रांचीः सेना के द्वारा भू अर्जन कर अधिग्रहित की गई जमीन को ईडी जब्त करेगी. सेना की रांची के सिरमटोली स्थित 5.883 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री विष्णु अग्रवाल ने अपने नाम करायी थी. वहीं इस जमीन पर पोजिशन नहीं होने के बाद भी अफसरों की मिलीभगत से जमीन का म्यूटेशन करा लिया गया था.
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रजिस्ट्री और म्यूटेशन दोनों ही विष्णु अग्रवाल के नाम हो जाने के कारण सेना की जमीन का रिकार्ड ही बदल गया है. ऐसे में अब ईडी जमीन को जब्त करेगी. जब्त की गई जमीन का बाजार मूल्य 20 करोड़ के करीब है. इस जमीन की जब्ती के बाद ईडी इस संबंध में पत्राचार करेगी, सेना को इस जमीन पर दोबारा दावा करना होगा. इसके बाद ईडी इस जमीन को सीधे सेना को सुपुर्द करेगी.
अफसरों की मिलीभगत से हुआ रजिस्ट्री और म्यूटेशनः ईडी की जांच में पाया है कि मेसर्स प्लॉट 908, 851पी, 910पी रांची नगर निगम के वार्ड नंबर छह में है, कुल 5.883 एकड़ रकबा की यह जमीन सेना की है. जांच में यह पाया गया है कि सेना के द्वारा जमीन अधिग्रहण का गजट बिहार गजट संख्या- 31, पटना दिनांक तीन अगस्त 1949 को प्रकाशित हुआ था. सेना ने 20 जुलाई 1949 को तमाम प्रक्रिया के बाद जमीन को अधिग्रहित किया था, तब से यह जमीन सेना के कब्जे में ही थी. झारखंड सरकार के भू राजस्व विभाग के दस्तावेज रजिस्टर 2 में भी यह जमीन सेना की बतायी गई है. इसके बावजूद फर्जी तरीके से विष्णु अग्रवाल के पक्ष में जमीन की रजिस्ट्री और म्यूटेशन कर दी गई थी.
लीज का फर्जी पेपर बनायाः ईडी ने जांच में पाया है कि सेना और जमीन के पूर्व मालिक के बीच एक लीज का फर्जी पेपर बनाया गया था. लीज खत्म होने का दावा करते हुए जमीन के पूर्व मालिक के वंशज महुआ मित्रा और संजय घोष से गलत तरीके से रजिस्ट्री करायी गई. डीड में 15 करोड़ का भुगतान दिखाया गया लेकिन भुगतान भी महज तीन करोड़ का ही हुआ. इस तरह ईडी ने जमीन की डील में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी पाया है.
विष्णु और भानू से पूछताछ हुईः रविवार को भी रांची जोनल कार्यालय में विष्णु अग्रवाल व रांची जेल में बड़गाईं अंचल के पूर्व राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद से पूछताछ की गई. विष्णु अग्रवाल ने कई जमीन की खरीद में गलती कबूली है लेकिन रविवार को भी उन्होंने पूछताछ में स्मार्ट सिटी में जमीन की डील से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया. ऐसे में ईडी अब स्मार्ट सिटी में जमीन लेने वाले दूसरे खरीदारों को समन कर सकती है. वहीं भानु ने रांची के कई जमीन माफियाओं व नेताओं को जमीन कारोबार में मदद करने की बात स्वीकारी है.