रांचीः राज्य के विश्वविद्यालयों में और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. इसे देखते हुए राज्य सरकार के निर्देश के बाद राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है. वहीं जिन शिक्षकों का अनुबंध पर सेवा देते हुए 3 साल पूरा हो गया है, वैसे शिक्षकों के विश्वविद्यालयों में रिन्युअल किया जा रहा है.
वर्तमान में राज्य विश्वविद्यालय में कुल स्वीकृत 3732 पदों में शिक्षकों के 2030 रिक्त पदों के विरुद्ध 1350 पदों के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. जिसमें सहायक प्राध्यापक के 1118 पद बैकलॉग के 566 और नियमित 552 है. इस प्रक्रिया में अभी काफी समय लगने की संभावना है. वहीं राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता लाने के उद्देश्य से राज्य सरकार की ओर से घंटी आधारित शिक्षकों को संविदा के आधार पर नियुक्ति की व्यवस्था की जा रही है. इसी के तहत राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर ही शिक्षकों को बहाल किया जा रहा है. सरकार की ओर से जारी निर्देश के तहत रिक्तियों के विरुद्ध शिक्षकों की नियुक्ति प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कुलपति की अध्यक्षता में गठित चयन समिति के अनुशंसा पर विश्वविद्यालय की ओर से की जाएगी. संविदा पर नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का अनुपालन किया जाएगा. जिससे रिक्त पद के विरुद्ध नियुक्ति की जा रही है, उसके लिए आरक्षण ही नियुक्ति में मान्य होगा. प्रक्रिया के अनुसार घंटी आधारित संविदा के लिए निर्धारित पैनल अधिकतम 3 वर्षों के लिए मान्य होगा. अतिरिक्त शिक्षकों की आवश्यकता को देखते हुए पैनल में प्रत्येक वर्ष नए नाम जोड़े जा सकेंगे. वहीं विश्वविद्यालय और कॉलेजों में सेवा दे रहे शिक्षकों को समय-समय पर अवधि विस्तार और रिनुअल किया जाएगा. घंटी आधारित संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति के संख्या उन के रिक्त पदों के विरुद्ध होगी.
इसे भी पढ़ें- पारा शिक्षकों ने मंत्रियों के आवास का किया घेराव, 10 फरवरी को सीएम के आवास को घेरेंगे
शिक्षकों में भ्रम
हालांकि कुछ घंटी आधारित शिक्षकों में 3 वर्षों के लिए सेवा देने की बिंदु पर असमंजस की स्थिति है. मामले को लेकर हमारी टीम ने विश्वविद्यालय अनुबंध कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष असिस्टेंट प्रोफेसर निरंजन कुमार से जब बातचीत की तो उन्होंने कहा कुछ लोगों में भ्रम है. सरकार की ओर से जारी निर्देश के तहत इस भ्रम पर लोग ध्यान ना दें तो बेहतर है, क्योंकि लगातार सेवा विस्तार का प्रावधान भी रखा गया है. इसके बावजूद मामले को लेकर उच्च शिक्षा विभाग के साथ विचार विमर्श किया जाएगा और जो असमंजस की स्थिति बनी हुई है उसे दूर भी किया जाएगा.