की जा रही है, साथ ही आसपास के झाड़ियों कि सफाई और कचरा उठाओ का काम तेजी से किया जा रहा है, ताकि मच्छर जनित रोग की रोकथाम की जा सके.

नहीं बनाया गया है फॉगिंग का रोस्टर

मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिए इस मानसून के समय में भी निगम की ओर से फॉगिंग का रोस्टर नहीं बनाया गया है. शहर के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि फॉगिंग के रोस्टर में गड़बड़ियां हैं और वर्तमान में कोरोना वायरस के लिए सेनेटाइजेशन में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन जल्दी रोस्टर भी बना लिया जाएगा और उसके अनुसार फॉगिंग की जाएगी, ताकि मच्छर जनित रोगों की रोकथाम हो सके. वार्ड पार्षदों कहना है कि उन्हें नगर निगम के फॉगिंग रोस्टर से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि उन्हें धरातल पर फॉगिंग का काम दिखना चाहिए, जो जनता की मांग है, लेकिन मच्छर जनित रोगों की रोकथाम को लेकर नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है और न ही कोई संसाधन है. नगर आयुक्त नए आए हैं, जो वर्तमान में सिर्फ सेनेटाइजेशन पर ही ध्यान दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें-सुशांत केस : कुक नीरज से पूछताछ, गेस्ट हाउस लेकर आई सीबीआई टीम

सेनेटाइजेशन का काम भी पड़ा है बंद

स्थानीय लोगों का कहना है कि मच्छर का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन महीनों से फागिंग की गाड़ियां नहीं दिखी हैं. पहले सेनेटाइजेशन का काम भी जोर-शोर से चल रहा था. वह भी अब बंद हो गया है, जिससे खतरा बढ़ता जा रहा है. मानसून के दौरान राजधानी का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा है, जहां मच्छर का प्रकोप न बढ़ा हो. लगातार बारिश की वजह से जलजमाव भी मच्छर को पनपने का पूरा मौका दे रही हैं, जिससे मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है.

रांची: बरसात आते ही राजधानी में डेंगू और मलेरिया जैसे मच्छर जनित बीमारियां पनपने लगती है, लेकिन इस साल नगर निकायों को कोरोना संक्रमण के खिलाफ भी सेनेटाइजेशन का काम करना पड़ रहा है. इसकी वजह नगर निगम की ओर से मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम को लेकर चलाया जाने वाला अभियान प्रभावित हुआ है. एक महीने पहले फॉगिंग की शुरुआत हुई तो थी, लेकिन फिर से फॉगिंग बंद हो गई है. ऐसे में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ मच्छर जनित रोगों के प्रकोप के बढ़ने की भी आशंका बढ़ती जा रही है.

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कोल्ड फॉगिंग

रांची में पिछले 6 महीनों से मच्छर जनित रोगों के लिए की जाने वाली फॉगिंग का काम पूरी तरह से ठप है. एक से डेढ़ महीने पहले फॉगिंग की शुरुआत की गई थी, लेकिन फिर वह बंद कर दी गई. शहर में 53 वार्ड हैं, लेकिन फॉगिंग के लिए सिर्फ 3 गाड़ियां हैं. ऐसे में वार्डों में फॉगिंग नहीं हो पा रही है. पहले मिट्टी तेल से होने वाली फॉगिंग की जाती थी, जो पिछले 1 साल से बंद है. इसकी जगह पर कोल्ड फॉगिंग की जाती है. इसके लिए नगर निगम की ओर से तीन गाड़ियां खरीदी गई थी, जिसमें एक गाड़ी वीआईपी इलाकों के लिए है, जबकि 2 गाड़ियों पर शहर के 53 वार्डों में कोल्ड फॉगिंग की जिम्मेवारी है. उससे भी वर्तमान में फॉगिंग नहीं हो रही है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रांची में फॉगिंग की क्या स्थिति है.

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मच्छर जनित रोग की रोकथाम की तैयारी

शहर की मेयर आशा लकड़ा का कहना है कि सुबह में सेनेटाइजेशन के लिए निगम की गाड़ियां वार्डों में घूमती हैं और शाम में कोल्ड फॉगिंग की जाती है. पहले धुएं वाली फॉगिंग होती थी. इसलिए लोगों को पता चलता था, लेकिन अब कोल्ड फॉगिंग में धुंआ नहीं होता है. इसलिए लोगों को पता नहीं चल पाता है. उन्होंने कहा कि मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिए शहर में लगातार सफाई अभियान तेज किया गया है. यही वजह है कि नालियों की सफाई की जा रही है, साथ ही आसपास के झाड़ियों कि सफाई और कचरा उठाओ का काम तेजी से किया जा रहा है, ताकि मच्छर जनित रोग की रोकथाम की जा सके.

नहीं बनाया गया है फॉगिंग का रोस्टर

मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिए इस मानसून के समय में भी निगम की ओर से फॉगिंग का रोस्टर नहीं बनाया गया है. शहर के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि फॉगिंग के रोस्टर में गड़बड़ियां हैं और वर्तमान में कोरोना वायरस के लिए सेनेटाइजेशन में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन जल्दी रोस्टर भी बना लिया जाएगा और उसके अनुसार फॉगिंग की जाएगी, ताकि मच्छर जनित रोगों की रोकथाम हो सके. वार्ड पार्षदों कहना है कि उन्हें नगर निगम के फॉगिंग रोस्टर से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि उन्हें धरातल पर फॉगिंग का काम दिखना चाहिए, जो जनता की मांग है, लेकिन मच्छर जनित रोगों की रोकथाम को लेकर नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है और न ही कोई संसाधन है. नगर आयुक्त नए आए हैं, जो वर्तमान में सिर्फ सेनेटाइजेशन पर ही ध्यान दे रहे हैं.

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सेनेटाइजेशन का काम भी पड़ा है बंद

स्थानीय लोगों का कहना है कि मच्छर का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन महीनों से फागिंग की गाड़ियां नहीं दिखी हैं. पहले सेनेटाइजेशन का काम भी जोर-शोर से चल रहा था. वह भी अब बंद हो गया है, जिससे खतरा बढ़ता जा रहा है. मानसून के दौरान राजधानी का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा है, जहां मच्छर का प्रकोप न बढ़ा हो. लगातार बारिश की वजह से जलजमाव भी मच्छर को पनपने का पूरा मौका दे रही हैं, जिससे मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है.

Last Updated : Aug 23, 2020, 8:50 PM IST
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