रांचीः विश्व आदिवासी दिवस के नाम पर सोमवार को रांची की कानून व्यवस्था तार-तार हो गई. कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जुलूस पर पाबंदी के आदेश को ठेंगा दिखाया गया. इस जुलूस के आगे पुलिस मूकदर्शक बनी रही.
इसे भी पढ़ें- झारखंड में सार्वजनिक रूप पर से होली मनाने पर रोक, रामनवमी और सरहुल पर नहीं निकलेगा जुलूस
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर राजधानी रांची में अलग-अलग संगठनों ने जुलूस निकाला. अल्बर्ट एक्का चौक पर ढोल नगाड़े के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने पारंपरिक नृत्य किया. लेकिन आदिवासी दिवस के उत्साह में लोगों ने कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई. नियम-कानून और सरकारी आदेश को ठेंगा दिखाते हुए पूरे रास्ते जुलूस निकाला.
राजधानी की सड़कों पर निकले जुलूस की वजह से कई जगहों पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई. जिससे शहर के आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जुलूस से परेशान हो रहे लोगों ने इसके लिए जिला प्रशासन और पुलिस को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया.
लोगों का कहना है कि जब पूरे राज्य में जुलूस-प्रदर्शन पर रोक है फिर इतनी बड़ी संख्या में लोग कहां से सड़कों पर उतर आए. किसने लोगों को सड़क पर मार्च निकालने की छूट दी. अगर कोरोना का संक्रमण फैलता है तो इसके लिए कौन जवाबदेह होगा. आश्चर्य की बात ये है कि इस मामले में प्रशासन की तरफ से किसी के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई.
इसे भी पढ़ें- World Tribal Day: आदिवासी जनगणना में अलग कॉलम की कर रहे मांग, उठा सरना धर्म कोड का मुद्दा
लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए पिछले दिनों मुहर्रम का जुलूस नहीं निकाला गया. सावन के महीने में बड़ी संख्या में लोग शिवालयों पर जलाभिषेक करते हैं. लेकिन इसपर भी रोक लगी हुई है. दूसरी तरफ आदिवासी दिवस के नाम पर कानून को ठेंगा दिखाने के बावजूद कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया. फिलहाल इस पूरे मामले में जिला प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है. जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं.