रांची: साइबर अपराधी लगातार नए-नए प्रयोग कर लोगों के खातों पर सेंध लगा रहे हैं. इन दिनों साइबर अपराधियों ने 'एनी डेस्क' नाम के एप को हथियार बना लिया है. यह एप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में चला जाता है. इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआइ एप सहित बैंक खातों से जुड़े सभी एप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा रहे हैं.
गूगल पर कस्टमाइज्ड कर रखे हैं नंबर
इस एप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं. इसके बाद पूरे मोबाइल सिस्टम पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके लिए साइबर अपराधी तब लोगों को कॉल करते हैं, जब कोई बैंक से मदद के लिए गूगल पर टोल-फ्री नंबर ढूंढकर कॉल करते हैं. कॉल करने पर मदद के नाम पर झांसे में लेते हैं. राजधानी रांची सहित झारखंड के कई शहरों से इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. साइबर अपराधियों ने अपने नंबर टोल-फ्री नंबरों की जगह कस्टमाइज्ड कर रखा है. इससे कोई तकनीकी मदद या बैंक सेवाओं से संबंधित कार्य के लिए लोग कॉल कर साइबर अपराधियों के झांसे में आ रहे हैं. कॉल करने वाले बैंक अधिकारी समझकर साइबर अपराधियों से बातचीत कर रहे होते हैं. एनी डेस्क के माध्ययम से ठगी के मामले सामने आया है. यहां एक पीड़ित ने ऑनलाइन शॉपिंग, मूवी टिकट समेत अन्य खरीदारी के लिए गूगल से किसी कंपनी के प्रतिनिधि का नंबर निकाला, लेकिन यह नामी वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट पर साइबर ठग का नंबर था. इसके बाद साइबर ठग ने कंपनी का प्रतिनिधि बनकर झांसे में लिया और खाते से संबंधित जानकारी हासिल करने के बाद अकाउंट से पूरी रकम उड़ा दी.
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मांगा जाता है नौ अंकों का कोड
इस एप को डाउनलोड किए जाने के बाद नौ अंकों का एक कोड जेनरेट होता है, जिसे साइबर अपराधी शेयर करने के लिए कहते हैं. जब यह कोड अपराधी अपने मोबाइल फोन में फीड करता है तो संबंधित व्यक्ति के मोबाइल फोन का रिमोट कंट्रोल अपराधी के पास चला जाता है. वह उसे एक्सेस करने की अनुमति ले लेता है. अनुमति मिलने के बाद अपराधी धारक के फोन का सभी डाटा की चोरी कर लेता है और इसके माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) सहित अन्य वॉलेट से रुपये उड़ा लेते हैं. रांची के जाने-माने साइबर एक्सपर्ट राहुल कुमार के अनुसार, साइबर अपराधियों से अपने आप को बचाने का सावधानी ही एकमात्र माध्यम है. साइबर अपराधी कैसे ठगी करते हैं और उनसे बचने के क्या रास्ते हैं, यह जानना बेहद जरूरी है.
- किसी के कहने पर रिमोर्ट एक्सेस एप इंस्टॉल न करें.
- किसी भी एप को डाउनलोड करने से पहले उसकी उपयोगिता पर जरूर विचार करें.
- अपने बैंक, डेबिट, क्रेडिट कार्ड, ई-वॉलेट की जानकारी मोबाइल पर आए ओटीपी और वैरीफिकेशन कोड शेयर न करें.
- पेटीएम के केवायसी अपडेट के लिए पेटीएम ऐप पर दिए गए नजदीकी सेंटर पर संपर्क करें.