रांची: सोमवार को विश्व आदिवासी दिवस पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में कई जनजातीय समूह की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. इस दौरान शिक्षा, चिकित्सा, साहित्य, कला संस्कृति, खेलकूद और समाज के कई क्षेत्रों में बेहतर काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के दौरान टाना भगत समाज के लोगों को भी सम्मानित किया गया.
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विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा कि आज देशभर में आदिवासियों को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है. यह कोशिश किस राजनीतिक दल की ओर से की जा रही है, सभी लोग जानते हैं. उन्होंने कहा कि उस विशेष राजनीतिक दल की ओर से आदिवासी समाज को कभी सनातन के नाम पर, तो कभी सरना के नाम पर बांटने की कोशिश की जाती है.
उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर आदिवासी समाज को बांटा जाना अनुचित है. कर्नाटक और जम्मू कश्मीर में कई ऐसी जातियां हैं, जो मुस्लिम होते हुए भी आदिवासी हैं. धर्म के चक्कर में लोग नहीं पड़े, मूल से जो आदिवासी हैं, वह भविष्य में भी आदिवासी ही रहेंगे.
बीजेपी शासित राज्यों में आदिवासी दरकिनार- रामेश्वर उरांव
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वनों में रहने वाले आदिवासियों को कई अधिकार दिए. लेकिन बीजेपी शासित राज्यों में आदिवासी समाज का समुचित विकास नहीं हो पाया. अब राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में आदिवासी समाज के विकास और उनके आर्थिक सामाजिक विकास के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में ही वन अधिकार कानून लागू हुआ, जिसके माध्यम से जंगल में रहने वाले आदिवासियों को 10 एकड़ तक की जमीन पट्टे पर दी जा सकती है. राज्य सरकार पंचायती राज व्यवस्था में पेसा कानून के तहत परंपरागत ग्राम प्रधान व्यवस्था को भी लागू कर रही है. शेड्यूल्ड एरिया में कोई भी किसी की जमीन नहीं छीन सकता है, इसके बावजूद कुछ कम पढ़े लिखे अधिकारियों की ओर से भूमि अधिग्रहण की कोशिश की जाती है.
![cultural program organised in ranchi on world tribal day](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12724360_im.jpg)
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उन्होंने आगे कहा कि अगर लोग जमीन नहीं देना चाहते हैं तो किसी भी कीमत पर इस तरह की जमीन पर कब्जा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची में शेड्यूल एरिया क्षेत्र के लोगों को कई विशेष अधिकार दिए गए हैं. राज्य सरकार उन अधिकारों के माध्यम से आदिवासी समाज के विकास में डटी है. राज्य में आदिवासियों की संख्या घटी नहीं है, बाहर से आकर ज्यादा लोग बस गए हैं और आदिवासियों के संख्या के अनुपात को कम कर दिया गया है. अगर अलग-अलग संख्या देखी जाए तो आदिवासियों की संख्या बढ़ी हुई है.