रांची: राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की छुट्टी में 50 प्रतिशत तक की कटौती की गई है. राज्य सरकार के इस फैसले से गुस्से में हैं. नाराज यूनिवर्सिटी शिक्षकों ने राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन को पत्र लिखकर यूजीसी प्रावधानों के अनुरूप विश्वविद्यालय शिक्षकों को छुट्टी निर्धारित करने का आग्रह किया है. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के बैनर तले राज्य भर के विश्वविद्यालय शिक्षक बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं.
संघ के महासचिव डॉ ब्रजेश कुमार का मानना है कि राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय शिक्षकों के लिए भी अवकाश का निर्धारण राज्यकर्मियों की तरह करने का निर्णय लिया है, जिसके लागू हो जाने के बाद 41 दिन का अवकाश शिक्षकों का कम हो जायेगा. जबकि विश्वविद्यालय शिक्षकों को यूजीसी नियमावली 2022 गाइडलाइन अनुरूप अवकाश देने का प्रावधान है. जिसमें देशभर के विश्वविद्यालय के शिक्षकों को साल में 8 सप्ताह की छुट्टी निर्धारित की गई है, जिसमें रिसर्च वर्क के साथ-साथ कई तरह के शैक्षणिक कार्य किए जाते हैं.
नया शैक्षणिक कैलेंडर को लेकर उठा विवाद: राजकीय सरकारी विश्वविद्यालयों के लिए जारी नए शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार अब सालाना 87 की जगह 43 दिन की छुट्टियां होंगी. इसके अलावा गर्मी और पर्व त्योहार की छुट्टी में भी कटौती की गई है. अमूमन विश्वविद्यालयों में गर्मी की छुट्टियां करीब एक महीने की होती थी, जिसे सिमटकर 20 दिन का कर दिया गया है. यह विवाद तब उठा जब राजभवन से 16 मई को अधिसूचना राज्य के विश्वविद्यालयों तक पहुंचा और विश्वविद्यालय के कुलपति के द्वारा नए शैक्षणिक कैलेंडर में अवकाश की संशोधित सूची जारी की गई.
नाराज शिक्षकों का मानना है कि राज्य सरकार के कर्मियों को सप्ताह में 5 दिन का कार्य दिवस होते हैं और 2 दिन अवकाश होता है लेकिन विश्वविद्यालय के शिक्षकों को 6 दिन कार्य करने होते हैं. इसी तरह अन्य अवसरों पर विशेष ड्यूटी निभानी होती है. इसके अलावा राज्यकर्मियों को उपार्जित अवकाश 33 दिनों का है, जबकि विश्वविद्यालय शिक्षकों का 12 दिन का. इसी तरह राज्यकर्मियों को 14 दिनों का सीएल मिलता है, जबकि विश्वविद्यालय के शिक्षकों को मात्र 8 दिन का ही सीएल मिलता है. ऐसे में यह फैसला शिक्षकों के हित में नहीं है.
राज्यभर में तीन हजार हैं विश्वविद्यालय शिक्षक: शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार विश्वविद्यालयों में 180 दिन की पढ़ाई होनी चाहिए. अब तक जो व्यवस्था लागू है, उसमें 225 दिनों की पढ़ाई का कैलेंडर लागू है. इसके बाद भी छुट्टियों में कटौती की नई व्यवस्था कतई उचित नहीं है. शिक्षकों का यह भी कहना है कि पहले से निर्धारित गर्मी छुट्टियों के हिसाब से कई शिक्षकों ने देश-विदेश के भ्रमण के लिए प्लान पहले से बना रखा है. अचानक से नई व्यवस्था आ जाने से उनके सामने विकट स्थिति पैदा हो गई है. छुट्टियां घटाने से उनके रिसर्च, सेल्फ स्टडी और अन्य शिक्षकेतर गतिविधियां प्रभावित होंगी और इससे अंततः शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित होगी. इधर, विश्वविद्यालय के शिक्षकों के आंदोलनात्मक रुख को देखते हुए रविवार को राजभवन में इस मुद्दे पर बैठक होने की संभावना है. जानकारी के मुताबिक राजभवन इस मामले में अधिकारियों से विचार विमर्श के पश्चात बीच का रास्ता निकालने का प्रयास करेगा.