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झारखंड में कोरोना के बढ़ते केस के चलते सरकार बेबस, रिम्स में लगा नो बेड का पोस्टर

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Published : Apr 5, 2021, 7:12 PM IST

Updated : Apr 5, 2021, 9:57 PM IST

झारखंड में कोरोना से बढ़ते केस के चलते सरकार बेबस है, जहां कुछ दिन पहले एक्टिव केस 500 से कम थे वहीं, अब यह बढ़कर 5 हजार पहुंच गए हैं. अस्पताल में बेड और आईसीयू पर्याप्त संख्या में नहीं हैं. सरकार इसे बढ़ाने का प्रयास कर रही है, लेकिन जो स्थिति है उसके हिसाब से व्यवस्था नाकाफी है.

Corona cases in jharkhand
झारखंड में कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल

रांची: महज साल भर पहले हम सभी ने मौत का ऐसा मंजर और ऐसी तबाही देखी जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. दुनिया से रुखसत होने का ऐसा नजारा किसी ने कभी नहीं देखा, लेकिन, दुःखद है कि हमने इससे कुछ नहीं सीखा. कोरोना के केस कम होने लगे और हम पूरी तरह निश्चिंत हो गए. लेकिन, मौत का मंजर एक बार फिर लौट आया है और वो भी दोगुनी ताकत के साथ, लेकिन, इस बार हमारी तैयारी पिछली बार से भी बदतर है. झारखंड में जहां कुछ दिन पहले कोरोना के एक्टिव केस 500 से कम हो गए थे वहीं, अब यह पांच हजार से अधिक हो गए हैं. ढाई हजार से अधिक केस तो रांची में ही हैं. सरकार के सारे प्रयास इसके सामने नाकाफी हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: दुमका स्टेशन पर बेधड़क ट्रैक पार कर रहे लोग, रेलवे प्रशासन ने की आंखें बंद

रिम्स प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए

सिविल सर्जन कहते हैं कि जो केस सामने आ रहे हैं उसके हिसाब से मरीजों की पहचान की जा रही है. जिन मरीजों की हालत ज्यादा गंभीर है उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया जा रहा है. मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे सरकार बेबस है. बेड की बात करें तो रिम्स में फिलहाल मात्र 98 बेड हैं और पिछले साल यहां बेड की संख्या 300 थी.

अब तो ऐसी हालत है कि रिम्स प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए हैं. ट्रॉमा सेंटर के बाहर नो बेड का पोस्टर तक चिपका दिया गया है. रिम्स में बेड मिलना किसी जंग जीतने से कम नहीं है. सदर अस्पताल में 118 बेड हैं और यह भी बढ़ते मरीजों की तुलना में काफी कम हैं. वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के भी इंतजाम किए जा रहे हैं.

700 बेड का किया गया इंतजाम

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रांची में फिलहाल 700 बेड का इंतजाम किया गया है. क्वारैंटाइन और आइसोलेशन वॉर्ड अलग से बनाए गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उन्हें जल्द से जल्द ठीक किया जा सके. संक्रमण को लेकर क्रिटिकल ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य बताते हैं कि इस बार का संक्रमण ज्यादा खतरनाक है.

इस बार खांसी और सर्दी की समस्या से भी मरीज संक्रमित होकर आ रहे हैं. कोरोना के प्रकोप से मरीज की अचानक से मौत हो जा रही है. इस बार संक्रमण बढ़ने की मुख्य वजह यह भी है कि लॉकडाउन या फिर कर्फ्यू लागू नहीं किया गया है. लोग बाजार में आराम से घूम रहे हैं. मॉल, स्कूल, बाजार सब खुल चुके हैं.

जांच में भी हो रही दिक्कत

आम लोगों का कहना है कि संक्रमण बढ़ने से जांच में भी दिक्कत हो रही है. जांच के लिए सही व्यवस्था नहीं की गई है. पहले की तरह लोगों को गाइड नहीं किया जा रहा है. जिला प्रशासन पॉजिटिव मरीजों को उचित दिशा-निर्देश भी नहीं दे रहा है. ऐसे में संक्रमित मरीजों को काफी परेशानी हो रही है.

एक तरफ कोरोना के बढ़ते केस से जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है वहीं, दूसरी तरफ उस हिसाब से बेड और अन्य व्यवस्थाएं न होने पर स्थिति और विकराल होती जा रही है. जरूरत है सरकार को इस पर तेजी से कदम उठाने की ताकि हालात अंडर कंट्रोल रहे.

रांची: महज साल भर पहले हम सभी ने मौत का ऐसा मंजर और ऐसी तबाही देखी जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. दुनिया से रुखसत होने का ऐसा नजारा किसी ने कभी नहीं देखा, लेकिन, दुःखद है कि हमने इससे कुछ नहीं सीखा. कोरोना के केस कम होने लगे और हम पूरी तरह निश्चिंत हो गए. लेकिन, मौत का मंजर एक बार फिर लौट आया है और वो भी दोगुनी ताकत के साथ, लेकिन, इस बार हमारी तैयारी पिछली बार से भी बदतर है. झारखंड में जहां कुछ दिन पहले कोरोना के एक्टिव केस 500 से कम हो गए थे वहीं, अब यह पांच हजार से अधिक हो गए हैं. ढाई हजार से अधिक केस तो रांची में ही हैं. सरकार के सारे प्रयास इसके सामने नाकाफी हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: दुमका स्टेशन पर बेधड़क ट्रैक पार कर रहे लोग, रेलवे प्रशासन ने की आंखें बंद

रिम्स प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए

सिविल सर्जन कहते हैं कि जो केस सामने आ रहे हैं उसके हिसाब से मरीजों की पहचान की जा रही है. जिन मरीजों की हालत ज्यादा गंभीर है उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया जा रहा है. मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे सरकार बेबस है. बेड की बात करें तो रिम्स में फिलहाल मात्र 98 बेड हैं और पिछले साल यहां बेड की संख्या 300 थी.

अब तो ऐसी हालत है कि रिम्स प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए हैं. ट्रॉमा सेंटर के बाहर नो बेड का पोस्टर तक चिपका दिया गया है. रिम्स में बेड मिलना किसी जंग जीतने से कम नहीं है. सदर अस्पताल में 118 बेड हैं और यह भी बढ़ते मरीजों की तुलना में काफी कम हैं. वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के भी इंतजाम किए जा रहे हैं.

700 बेड का किया गया इंतजाम

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रांची में फिलहाल 700 बेड का इंतजाम किया गया है. क्वारैंटाइन और आइसोलेशन वॉर्ड अलग से बनाए गए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उन्हें जल्द से जल्द ठीक किया जा सके. संक्रमण को लेकर क्रिटिकल ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य बताते हैं कि इस बार का संक्रमण ज्यादा खतरनाक है.

इस बार खांसी और सर्दी की समस्या से भी मरीज संक्रमित होकर आ रहे हैं. कोरोना के प्रकोप से मरीज की अचानक से मौत हो जा रही है. इस बार संक्रमण बढ़ने की मुख्य वजह यह भी है कि लॉकडाउन या फिर कर्फ्यू लागू नहीं किया गया है. लोग बाजार में आराम से घूम रहे हैं. मॉल, स्कूल, बाजार सब खुल चुके हैं.

जांच में भी हो रही दिक्कत

आम लोगों का कहना है कि संक्रमण बढ़ने से जांच में भी दिक्कत हो रही है. जांच के लिए सही व्यवस्था नहीं की गई है. पहले की तरह लोगों को गाइड नहीं किया जा रहा है. जिला प्रशासन पॉजिटिव मरीजों को उचित दिशा-निर्देश भी नहीं दे रहा है. ऐसे में संक्रमित मरीजों को काफी परेशानी हो रही है.

एक तरफ कोरोना के बढ़ते केस से जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है वहीं, दूसरी तरफ उस हिसाब से बेड और अन्य व्यवस्थाएं न होने पर स्थिति और विकराल होती जा रही है. जरूरत है सरकार को इस पर तेजी से कदम उठाने की ताकि हालात अंडर कंट्रोल रहे.

Last Updated : Apr 5, 2021, 9:57 PM IST
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