रांची: रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों की एक्टिविटी भी तेज हो रही है. बड़े-बड़े नेता ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं कर रहे हैं. इन चुनावी सभाओं के बीच चर्चा में हैं निवर्तमान विधायक ममता देवी का छह माह का बेटा और ममता देवी के जेल जाने की कहानी.
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कांग्रेस के नेता रामगढ़ की जनता को यह बताने में जुट गई है कि आज ममता देवी जेल में हैं तो किसी करप्शन या अपराध के लिए नहीं. कांग्रेस के नेता मंच से कहते हैं कि ममता देवी, जनता की लड़ाई लड़ रही थी और उस समय की भाजपा सरकार ने प्रतिशोध के तहत केस कराया था. इसी बीच महागठबंधन की चुनावी सभाओं में इंट्री उस छोटे बच्चे की भी हो जाती है जो ममता देवी का बेटा है. ममता देवी जेल में हैं सो इस नवजात बच्चे का लालन-पालन पिता बजरंग महतो और अन्य परिवार जनों के सहारे हो रहा है. कांग्रेस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सभा में भी इसे चुनावी मुद्दा बनाया गया. जनता से सवाल किया कि जिसने इस नन्हे बच्चे को मां के दूध से दूर किया उसको आप सब वोट देंगे.
एक बच्चा एनडीए पर पड़ेगा भारी: रामगढ़ की चुनावी समर में साफ है कि कांग्रेस और महागठबंधन की नजर जनता के सहानुभूति वोट पर भी टिकी है. कांग्रेस के बुजुर्ग नेता मुंजी सिंह ईटीवी भारत से कहते हैं कि "दया धर्म नहीं तन में, खड़ा क्या देखा तुमने दर्पण में" हर इंसान में दया और धर्म होता है, रामगढ़ की जनता में भी है. मुंजी सिंह कहते हैं कि रामगढ़ में बच्चा चुनावी मंच पर घूम रहा है और पूछ रहा है कि उसकी मां कहां है? कांग्रेस नेता कहते हैं कि कांग्रेस के चुनावी मंच से बच्चा यह मैसेज दे रहा है कि इन्ही लोगों (भाजपा-आजसू) ने उसकी मां को जेल भिजवाया है और उसे मां के दूध से अलग किया है. कांग्रेस नेता की मानें तो रामगढ़ की जनता पर इसका व्यापक असर हो रहा है. वह कहते हैं कि भारत के लोगों में दया और ममता के भाव बहुत ज्यादा होता है, ऐसे में ममता के देश में ममता के प्रतीक यह बच्चा एनडीए पर भारी पड़ेगा.
यूपीए के तरकश में कोई तीर नहीं: भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक कहते हैं कि महागठबंधन की सरकार ने कोई काम नहीं किया. रामगढ़ की चुनावी सभाओं में ममता देवी के छह माह के अबोध बच्चे की उपस्थिति को लेकर भाजपा नेता कहते हैं कि दरअसल 2019 में किये जनता से वादे पूरा करने में विफल रही है. इसलिए उन्हें अबोध बालक का सहारा लेना पड़ रहा है. शिवपूजन पाठक कहते हैं कि रामगढ़ की जनता बहुत समझदार है, वह पूछ रही है कि पिछले तीन वर्षो में नौकरियां क्यों नहीं मिली, बेरोजगारी भत्ता कहां गया, महिलाओं को सुरक्षा देने में सरकार विफल क्यों रही, क्यों राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है. ऐसे में अब वह अबोध बच्चा ही कांग्रेस और महागठबंधन का एक आखिरी दांव है.
सहानुभूति की लहर का होता है चुनावी नतीजों पर असर: रामगढ़ में कांग्रेस की निवर्तमान विधायक ममता देवी का जेल में रहना और उनके अबोध दुधमुंहा बच्चे का उनसे अलग रहने की पृष्ठभूमि में सिंपैथी वोट के भरोसे कांग्रेस चुनावी नैया पार कर लेगी? इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि देश और प्रदेश में सहानुभति वोट से उम्मीदवार की जीत हार होती रही है. रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस और सत्ताधारी गठबंधन की ओर से यह दांव चला गया है. इसका असर भी जरूर कुछ न कुछ होगा.
एनडीए की एकजुटता कर रहा बैलेंस: वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि 2019 के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-आजसू के अलग अलग चुनाव लड़ने से वोटों का बिखराव हुआ था और ममता देवी जीत गयी थीं. इस बार वैसा नहीं है. एक ओर महागठबंधन की एकजुटता और सहानुभूति की लहर से चुनाव में जीत की बात कही जा रही है तो सामने में सहानुभति लहर को काटने के लिए एनडीए की एकजुटता है. ऐसे में बहुत क्लोज कांटेस्ट रामगढ़ में होने वाला है. यही वजह है कि अब महागठबंधन ही नहीं बल्कि माले, सीपीआई और अन्य दलों के नेताओं को भी मैदान में उतारा जा रहा है, क्योंकि इस उपचुनाव में एक एक वोट का महत्व महागठबंधन के नेता समझ रहे हैं.