रांचीः राजधानी में छह महीने पहले बनी सड़कें एक बार फिर से खोदी जा रही है. करीब एक साल पहले जिस काम को अधूरा छोड़ दिया गया था, उसे फिर से पूरा करने के नाम पर एक बार फिर से सड़कों को खोदने का काम शुरू कर दिया गया है. हम बात कर रहे है उसी सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट की, जिसे बनाने की शुरुआत 14 साल पहले हुई थी, लेकिन आज तक यह काम पूरा नहीं हुआ है. बेहतरीन सड़कों को ड्रेनेज बनाने के लिए बर्बाद कर दिया गया है, अब आम लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर जब ड्रेनेज का काम करवाना था तो फिर सड़कें बनाई ही क्यों गई, जनता के पैसे को ऐसे पानी में क्यों बहाया जा रहा है.
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रांची में सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट के लिए लगातार काम किया जा रहा है लेकिन सवाल यह है कि क्या नगर निगम के अधिकारियों में कौन सा काम कब करना है और विभागों के बीच सामंजस्य नहीं है. जानकारी के अनुसार सीवरेज-ड्रेनेज के काम का टेंडर एक साल पहले ही निकाला गया था. जिस कंपनी को टेंडर मिला है वह एक साल बाद जमीन पर काम कर रही है. लेकिन उससे 6 महीने पहले रांची नगर निगम ने ही टेंडर निकाल कर सड़क बनवा दी थी, अब उसी सड़क को खोदा जा रहा है.
सड़क बनाने के लिए जो करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे वह सब पानी में गए. सवाल यह है कि जब नगर निगम को यह जानकारी थी कि सीवरेज-ड्रेनेज का टेंडर हो चुका है तो फिर मात्र 6 महीने के लिए उन सड़कों को करोड़ों रुपए खर्च कर क्यों बनाया गया, जिन्हें ड्रेंजेज सिस्टम के लिए तोड़ना ही था. अब आलम यह है कि 6 महीना पहले ही जिन सड़कों को बेहतरीन तरीके से बना दिया गया था उन्हें एक बार फिर से तहस-नहस कर दिया गया है.
आम लोग हैरान परेशान हैं उन्हें यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर यह हो क्या रहा है. सड़कों के खोद दिए जाने की वजह से लोगों के घर से पानी नहीं निकल रहा है. वहीं धूल इतना उड़ रहा है कि खाने तक में वह दिखाई दे रहा है. रांची के लोग पूरे मामले को लेकर काफी आक्रोश में है. उनका कहना है कि यहां सीवरेज-ड्रेनेज के नाम पर केवल घोटाला होता आया है. एक बार फिर से इसी काम को दोहराने की तैयारी की जा रही है.
क्या है पूरा मामलाः राजधानी रांची में सीवरेज ड्रेनेज प्रोजेक्ट 14 साल से अधूरा पड़ा हुआ है. शहर के 4 जोन में काम होना था लेकिन 85 करोड़ रुपये फूंकने के बाद भी अबतक जोन वन का काम कंप्लीट नहीं हो पाया है. राजधानी को चार जोन में बांटकर सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का डीपीआर तैयार किया गया था. 2015 में जोन 1 का काम शुरू हुआ था, जिसके तहत वार्ड संख्या 1 से 5 और 30 से 33 के बजरा, पंडरा, पिस्कामोड़, बैंक कॉलोनी, रातू रोड, इन्द्रपुरी, अल्कापुरी, धोबी घाट, कांके रोड, मिसिर गोंदा, मोरहाबादी, बूटी बस्ती और बड़गाईं के कुछ इलाकों में सीवर लाइन बिछाई गयी है.
लेकिन सीवर प्लांट का काम पूरा नहीं होने के कारण सीवर लाइन का कोई फायदा आम लोगों को नहीं मिला. जोन-1 के 9 वार्डों में दिसंबर 2017 तक काम पूरा करने की डेडलाइन था. लेकिन 50% काम भी पूरा नहीं हो सका. काम करने वाली कंपनी का एक्सटेंशन खत्म हो गया और यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया. इसमें करीब 359 करोड़ की लागत से जोन-1 के नौ वार्ड में सीवर लाइन बिछाने का रोडमैप तैयार हुआ था. जिसका काम ज्योति बिल्डकॉन को दिया लेकिन कंपनी पर भी बाद में करप्शन के आरोप लगा और बीच में ही काम रोक कर एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई और उसको ब्लैकलिस्टेड किया गया.
उठने लगे हैं सवालः वार्ड तीन की पार्षद बसंती लकड़ा के अनुसार जिस ठेकेदार के द्वारा सड़क का निर्माण करवाया गया था उसका पैसा भी अभी नहीं मिला है. अब दूसरी तरफ एक बार फिर से सीवरेज-ड्रेनेज का काम शुरू कर दिया गया है, बनी बनाई सड़कों को एक बार फिर से खोदा जा रहा है. यह सीधे तौर पर आम जनता की गाढ़ी कमाई पर हमला है. बसंती लाकड़ा के अनुसार पहले ज्योति बिल्डकॉन ने सही ढंग से काम नहीं किया और अब यह गुजरात की नई कंपनी काम कर रही है.
उनका आरोप है कि प्रोजेक्ट के नाम पर सड़कों को बर्बाद कर दिया गया है जिसकी वजह से लोगों को काफी कठिनाइयां हो रही हैं. बसंती लकड़ा के अनुसार उन सभी ने मिलकर निगम में इस मामले को लेकर आपत्ति भी जताई है. ऐसा लग रहा है कि एक बार फिर किसी बड़े घोटाले की पटकथा लिखी जा रही है. अगर बरसात से पहले सड़क का निर्माण नहीं हुआ तो आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
पहले भी बिगड़ चुकी है शहर की सूरतः फर्स्ट फेज में जोन-1 के नौ वार्ड में अब भी 280 किमी सीवर लाइन बिछाने का काम अधूरा है. नौ वार्ड में करीब 40 फीसदी पाइपलाइन का काम हुआ था लेकिन शहर की सूरत पूरी तरह बिगड़ गई थी. पिस्का मोड़, मोरहाबादी, कोकर और इंद्रपुरी इलाके की हालत तो काफी खराब थी. आम लोगों की बार-बार शिकायत पर सड़क को दुरुस्त किया गया था, जिसे अब फिर से खोदा जा रहा है.
इस बार सीवरेज-ड्रेनेज का काम गुजरात की कंपनी एलसिन एफरा को मिला है, ये प्रोजेक्ट 200 करोड़ का है. कंपनी ने काम शुरू कर दिया है पर आधे शहर के सड़कों को खोद डाला है. कंपनी का दावा है कि वह बरसात से पहले सभी सड़कों का पुनर्निर्माण कर देगा लेकिन उनके इस दावे पर लोगों को शंका है. दो महीने बाद जब बरसात शुरू हो जाएगी तब खोदे गए सड़कों पर चलना तक मुश्किल हो जाएगा. कंपनी का जरूर यह दावा है कि वह बरसात से पहले पूरा काम कर लेंगे लेकिन उनके काम को देख कर ऐसा लगता नहीं है.