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Agitation of health workers: अनुबंधित स्वास्थ्य कर्मियों ने किया मंत्री आवास का घेराव, सेवा नियमिती करने की मांग

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Published : Feb 15, 2023, 3:48 PM IST

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आवास का अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने घेराव किया है. आंदोलनकारी स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि वर्षों से सेवा स्थाई करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है.

Contracted health workers
अनुबंधित स्वास्थ्य कर्मियों ने किया मंत्री आवास का घेराव
क्या कहती हैं स्वास्थ्यकर्मी

रांचीः झारखंड के 8500 से ज्यादा अनुबंधित एनएचएम नर्से और पारा मेडिकलकर्मी 16 जनवरी से हड़ताल पर हैं. अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने मुख्यमंत्री आवास के घेराव से आंदोलन शुरू किया. आंदोलन के एक माह बाद आज यानी बुधवार को स्वास्थ्यकर्मियों ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आवास का घेराव किया. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री अपने आवास में नहीं हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्यकर्मी आवास के पास डटे हैं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Contractual NHM Nurse Protest: मोरहाबादी मैदान में अनुबंधित मेडिकल स्टाफ का महाजुटान, करेंगे सीएम हाउस का घेराव

पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से अनुबंध पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों की एक सूत्री मांग सेवा नियमित करने की है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तहत कार्यरत अनुबंधित नर्से और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने 16 जनवरी को मुख्यमंत्री आवास के घेराव के साथ आंदोलन शुरू किया. तब से राज्यभर के एनएमएच नर्सें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.

24 जनवरी से राजभवन के समक्ष 21 नर्सें और पारा मेडिकलकर्मियों की ओर से आमरण अनशन शुरू किया है. आमरण अनशन पर बैठे कई नर्सों की तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में भर्ती कराया गया. इतना ही नहीं, एक अनशनकारी नर्स के किडनी फंक्शन में गड़बड़ी के बाद दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है.

झारखंड अनुबंधित नर्से और पारा मेडिकल कर्मी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग असंवेदनशील है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने आमरण अनशन स्थल पर आने का आश्वासन दिया था. लेकिन वह नहीं आये और ना ही अपना कोई प्रतिनिधि भेजें. उन्होंने कहा कि हमारी मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा तो आंदोलन को और तेज करेंगे.

अनुबंधित नर्सों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. राज्य में टीकाकरण अभियान के साथ साथ स्वास्थ्य की राष्ट्रीय योजनाओं पर असर पड़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नर्सिंग स्टूडेंट्स और आउटसोर्सिंग नर्सों की मदद लेने की बात कर रही है. लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है. जिलों के अस्पतालों में फिजियोथेरेपी सेंटर और कुपोषण उपचार केंद्र बंद हैं.

क्या कहती हैं स्वास्थ्यकर्मी

रांचीः झारखंड के 8500 से ज्यादा अनुबंधित एनएचएम नर्से और पारा मेडिकलकर्मी 16 जनवरी से हड़ताल पर हैं. अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने मुख्यमंत्री आवास के घेराव से आंदोलन शुरू किया. आंदोलन के एक माह बाद आज यानी बुधवार को स्वास्थ्यकर्मियों ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आवास का घेराव किया. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री अपने आवास में नहीं हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्यकर्मी आवास के पास डटे हैं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.

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पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से अनुबंध पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों की एक सूत्री मांग सेवा नियमित करने की है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तहत कार्यरत अनुबंधित नर्से और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने 16 जनवरी को मुख्यमंत्री आवास के घेराव के साथ आंदोलन शुरू किया. तब से राज्यभर के एनएमएच नर्सें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.

24 जनवरी से राजभवन के समक्ष 21 नर्सें और पारा मेडिकलकर्मियों की ओर से आमरण अनशन शुरू किया है. आमरण अनशन पर बैठे कई नर्सों की तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में भर्ती कराया गया. इतना ही नहीं, एक अनशनकारी नर्स के किडनी फंक्शन में गड़बड़ी के बाद दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है.

झारखंड अनुबंधित नर्से और पारा मेडिकल कर्मी संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग असंवेदनशील है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने आमरण अनशन स्थल पर आने का आश्वासन दिया था. लेकिन वह नहीं आये और ना ही अपना कोई प्रतिनिधि भेजें. उन्होंने कहा कि हमारी मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा तो आंदोलन को और तेज करेंगे.

अनुबंधित नर्सों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. राज्य में टीकाकरण अभियान के साथ साथ स्वास्थ्य की राष्ट्रीय योजनाओं पर असर पड़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नर्सिंग स्टूडेंट्स और आउटसोर्सिंग नर्सों की मदद लेने की बात कर रही है. लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है. जिलों के अस्पतालों में फिजियोथेरेपी सेंटर और कुपोषण उपचार केंद्र बंद हैं.

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