रांची: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में अपराध का ग्राफ पूरे झारखंड में डाउन हो गया है. लेकिन इस दौरान दुष्कर्म की वारदातें नहीं थमी हैं. राज्यभर के आंकड़ें यह गवाही दे रहे हैं कि दुष्कर्म के कई वारदात लॉकडाउन के दौरान भी अंजाम दिए गए हैं.
लॉकडाउन के ठीक पहले फरवरी महीने में पूरे झारखंड में हत्या के 139 केस दर्ज हुए थे, जबकि मार्च महीने में हत्या के 145 वारदात हुए. इसी तरह हत्या के 6 अधिक केस लॉकडाउन होने के बाद रजिस्टर हुए हैं. डकैती के 8 मामले फरवरी महीने में हुए थे. जबकि मार्च महीने में दो अधिक कांड बढ़कर 10 कांड दर्ज कराए गए. वहीं, लॉकडाउन के बीच महिलाओं के साथ अपराध में बढ़ोतरी हुई है. फरवरी महीने में दुष्कर्म के 144 कांड दर्ज हुए थे, जबकि मार्च महीने में 150 मामले झारखंड के अलग-अलग थानों में दर्ज हुए हैं. वहीं, आंकड़े यह बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान भी महिलाओं से संबंधित अपराधों में कोई कमी नहीं आई है.
झारखंड में किस तरह की वारदातों में आई कमी
सीआईडी के आंकड़ों के मुताबिक चोरी , छिनतई और लूट की वारदातों में लॉकडाउन के दौरान गिरावटआई है. फरवरी महीने में पूरे झारखंड में चोरी के 953 केस दर्ज किए गए थे. वहीं, मार्च महीने में 779 केस दर्ज हुए हैं. वहीं, छिनतई के 153 मामले फरवरी में दर्ज किए गए, जबकि मार्च में 123 केस दर्ज हुए. लूट के 66 कांड फरवरी महीने में दर्ज हुए थे, मार्च में 53 केस दर्ज हुए. फरवरी महीने में पुलिस ने जहां 4999 संज्ञेय अपराध दर्ज किए थे. वहीं, मार्च महीने में 4904 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए हैं.
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राजधानी में हर तरह के अपराध में आई कमी
लॉकडाउन के दौरान राजधानी में अपराध में भारी कमी आई है. रांची में जनवरी महीने में 747 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए थे, फरवरी में यह संख्या 635 थी. वहीं, लॉकडाउन होने के बाद मार्च महीने में 641 ,जबकि अप्रैल महीने में महज 456 संज्ञेय अपराध से जुड़े केस दर्ज हुए. बता दें कि डकैती का महज एक कांड अप्रैल महीने में दर्ज हुआ. चोरी के कांडों में भी लॉकडाउन में भारी गिरावट आई है. जनवरी में जहां चोरी के 239 मामले दर्ज हुए थे ,वहीं अप्रैल में 42 केस दर्ज हुए, रांची में दुष्कर्म के महज 5 कांड अप्रैल महीने में दर्ज हुए हैं.