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2020 के कोरोना काल से घंटी आधारित शिक्षक मानदेय से वंचित, आर्थिक रूप से परेशान

मार्च 2020 के लॉकडाउन से अब तक घंटी आधारित शिक्षकों को मानदेय नहीं मिला है. शिक्षकों की ओर से बार-बार विश्वविद्यालय और राज्य सरकार को मामले में अवगत कराया जा रहा है लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. हालात ऐसी है कि ये शिक्षक मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं.

contract teachers have not received honorarium in ranchi
रांची विश्वविद्यालय
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Published : Apr 21, 2021, 3:35 PM IST

रांची: राजधानी के विश्वविद्यालय अलावा राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की गई है और शिक्षक लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं. इसके बावजूद इन शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल रहा है. सबसे बड़ी बात ये है कि 2020 के कोरोना काल का मानदेय इन्हें अब तक नहीं मिला है और ये शिक्षक इस महामारी की वजह से मानसिक रूप के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी काफी परेशान हैं.

देखें पूरी खबर
ये भी पढ़ें- कोरोना का कहर : कहीं 'पिघल' रहा श्मशान, कहीं 'छलनी' होता कब्रिस्तान

2020 के लॉकडाउन से नहीं मिला मानदेय

मार्च 2020 में देशभर में लॉकडाउन लगाया गया था. उस दौरान देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ रांची विश्वविद्यालय और विभिन्न विश्वविद्यालय में भी पठन-पाठन पूरी तरह ठप हो गया था. उस दौरान ऑनलाइन तरीके से पठन-पाठन हो रहा था. ऐसी स्थिति में ऑनलाइन पठन-पाठन को पटरी पर लाने के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्त किए गए घंटी आधारित शिक्षकों का योगदान काफी सराहनीय रहा.

अभी भी शिक्षक इस कोरोना काल में अपना योगदान दे रहे हैं. इसके बावजूद इन शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल रहा है. कोरोना काल के दौरान साल 2020 से अब तक इनका मानदेय रिलीज नहीं किया गया है.

यह भी पढ़ेंः नासिक में बड़ा हादसा, ऑक्सीजन लीकेज से 22 लोगों की मौत

शिक्षकों की ओर से बार-बार विश्वविद्यालय और राज्य सरकार को मामले में अवगत कराया जा रहा है लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. जबकि मामले को लेकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने खुद इन शिक्षकों का मानदेय रिलीज करने का निर्देश राज्य सरकार व विश्वविद्यालय प्रबंधकों को दिया था. इसके बावजूद इस कोरोना काल में भी इन शिक्षकों को उनका मानदेय नहीं मिला है.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं शिक्षक

मानदेय न मिलने से ये शिक्षक कोरोना की वजह से मानसिक रूप से परेशान तो हैं ही साथ ही आर्थिक रूप से भी जूझ रहे हैं. घंटी आधारित शिक्षक संघ के अध्यक्ष निरंजन कुमार महतो ने कहा है कि जल्द से जल्द अगर बकाया मानदेय नहीं मिलता है तो आने वाले समय में और समस्या बढ़ जाएगी और शिक्षक आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट जाएंगे. जल्द से जल्द राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को ध्यान देने की जरूरत है और तमाम विश्वविद्यालयों को निर्देश देकर उनकी समस्याओं को दूर करने की आवश्यकता है.

रांची: राजधानी के विश्वविद्यालय अलावा राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की गई है और शिक्षक लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं. इसके बावजूद इन शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल रहा है. सबसे बड़ी बात ये है कि 2020 के कोरोना काल का मानदेय इन्हें अब तक नहीं मिला है और ये शिक्षक इस महामारी की वजह से मानसिक रूप के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी काफी परेशान हैं.

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2020 के लॉकडाउन से नहीं मिला मानदेय

मार्च 2020 में देशभर में लॉकडाउन लगाया गया था. उस दौरान देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ रांची विश्वविद्यालय और विभिन्न विश्वविद्यालय में भी पठन-पाठन पूरी तरह ठप हो गया था. उस दौरान ऑनलाइन तरीके से पठन-पाठन हो रहा था. ऐसी स्थिति में ऑनलाइन पठन-पाठन को पटरी पर लाने के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्त किए गए घंटी आधारित शिक्षकों का योगदान काफी सराहनीय रहा.

अभी भी शिक्षक इस कोरोना काल में अपना योगदान दे रहे हैं. इसके बावजूद इन शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल रहा है. कोरोना काल के दौरान साल 2020 से अब तक इनका मानदेय रिलीज नहीं किया गया है.

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शिक्षकों की ओर से बार-बार विश्वविद्यालय और राज्य सरकार को मामले में अवगत कराया जा रहा है लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. जबकि मामले को लेकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने खुद इन शिक्षकों का मानदेय रिलीज करने का निर्देश राज्य सरकार व विश्वविद्यालय प्रबंधकों को दिया था. इसके बावजूद इस कोरोना काल में भी इन शिक्षकों को उनका मानदेय नहीं मिला है.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं शिक्षक

मानदेय न मिलने से ये शिक्षक कोरोना की वजह से मानसिक रूप से परेशान तो हैं ही साथ ही आर्थिक रूप से भी जूझ रहे हैं. घंटी आधारित शिक्षक संघ के अध्यक्ष निरंजन कुमार महतो ने कहा है कि जल्द से जल्द अगर बकाया मानदेय नहीं मिलता है तो आने वाले समय में और समस्या बढ़ जाएगी और शिक्षक आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट जाएंगे. जल्द से जल्द राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को ध्यान देने की जरूरत है और तमाम विश्वविद्यालयों को निर्देश देकर उनकी समस्याओं को दूर करने की आवश्यकता है.

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