रांची: राज्य में कोविड-19 से मरने वालों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर कोविड-19 से मौत हुई है इसका जिक्र नहीं किए जाने के बिंदु पर सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार से मामले में 4 सप्ताह में विस्तृत जवाब शपथपत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है. उन्होंने स्पष्ट रूप से यह बताने को कहा है कि जब कोविड-19 से किसी की मृत्यु होती है तो उसके मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोविड-19 का जिक्र क्यों नहीं किया जा रहा है. सरकार का जवाब आने के बाद मामले पर आगे सुनवाई 1 जुलाई को की जाएगी.
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झारखंड हाई कर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में कोविड-19 से मरने वालों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर कोविड-19 अंकित नहीं किए जाने के बिंदु पर सुनवाई हुई.
न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. वही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना अपना पक्ष रखा है.
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को जानकारी दी कि कोविड-19 से मरने वालों की मृत्यु प्रमाणपत्र पर राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 का जिक्र नहीं किया जाता है. जिसके कारण मृतक के परिजन को जो मुआवजा मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है. कोविड-19 से मरने वालों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने भी मुआवजे की घोषणा की है.
मुआवजे से वंचित हैं मृतकों के परिजन
अगर कोई व्यक्ति किसी संस्थान में नौकरी करता है तो उस संस्थान से भी उन्हें सहायता दी जाती है. उन्होंने एक पत्रकार का उदाहरण देते हुए कहा कि एक पत्रकार जिसकी मौत कोविड-19 से हुई लेकिन उसके प्रमाण पत्र पर कोविड-19 अंकित नहीं होने के कारण किसी भी प्रकार का कोई मुआवजा नहीं दिया गया.
जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को मामले में 4 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है. बता दें कि कोविड-19 के मामले में हाई कोर्ट द्वारा लिए गए स्वत संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान इस मामले को उठाया गया.
जिसमें यह कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 से जिनकी मौत हो रही है. उनके मृत्यु प्रमाणपत्र पर कोविड-19 नहीं लिखा जाता है. जिसके कारण से उन्हें किसी भी प्रकार का कोई मुआवजा या सहायता नहीं मिल पाती है.
मृत्यु प्रमाणपत्र पर कोविड-19 अंकित करने की मांग की गई. जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह में विस्तृत रूप से जवाब पेश कर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है.