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कैश कांड में फंसे विधायकों को युवा कांग्रेस महासचिव का मिला साथ, कोलकाता जाकर पहनाया माला, पार्टी अनुशासन पर सवाल

कांग्रेस विधायक कैश कांड (Congress MLA Cash Scandal) को लेकर पार्टी के अंदर एक राय नहीं है. कुछ लोग तीनों विधायकों पर हुई कार्रवाई से सहमत नहीं है तो कुछ लोग इसे अनुशासन का मामला कह रहे हैं.

Congress MLA Cash Scandal
Congress MLA Cash Scandal
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Published : Oct 1, 2022, 4:28 PM IST

रांची: हेमंत सरकार को गिराने की साजिश जैसे गंभीर आरोपों से घिरे कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोनगाड़ी एक तस्वीर को लेकर फिर सुर्खियों में आ गये हैं. एफआईआर और निलंबन के बाद दलबदल का सामना कर रहे तीनों विधायकों को झारखंड युवा कांग्रेस के महासचिव मोहम्मद नौशाद ने माला पहनाकर एक तरह से संगठन और हाईकमान को चुनौती दे दी है. उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि तीनों विधायकों को साजिश के तहत फंसाया गया है. साजिशकर्ता को कभी माफ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यहां तक कहा है कि कोलकाता से तीनों विधायकों के वापस लौटने पर भव्य स्वागत भी किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- एमएलए कैश कांडः विधायकों ने दलबदल से किया इनकार, फिजिकल सुनवाई की मांग

अब सवाल है कि क्या जांच पूरी हुए बगैर पार्टी के युवा विंग का एक पदाधिकारी क्या इस तरह से बयान जारी कर सकता है. इसको लेकर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने झारखंड युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अभिजीत राज से फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि तीनों विधायकों से मेरे भी अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं. उस लिहाज से हुई मुलाकात पर आपत्ति जैसी कोई बात नहीं है. लेकिन क्लीनचिट मिलने से पहले महिमा मंडन करना पार्टी अनुशासन के उल्लंघन के दायरे में आता है. इसलिए युवा कांग्रेस के महासचिव को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा. अगर उन्होंने कोई बयान जारी किया है तो उनपर कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि पार्टी सर्वोपरी है.

कैश कांड में गिरफ्तारी से लेकर अबतक क्या-क्या हुआ: झारखंड में ऑपरेशन लोटस की चर्चा तेज थी. इसी बीच 30 जुलाई को कांग्रेस के तीनों विधायक पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कैश के साथ पकड़ लिए गये (Congress MLA Cash Scandal). इनके पास से करीब 49 लाख रुपए बरामद हुए. इसके अगले ही दिन बेरमो से कांग्रेस विधायक जयमंगल उर्फ अनूप सिंह रांची में अरगोड़ा थाना पहुंच गये और तीनों के खिलाफ जीरो एफआईआर कराया. उन्होंने आरोप लगाया कि तीनों विधायकों ने फोन कर कोलकाता आने और सरकार को गिराने में मदद करने को कहा था. बकौल अनूप सिंह उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाने का ऑफर दिया गया था. यह भी कहा गया था कि सरकार गिराने में मदद करने वाले विधायकों को 10-10 करोड़ दिए जाएंगे. इस मामले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी कर रही है. गिरफ्तारी के तत्काल बाद कांग्रेस प्रभारी ने दिल्ली में तीनों को पार्टी से निलंबित करने की घोषणा की. कलकत्ता हाईकोर्ट ने तीनों विधायकों को तीन माह के लिए 17 अगस्त को जमानत दी. कोर्ट ने शर्त रखी कि तीनों विधायक कोलकाता नहीं छोड़ेंगे.

ये भी पढ़ें- पूर्व कांग्रेस सांसद फुरकान अंसारी का खुलासा, असम के सीएम और केंद्रीय मंत्री से मिले थे विधायक अनूप सिंह

इसके बाद प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने तीनों विधायकों पर दलबदल का मामला चलाने के लिए स्कीकर के ट्रिब्यूनल में शिकायत की. ट्रिब्यूनल ने तीनों को नोटिस भेजा. इसपर 7 सितंबर को सुनवाई हुई. निलंबित विधायकों ने आठ सप्ताह का समय मांगा. इसके बाद कार्यवाही स्थगित हो गई . जवाब आने के बाद 22 सितंबर को फिर सुनवाई हुई. तब कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के वकील ने जवाब के अध्ययन के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. इससे पहले 5 सितंबर को विश्वास मत हासिल करने के लिए सरकार की ओर से बुलाए गये विधानसभा के विशेष सत्र में भी तीनों विधायक इसलिए शामिल नहीं हो पाए क्योंकि उसी दिन उनकी याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी.

हिमंता बिस्वा सरमा के साथ अनूप सिंह की तस्वीर: खास बात यह है कि कैश कांड पर हुई कार्रवाई के कुछ दिन बाद ही पूर्वी कांग्रेसी पीयूष हजारिका ने एक तस्वीर ट्वीट की थी. इसमें अनूप सिंह के अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी थे. इसपर अनूप सिंह ने सफाई दी थी. उन्होंने कहा था कि इस मुलाकात की जानकारी प्रदेश प्रभारी अविनाशं पांडेय और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दी जा चुकी थी. उन्होंने कहा था कि अगर इसमें कोई साजिश थी तो ट्वीट को क्यों हटाया गया.

ये भी पढ़ें- पश्चिम बंगाल में झारखंड के कांग्रेस MLA की गाड़ी से भारी मात्रा में कैश बरामद, हिरासत में तीन विधायक

इरफान का विवादों से रहा है नाता: जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी अपने विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे हैं. कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग से लेकर बालू की अवैध ढुलाई तक सरकार को घेरते रहे हैं. जामताड़ा में एक सड़क निर्माण की स्वीकृति मिलने पर उन्होंने कहा था कि यह सड़क कंगना रनौत के गाल से भी चिकनी बनेगी. हिजाब विवाद पर कोर्ट पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं. रांची हिंसा में मरने वालों को शहीद का दर्जा देने तक की मांग कर चुके हैं. उनके विवादित बयानों की फेहरिस्त काफी लंबी है. लेकिन कैश कांड में गिरफ्तारी के बाद उनके सुर बदल गये हैं. बार-बार बयान जारी कर यही बता रहे हैं कि वह सच्चा कांग्रेसी हैं. वह हेमंत सरकार को कभी धोखा नहीं दे सकते. बहरहाल, अब देखना है कि कांग्रेस इस ताजा मामले में क्या स्टैंड लेती है.

रांची: हेमंत सरकार को गिराने की साजिश जैसे गंभीर आरोपों से घिरे कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोनगाड़ी एक तस्वीर को लेकर फिर सुर्खियों में आ गये हैं. एफआईआर और निलंबन के बाद दलबदल का सामना कर रहे तीनों विधायकों को झारखंड युवा कांग्रेस के महासचिव मोहम्मद नौशाद ने माला पहनाकर एक तरह से संगठन और हाईकमान को चुनौती दे दी है. उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि तीनों विधायकों को साजिश के तहत फंसाया गया है. साजिशकर्ता को कभी माफ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यहां तक कहा है कि कोलकाता से तीनों विधायकों के वापस लौटने पर भव्य स्वागत भी किया जाएगा.

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अब सवाल है कि क्या जांच पूरी हुए बगैर पार्टी के युवा विंग का एक पदाधिकारी क्या इस तरह से बयान जारी कर सकता है. इसको लेकर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने झारखंड युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अभिजीत राज से फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि तीनों विधायकों से मेरे भी अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं. उस लिहाज से हुई मुलाकात पर आपत्ति जैसी कोई बात नहीं है. लेकिन क्लीनचिट मिलने से पहले महिमा मंडन करना पार्टी अनुशासन के उल्लंघन के दायरे में आता है. इसलिए युवा कांग्रेस के महासचिव को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा. अगर उन्होंने कोई बयान जारी किया है तो उनपर कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि पार्टी सर्वोपरी है.

कैश कांड में गिरफ्तारी से लेकर अबतक क्या-क्या हुआ: झारखंड में ऑपरेशन लोटस की चर्चा तेज थी. इसी बीच 30 जुलाई को कांग्रेस के तीनों विधायक पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कैश के साथ पकड़ लिए गये (Congress MLA Cash Scandal). इनके पास से करीब 49 लाख रुपए बरामद हुए. इसके अगले ही दिन बेरमो से कांग्रेस विधायक जयमंगल उर्फ अनूप सिंह रांची में अरगोड़ा थाना पहुंच गये और तीनों के खिलाफ जीरो एफआईआर कराया. उन्होंने आरोप लगाया कि तीनों विधायकों ने फोन कर कोलकाता आने और सरकार को गिराने में मदद करने को कहा था. बकौल अनूप सिंह उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाने का ऑफर दिया गया था. यह भी कहा गया था कि सरकार गिराने में मदद करने वाले विधायकों को 10-10 करोड़ दिए जाएंगे. इस मामले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी कर रही है. गिरफ्तारी के तत्काल बाद कांग्रेस प्रभारी ने दिल्ली में तीनों को पार्टी से निलंबित करने की घोषणा की. कलकत्ता हाईकोर्ट ने तीनों विधायकों को तीन माह के लिए 17 अगस्त को जमानत दी. कोर्ट ने शर्त रखी कि तीनों विधायक कोलकाता नहीं छोड़ेंगे.

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इसके बाद प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने तीनों विधायकों पर दलबदल का मामला चलाने के लिए स्कीकर के ट्रिब्यूनल में शिकायत की. ट्रिब्यूनल ने तीनों को नोटिस भेजा. इसपर 7 सितंबर को सुनवाई हुई. निलंबित विधायकों ने आठ सप्ताह का समय मांगा. इसके बाद कार्यवाही स्थगित हो गई . जवाब आने के बाद 22 सितंबर को फिर सुनवाई हुई. तब कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के वकील ने जवाब के अध्ययन के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. इससे पहले 5 सितंबर को विश्वास मत हासिल करने के लिए सरकार की ओर से बुलाए गये विधानसभा के विशेष सत्र में भी तीनों विधायक इसलिए शामिल नहीं हो पाए क्योंकि उसी दिन उनकी याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी.

हिमंता बिस्वा सरमा के साथ अनूप सिंह की तस्वीर: खास बात यह है कि कैश कांड पर हुई कार्रवाई के कुछ दिन बाद ही पूर्वी कांग्रेसी पीयूष हजारिका ने एक तस्वीर ट्वीट की थी. इसमें अनूप सिंह के अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी थे. इसपर अनूप सिंह ने सफाई दी थी. उन्होंने कहा था कि इस मुलाकात की जानकारी प्रदेश प्रभारी अविनाशं पांडेय और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दी जा चुकी थी. उन्होंने कहा था कि अगर इसमें कोई साजिश थी तो ट्वीट को क्यों हटाया गया.

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इरफान का विवादों से रहा है नाता: जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी अपने विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे हैं. कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग से लेकर बालू की अवैध ढुलाई तक सरकार को घेरते रहे हैं. जामताड़ा में एक सड़क निर्माण की स्वीकृति मिलने पर उन्होंने कहा था कि यह सड़क कंगना रनौत के गाल से भी चिकनी बनेगी. हिजाब विवाद पर कोर्ट पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं. रांची हिंसा में मरने वालों को शहीद का दर्जा देने तक की मांग कर चुके हैं. उनके विवादित बयानों की फेहरिस्त काफी लंबी है. लेकिन कैश कांड में गिरफ्तारी के बाद उनके सुर बदल गये हैं. बार-बार बयान जारी कर यही बता रहे हैं कि वह सच्चा कांग्रेसी हैं. वह हेमंत सरकार को कभी धोखा नहीं दे सकते. बहरहाल, अब देखना है कि कांग्रेस इस ताजा मामले में क्या स्टैंड लेती है.

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