रांची: नक्सलवाद के दंश से उबर रहे झारखंड में साइबर अपराधी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गये हैं. साइबर अपराधी तकनीक की मदद से लोगों की खून-पसीने की कमाई पर डाका डाल रहे हैं. इंटरनेट और साइबर तकनीक को साध कर ये साइबर अपराधी देश में कहीं भी बैठे व्यक्ति को झांसे में लेकर उसके बैंक अकाउंट से रकम को साफ कर रहे हैं. साइबर अपराधियों का जामताड़ा मॉड्यूल देशभर के पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है (Cybercriminals become big challenge for Police ), लेकिन अब तो झारखंड के देवघर, गिरिडीह, धनबाद और रांची जिले में भी साइबर अपराधियों ने अपना ठिकाना बना लिया है.
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झारखंड के छह जिले जामताड़ा, दुमका, देवघर, गिरिडीह, धनबाद और रांची में मार्च 2017 से सितंबर 2022 के नवम्बर तक कुल 2870 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. पुलिस के सामने समस्या यह है कि वे चार साइबर अपराधी को पकड़कर सलाखों तक भेजते नहीं कि 10 और सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में साइबर अपराध का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. साइबर अपराध और इसके अपराधियों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई के लिए मार्च 2016 में साइबर थाना रांची की शुरुआत हुई. अब तो जामताड़ा धनबाद गिरिडीह जैसे शहरों में भी साइबर थाने खोल दिए गए हैं इन सबके बावजूद साइबर अपराधियों पर लगाम लगाने की सारी कोशिश बेकार साबित हो रही है.
4.80 करोड़ रुपये फ्रीज करवाए, 2.65 करोड़ नकद हुए बरामद: पिछले पांच सालों में साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान में झारखंड पुलिस ने अब तक चार करोड़ 80 लाख 50 हजार रुपये फ्रीज करवाकर पीड़ितों को वापस करवाया. इतना ही नहीं, 2 करोड़, 65 हजार 450 रुपये नकद भी बरामद किए. इसके अलावा करीब 5000 एटीएम कार्ड, 3500 मोबाइल, 8000 पैन कार्ड, 1600 पेन ड्राइव, 720 ग्रीन कार्ड, 1000 पीओएस मशीन, एटीएम क्लोनर डिवाइस, 1190 पासबुक, 7000 आधार कार्ड भी बरामद हो चुके हैं.
नए अधिकारियों से मुख्यालय को बड़ी उम्मीद: सरकार ने 25 वर्ष बाद यानि 1994 के बाद पहली बार 2012 और फिर 2018 में बड़ी संख्या में पुलिस अवर निरीक्षकों की नियुक्ति की है. दोनो ही बैच में बड़ी संख्या में अफसर बीटेक और एमटेक डिग्रीधारी भी शामिल हैं. झारखंड पुलिस के डीजी नीरज सिन्हा के अनुसार साइबर अपराध रोकने के लिए नए बहाल सब इंस्पेक्टर बेहद कारगर है, क्योंकि उनमें से अधिकांश बीटेक डिग्री धारी हैं. थोड़ी सी ही ट्रेनिंग के बाद अफसर साइबर अपराध को रोकने में काफी कारगर साबित होंगे. यही वजह है कि फिलहाल साइबर विद्यापीठ के जरिए वैसे सब इंस्पेक्टर जो बीटेक और एमटेक डिग्रीधारी हैं उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दिलाई जा रही है. फिलहाल 41 डिजिटल योद्धा झारखंड पुलिस के द्वारा तैयार कर लिए गए है जो साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ काम कर रहे हैं.
इंटरनेट पर बिछाया है जाल: साइबर अपराधियों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया समेत कई राष्ट्रीकृत बैंकों की वेबसाइटों पर कब्जा कर रखा है. वेबसाइट के जरिए उनकी पहुंच हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन कंप्लेंट फोरम तक भी है. टॉल फ्री नंबर या ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने वालों या इन्क्वायरी करने वालों के खाते की जानकारी हासिल कर लेते हैं. साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक साइबर अपराधी बैंकों की वेबसाइट हैक कर डाटा की चोरी कर रहे हैं. साइबर अपराधी किसी भी वेबसाइट को हैक कर सकते हैं. इसके लिए वे लूप होल की तलाश करते हैं. इसके लिए पैन-टेस्टिंग करते हैं. पैन टेस्टिंग के जरिए संबंधित वेबसाइट की बैकडोर लूप, फायरवाल की स्थिति, स्क्रिप्ट डेटा समेत अन्य खामियों का पता लगा लेते हैं. इसके बाद वेबसाइट हैक कर संबंधित डेटा और विवरण का दुरुपयोग करते हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें वेबसाइट में दर्ज डेटा को भी छेड़छाड़ कर डिस्पले करते हैं.
नकेल के लिए बड़ी योजना पर काम कर रही पुलिस: झारखंड में साइबर अपराध रोकने के लिए बड़ी योजना तैयार की गई है. साइबर अपराध प्रभावित जिलों में आईटी विभाग की मदद से कार्रवाई की योजना राज्य पुलिस मुख्यालय ने तैयार की है. राज्य के जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, धनबाद और रांची जिले सर्वाधिक साइबर अपराध प्रभावित हैं. इन जिलों में स्पेशल टास्क फोर्स के जरिए साइबर अपराधियों पर कार्रवाई की जा रही है. साइबर अपराध के लिए बदनाम होते झारखंड को बदनामी से बचाने के लिए राज्य सरकार ने आदेश दिया था कि साइबर अपराध प्रभावित जिलों में लगातार अभियान चलाकर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए, साथ ही उनके ठिकानों को नष्ट किया जाए. सरकार के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय के स्तर पर साइबर अपराध पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हुई है. जिसके नतीजे का सभी को इंतजार है.