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रांची हिंसा मामले में हो सकती है एनआईए की इंट्री, कमीश्नर और डीआईजी के जांच रिपोर्ट का इंतजार

रांची हिंसा मामले (Ranchi violence case) में केंद्रीय गृह मंत्रालय गंभीर है. हिंसा के दौरान हुई कार्रवाई को लेकर गृह मंत्रालय ने राज्यपाल रमेश बैस के कई सवाल किए हैं. जिसके बाद कमीश्नर और डीआईजी मामले की अलग से जांच कर रहे हैं. इनकी जांच रिपोर्ट के बाद रांची हिंसा मामले में एनआईए जांच (NIA investigation in Ranchi violence) हो सकती है.

NIA investigation in Ranchi violence
NIA investigation in Ranchi violence
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Published : Jun 16, 2022, 7:15 AM IST

रांची: राजधानी में 10 जून को हुई हिंसा की जांच में एनआईए की भी इंट्री हो सकती है. दरअसल, झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार, 10 जून को हुई हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय गंभीर है. रांची पुलिस (Ranchi Police) पूरे मामले में पीएफआई के राजनीतिक विंग एसडीपीआई की संलिप्तता को लेकर जांच कर रही है. इस मामले में पुख्ता सबूत मिलने पर पुलिस पूरे मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए (National Investigation Agency NIA) को जांच हेंडओवर कर सकती है

इसे भी पढ़ें: सवालों के घेरे में रांची पुलिस की कार्यप्रणाली, फायरिंग से लेकर पोस्टर लगाने और उतारने तक की हो रही चर्चा


रिपोर्ट का इंतजार: केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसके लिए फिलहाल रांची के कमीश्नर व डीआईजी के साझा रिपोर्ट का इंतजार है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूरे मामले में झारखंड सरकार से रिपोर्ट मांगी है. जिसके बाद इस मामले में कमीश्नर व डीआईजी अलग से जांच में जुटे हैं. झारखंड पुलिस के आला अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि जल्द ही पूरे मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी जाएगी.

पीएफआई को लेकर आधा दर्जन केस जांच रही एनआईए: एनआईए की टीम देश के अलग अलग हिस्सों में पीएफआई की सक्रियता को लेकर जांच कर रही है. तमिलनाडु, केरल व देश के अलग अलग हिस्सों में पीएफआई की भूमिका देश विरोधी गतिविधियों में सामने आयी थी. जिसके बाद एनआईए ने कार्रवाई की है. कर्नाटक में हाल के दिनों में धार्मिक विवादों में भी पीएफआई, उसके राजनीतिक व छात्र विंग की भूमिका सामने आयी थी.

झारखंड में प्रतिबंधित है पीएफआई: राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने झारखंड में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि पीएफआई को प्रतिबंधित किया था. साल 2018 में पाकुड़, साहिबगंज समेत संताल के कई जिलों में पीएफआई की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी स्पेशल ब्रांच ने जुटायी थी. राज्य के स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट के आधार पर ही कैबिनेट ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया था. प्रतिबंध के खिलाफ पीएफआई ने झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, हालांकि अबतक झारखंड में इसपर प्रतिबंध लागू है.

रांची हिंसा में कैसे जुड़ा पीएफआई का नाम: जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार हिंसा के पहले बाहर से कई लोग रांची पहुंचे थे. जिसके बाद पीएफआई के राजनीतिक विंग एसडीपीआई के लोगों ने रांची के लोगों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा था. इससे संबंधित फेसबुक पोस्ट भी पुलिस को मिले हैं, जिसके बताया गया है कि एसडीपीआई ने नुपूर शर्मा के बयान के खिलाफ प्रदर्शन बुलाया है. पुलिस कॉल डंप के आधार पर बाहर से आए लोगों की भूमिका की पड़ताल कर रही है. रांची के हिंसा प्रभावित इलाकों में चार से दस जून की रात तक सक्रिय फोन नंबरों के विषय में पड़ताल की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बाहर के राज्य या दूसरे जिलों से जारी कौन कौन से मोबाइल नंबर यहां सक्रिय थे, जिनका लोकेशन बाद में बदल गया.

रांची: राजधानी में 10 जून को हुई हिंसा की जांच में एनआईए की भी इंट्री हो सकती है. दरअसल, झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार, 10 जून को हुई हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय गंभीर है. रांची पुलिस (Ranchi Police) पूरे मामले में पीएफआई के राजनीतिक विंग एसडीपीआई की संलिप्तता को लेकर जांच कर रही है. इस मामले में पुख्ता सबूत मिलने पर पुलिस पूरे मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए (National Investigation Agency NIA) को जांच हेंडओवर कर सकती है

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रिपोर्ट का इंतजार: केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसके लिए फिलहाल रांची के कमीश्नर व डीआईजी के साझा रिपोर्ट का इंतजार है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूरे मामले में झारखंड सरकार से रिपोर्ट मांगी है. जिसके बाद इस मामले में कमीश्नर व डीआईजी अलग से जांच में जुटे हैं. झारखंड पुलिस के आला अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि जल्द ही पूरे मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी जाएगी.

पीएफआई को लेकर आधा दर्जन केस जांच रही एनआईए: एनआईए की टीम देश के अलग अलग हिस्सों में पीएफआई की सक्रियता को लेकर जांच कर रही है. तमिलनाडु, केरल व देश के अलग अलग हिस्सों में पीएफआई की भूमिका देश विरोधी गतिविधियों में सामने आयी थी. जिसके बाद एनआईए ने कार्रवाई की है. कर्नाटक में हाल के दिनों में धार्मिक विवादों में भी पीएफआई, उसके राजनीतिक व छात्र विंग की भूमिका सामने आयी थी.

झारखंड में प्रतिबंधित है पीएफआई: राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने झारखंड में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि पीएफआई को प्रतिबंधित किया था. साल 2018 में पाकुड़, साहिबगंज समेत संताल के कई जिलों में पीएफआई की संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी स्पेशल ब्रांच ने जुटायी थी. राज्य के स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट के आधार पर ही कैबिनेट ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया था. प्रतिबंध के खिलाफ पीएफआई ने झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, हालांकि अबतक झारखंड में इसपर प्रतिबंध लागू है.

रांची हिंसा में कैसे जुड़ा पीएफआई का नाम: जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार हिंसा के पहले बाहर से कई लोग रांची पहुंचे थे. जिसके बाद पीएफआई के राजनीतिक विंग एसडीपीआई के लोगों ने रांची के लोगों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा था. इससे संबंधित फेसबुक पोस्ट भी पुलिस को मिले हैं, जिसके बताया गया है कि एसडीपीआई ने नुपूर शर्मा के बयान के खिलाफ प्रदर्शन बुलाया है. पुलिस कॉल डंप के आधार पर बाहर से आए लोगों की भूमिका की पड़ताल कर रही है. रांची के हिंसा प्रभावित इलाकों में चार से दस जून की रात तक सक्रिय फोन नंबरों के विषय में पड़ताल की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बाहर के राज्य या दूसरे जिलों से जारी कौन कौन से मोबाइल नंबर यहां सक्रिय थे, जिनका लोकेशन बाद में बदल गया.

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