रांची: झारखंड में बोर्ड और आयोग के गठन ने झामुमो के लिए विकट परिस्थिति खड़ी कर दी है. एक तो अब तक गठन हो चुके पांच बोर्ड और आयोग में कांग्रेस को तरजीह दिए जाने से कार्यकर्ता नाराज हैं. वहीं पार्टी के हिस्से में आए बोर्ड में किसे अध्यक्ष बनाया जाए, ये भी बड़ी चुनौती है. इससे पार्टी के ही कई नेताओं के नाराज होने का डर है. वहीं इस पूरे मामले में टीका टिप्पणी भी शुरू हो गई है. बीजेपी किसी डील की बात कह रही है.
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दरअसल, झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार बनने के करीब साढ़े तीन साल बाद खाली पड़े बोर्ड और आयोग के पदों को भरा जाने लगा है. अब तक राज्य में झारखंड राज्य आवास बोर्ड, झारखंड राज्य कृषि विपणन पर्षद, झारखंड राज्य गौ सेवा आयोग, झारखंड राज्य युवा आयोग और झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन हुआ है. इसमें सभी बोर्ड और आयोग और पर्षद के अध्यक्ष कांग्रेस के नेता बनाये गए हैं. झामुमो से जुड़े लोगों को इसमें सदस्य बनाया गया है.
झामुमो उधेड़बुन की स्थिति में: पूरे मामले को लेकर झामुमो के नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस बात का दर्द जरूर है. लेकिन इसके बावजूद अनुशासन के डर से झामुमो नेता कैमरे पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. वहीं अनौपचारिक रूप से झामुमो के नेताओं ने माना कि सिर्फ सहयोगी दल कांग्रेस के कोटे वाले आयोग-बोर्ड निगम की घोषणा हो रही है. झामुमो का नंबर कब आएगा. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि राज्य महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग सहित कई महत्वपूर्ण बोर्ड, निगम और आयोग झामुमो के कोटे में आया है. इन पदों पर किसकी नियुक्ति की जाए, इसे लेकर भी पार्टी नेतृत्व उधेड़बुन की स्थिति में है.
पार्टी में नाराजगी बढ़ने का डर: विधायक सीता सोरेन, मथुरा महतो, नलिन सोरेन, सुदिव्य कुमार सोनू, मनोज पांडेय, रांची झामुमो जिलाध्यक्ष मुस्ताक आलम, अंतु तिर्की, डॉ अशोक कुमार सिंह जैसे नेताओं की लंबी कतार है, जो बोर्ड-आयोग-निगम के अध्यक्ष पद के दावेदार हैं. ऐसे में पार्टी नेतृत्व संकट की स्थिति में है कि वह किसे खुश करे और किसे नाराज. झामुमो नेतृत्व को यह भी लगता है कि अगर झामुमो कोटे के बोर्ड निगम की घोषणा कर दी जाती है तो कहीं पार्टी में नाराजगी ना बढ़ जाए.
60:40 अनुपात में बोर्ड-निगम-आयोग: झारखंड कांग्रेस के नेता आलमगीर आलम के अनुसार, राज्य में खाली पड़े बोर्ड निगम या आयोग 60:40 के अनुपात में बंटा है. यानी खाली पड़े बोर्ड निगम में 60% झामुमो के कोटे में और 40% कांग्रेस कोटे में गया है. ऐसे में बोर्ड निगम में बड़े भाई की भूमिका में झामुमो के होने के बावजूद अभी तक जिन आयोग-बोर्ड का गठन हुआ है, वह सभी कांग्रेस के हैं. ऐसे में भाजपा अब सवाल उठा रही है कि इसके पीछे झामुमो और कांग्रेस के बीच कोई डील तो नहीं है.
जरूरी आयोग अभी भी खाली-भाजपा: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा कि घोषित बोर्ड-आयोग में कांग्रेस का वर्चस्व दिख रहा है. हालांकि झामुमो के नेता सदस्य जरूर बने हैं. यह सब सत्ताधारी दलों का अंदरूनी मामला है. लेकिन यह सच्चाई है कि सूचना आयोग, महिला आयोग जैसे कई महत्वपूर्ण आयोग अभी भी खाली पड़े हैं.
कांग्रेस के कुशल नेतृत्व का परिणाम-राकेश सिन्हा: अभी तक घोषित सभी बोर्ड और आयोग का नेतृत्व कांग्रेस के हाथों में जाने के सवाल पर कांग्रेस के महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि यह तो प्रदेश कांग्रेस के कुशल नेतृत्व का परिणाम है. उन्होंने कहा कि यह सरकार के साथ संगठन का बेहतर सामंजस्य का परिणाम है. वहीं भाजपा पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि जिनका काम सिर्फ डील से होता है, उन्हें हर चीज में डील ही दिखता है.
हमारा अंदरूनी मामला-झामुमो: एक के बाद एक कांग्रेस कोटे के बोर्ड और आयोग के गठन की घोषणा से झामुमो के कार्यकर्ता आहत तो हैं लेकिन आलाकमान नाराज ना हो जाए, इस वजह से कोई कुछ कहना नहीं चाहता. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि झामुमो कोटे के आयोग और बोर्ड की घोषणा सरकार कब करेगी. यह हमारा अंदरूनी मामला है. हमारे कार्यकर्ताओं को कोई परेशानी नहीं है, जब आलाकमान को लगेगा तब इसकी घोषणा हो जाएगी.